बढ़ते मोटापे का कारण अक्सर महिलाएं अपना बिगड़ता खानपान मानती हैं। लेकिन मोटापे के पीछे खानपान के अलावा और भी कई कारण हो सकते हैं। महिलाओं में अंसतुलित मेटाबॉलिज्म के कारण भी कई बार उनका वजन बढऩे लगता है और वह मोटी हो जाती हैं। मोटापे से ग्लूकोस बढ़ता है जिसके कारण मधुमेह हो जाता है। असामान्य मेटाबॉलिज्म के दो मुख्य लक्षण होते हैं या तो वजन तेजी से बढऩे लगता है या घटने लगता है। इस बारे में मुंबई की बेरिएट्रिक एवं मेटाबॉलिक सर्जन, डॉ. जयश्री तोडकर का कहना है कि मेटाबॉलिज्म ऊर्जा खपत और ऊर्जा व्यय के बीच का समीकरण है। सामान्य अवधि के भीतर मेटाबॉलिज्म मधुमेह, मोटापा, हार्मोन का असंतुलन आदि जैसे अनेक रोगों से व्यक्ति को संरक्षण देता है।
मेटाबॉलिज्म क्या है
हम जो भी खाते हैं वह हमारें पेट में जाकर छोटे-छोटे तत्वों में विभाजित हो जाता है। जिसे हम पाचन क्रिया कहते हैं। ये छोटे-छोटे तत्व आंतों द्वारा सोख लिए जाते हैं और रक्त द्वारा हमारे शरीर की कोशिकाओं तक पहुंच जाते हैं। कोशिका के अंदर होने वाली यही क्रिया जो कोशिका को ऊर्जा और पोषण देती है और जीवन को बनाए रखती है, उसे मेटाबॉलिज्म कहते हैं। मेटाबालिज्म दो प्रकार का होता है, एक कैटाबॉलिज्म और दूसरा एनाबॉलिज्म कहते हैं।
मेटाबॉलिज्म के लक्षण
बढ़ता मोटापा, कमर का बढ़ता आकार, गर्दन पर काले धब्बे, गर्दन पर त्वचा टैग, सुस्ती, बदन दर्द, जोरदार भूख और मिठाई खाने की अत्यधिक इच्छा आदि सब मेटाबॉलिज्म के विशेष लक्षण होते हैं। 20 वर्ष की उम्र तक शरीर का मेटाबॉलिज्म मजबूत रहता है। इस उम्र के बाद वजन का अस्वास्थ्यकर तरीके से बढऩा सही मेटाबॉलिज्म का अभाव दर्शाता है। 40 से 50 वर्ष की आयु के बाद मेटाबॉलिज्म कम होने लगता है और उसके बाद आमतौर पर लोगों का वजन बढऩे लगता है, इस तरह वजन के बढऩे पर ध्यानपूर्वक निगरानी यदि न रखी जाए तो मेटाबॉलिक रोगों के साथ-साथ मस्कुलोस्केलेटल जैसी समस्याएं भी हो सकती है।
व्यायाम है जरूरी
विभिन्न आयु वर्गों में मेटाबॉलिज्म अलग तरह का होता है। बीएमआई (बॉडी मास इंडेक्स) मोटापे को परिभाषित करने और उसका वर्गीकरण करने की एक विधि है। मेटाबॉलिज्म का एक स्थानापन्न सूचक है। किसी भारतीय व्यक्ति का 19 से 23 वर्ष के बीच बीएमआई सामान्य माना जाता है। शरीर फिट रह सके, इसके लिए व्यायाम जरूरी है। जिसके लिए नियमित में जॉगिंग, जंपिंग, योगा, वॉक, डांस और स्वीमिंग अच्छी एक्सरसाइज है।
सही अहार है जरूरी
सही डाइट और व्यायाम मेटाबॉलिज्म को असंतुलित नहीं होने देता है। मेटाबॉलिज्म को सुधारने के लिए कोई भी दवाई या जादुई गोली नहीं है। यदि किसी व्यक्ति का मेटाबॉलिज्म अनुकूल है तो मोटापे और मेटाबॉलिक रोगों के उपचार लिए आहार और व्यायाम अच्छा असर दिखाते हैं। यदि कोई व्यक्ति कम कैलोरी वाला आहार नहीं ले पा रहा है या कठिन व्यायाम नहीं कर पा रहा है तो इसका अर्थ है कि मेटाबॉलिक निर्धारण बिंदु सामान्य अवस्था से बहुत अधिक दूर हो गया है। विचलित हुआ मेटाबॉलिक निर्धारण बिंदु किसी व्यक्ति को आहार या कठिन व्यायाम व्यवस्था का पालन करने नहीं दे सकता है।
ऐसी अवस्था में अधिक बीएमआई होने पर मेटाबॉलिक निर्धारण बिंदु को ठीक करने के लिए बेरिएट्रिक सर्जरी करानी पड़ सकती है। यह और भी कई मेटाबॉलिक रोगों को ठीक करती है, जैसे कि मधुमेह, उच्च रक्तचाप, हॉर्मोन का असंतुलन, जोड़ों का असंतुलन, वैरिकाज वेइन्स, वसा यकृत, बांझपन, सांस का फूलना, हृदय और गुर्दे की समस्याएं आदि। मेटाबॉलिज्म शरीर के घटनाक्रमों की एक प्रक्रिया और अनुक्रम है और इसे लगातार देखभाल की जरूरत है।
