Health Benefits of Magnesium: शरीर रूपी मशीन को सुचारु रुप से चलने के लिए खनिज पदार्थों की भी आवश्यकता होती है। आहार और पोषण विशेषज्ञ कविता देवगन से जानते हैं इस पोषक तत्वों के बारे में…
क्या आपको पता है कि हमारे शरीर के चलने का काम सही मात्रा में मैग्नीशियम के बिना नहीं हो सकता। यह शरीर में हर जगह मौजूद है। चाहे वह हड्डियां, मांसपेशिया या सॉफ्ट टिशू। यहां तक कि ब्लड सर्कुलेशन में भी यह पाया जाता है। आपको जानकर हैरानी होगी विटामिन डी के बाद मैग्नीशियम की सबसे ज्यादा कमी शरीर में होती है। फिर भी हम में से अधिकांश को इसके महत्व के बारे में पता भी नहीं है।
आखिर यह महत्वपूर्ण क्यों है?
- जब आप तनाव में हों तो सबसे पहले शरीर से मैग्नीशियम खत्म होता है। तनाव से निपटने के लिए आपको मैग्नीशियम की आवश्यकता होती है, जिससे आप आराम कर सकते हैं और ठीक तरह से एक सुकून से भरी मीठी नींद ले सकते हैं।
- यह शरीर में 300 से अधिक एंजाइम रिएक्श्न को एक्टिव करता है, यही एंजाइम्स एक्टिव होकर शरीर में रोजाना होने वाली हजारों महत्वपूर्ण प्रक्रियाओं को प्रभावित करती है।
- मैग्नीशियम के बिना हमारी नसें सही से काम नहीं कर सकती। यह मिनरल उन्हें मैसेज भेजने और रिसीव करने के लिए भी काम करता है।
- यह मसल्स के संकुचन और रेस्ट के लिए सबसे महत्वपूर्ण है। इसकी कमी से मांसपेशियों में ऐंठन और दर्द हो सकता है।
- यह खून की जमावट, पोषक तत्वों के चयापचय और ऊर्जा-उत्पादन के लिए भी आवश्यक है। इसकी कमी से हम खुद को बेहद थका हुआ महसूस करते हैं।
ब्लड प्रेशर भी बढ़ सकता है

इसकी कमी से ब्लड प्रेशर भी बढ़ सकता है और इंसुलिन सेंसिटिविटी कम हो सकती है। जिन्हें अस्थमा है उन्हें विशेष रूप से सावधान रहने की जरूरत है क्योंकि मैग्नीशियम फेफड़ों में ब्रोन्किओल्स की मांसपेशिओं को आराम देता है। यह शरीर के इम्यून रिस्पॉन्स के लिए भी जरूरी है। यह हमारी प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
इम्युनिटी कनेक्ट
शरीर में ज्यादा सूजन का होना मैऌग्नीशियम की कमी से हो सकता है। मैग्नीशियम की कमी से तो वाइट ब्लड सेल्स एक्टिव हो जाती हैं। यह शरीर में एक प्रकार का रसायन छोड़ती हैं, जो कि सूजन का कारक हैं। आहार में भरपूर मैग्नीशियम सी-रिएक्टिव प्रोटीन (सीआरपी) के लेवल को कम करने में मदद करता है, यह ब्लड में सूजन का एक मार्कर है।
मैग्नीशियम की कमी से शरीर में विटामिन-डी भी कम होता है। यह लीवर और किडनी में विटामिन-डी के एक्टिवेशन रिएक्शन में उसकी मदद करता है।
लक्षण
खनिज पदार्थों की कमी के कारण शरीर में कई दिक्कतें शुरू हो जाती है, जिन्हें आप निम्नलिखित लक्षणों से पहचान सकते हैं-
मांसपेशियों में ऐंठन, चेहरे और आंखों की टिक्स, सही नींद न ले पाना, हाइपरएक्टिवनेस और पुराने दर्दों का उठना, यह दर्द विशेष रूप से विटामिन-बी 12 और डी के साथ ओवरलैप होते हैं।
400 मिलीग्राम की है आवश्यकता

हमें रोजाना लगभग 400 मिलीग्राम मैग्नीशियम की जरूरत होती है। इसके प्रमुख स्रोत हैं- गहरे रंग के पत्तेदार साग, विशेष रूप से पालक। अधिकांश सूखे मेवे- विशेष रूप से बादाम, अखरोट, काजू और मूंगफली। बीज- विशेष रूप से कद्दू और सूरजमुखी के बीज। मछली- मैकेरल, सामन, हलिबूट (यह मछली की किस्म है। बीन्स, साबुत अनाज (रिफाइंड अधिकांश मैग्नीशियम को हटा देता है), एवोकाडो, दही, केला, एग प्लांट और बिना मीठा किया हुआ कोको।
सावधानी भी है जरूरी
- सोडा में फॉस्फेट होते हैं, जो हमारे पाचन तंत्र के अंदर मैग्नीशियम से बंध जाते हैं और इसे शरीर के लिए अनुपलब्ध बना देते हैं।
- चीनी शरीर को किडनी के जरिए से मैग्नीशियम को बाहर निकालने का कारण बनती है, जैसा कि बहुत अधिक कैफीन और एल्कोहल करता है।
- यूरिन ज्यादा आने वाली या गर्भनिरोधक गोलियां, इंसुलिन और बार-बार एंटीबायोटिक लेने से शरीर से बहुत अधिक मैग्नीशियम निकल जाता है।
- पुराना तनाव भी इसके लिए बेहद खतरनाक है। तनाव की वजह से मैग्नीशियम की कमी हो सकती है।
