बढ़ते हुए बच्चों के लिए मूवमेंट बहुत जरूरी है और योग उनके शरीर और दिमाग दोनों के विकास के लिए जांचा-परखा उपाय है। अधिकतर योगासनों की उत्पत्त प्रकृति से ही हुई है जबकि उनमें से कुछ शेर, बिल्ली और कुत्ते जैसे पशुओं की नकल करते प्रतीत होते हैं। कुछ योगासन पर्यावरण के कुछ जैसे पहाड़, पेड़, सूर्य इत्यादि हिस्सों को भी प्रदर्शित करते हैं ताकि उनके प्राकृतिक गुणों को समाहित कर सकें।
वयस्कों और बच्चों दोनों को ही योग से फायदा होता है लेकिन बच्चे बड़ों से ज्यादा कोमल होते हैं। अगर बच्चों को बचपन से ही योग की आदत डाल दी जाए तो यह हमेशा के लिए ही उनके शरीर को फिट रखने का बेहतरीन तरीका होगा।
उम्र के शुरूआती सालों में
शुरूआती सालों में नियमित रूप से योग करने से बेहतर मानसिक एकाग्रता, संतुलन, जागरूकता, लचीलापन, मजबूती और श्वसन आदतें विकसित होती हैं। योग शारीरिक ग्रंथि व्यवस्था की कार्यप्रणाली के साथ-साथ शरीर के आध्यात्मिक ऊर्जा केंद्रों यानी चक्रों का भी संतुलन बनाए रखता है।
कितनी हो समयावधि
बच्चों को सप्ताह के सात दिनों में एक बार योग करना चाहिए और हर आसन को दस मिनट से 60 मिनट तक करना चाहिए। योगासनों की कुल अवधि बच्चे की उम्र, ध्यान की अवधि, रुचि और लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए तय की जाती है। योगासन आपके शरीर की व्यवस्था को ऊर्जा देने या आराम देने के लिए किए जाते हैं। हाइपरएक्टिव बच्चों को ब्रीदिंग एक्सरसाइज करनी चाहिए। आरामदेह जीवन पसंद बच्चों को मेटाबॉलिज्म बढ़ाने के लिए ऊर्जावान आसन करने चाहिए।
ध्यान रखें
बच्चों के योगासन के वक्त ध्यान रखना चाहिए कि आसपास कोई तेजधार वाली वस्तु न हो, ताकि वे खुद को कोई नुकसान न पहुंचा लें। बच्चे आरामदायक कपड़े पहने हों और जहां योगासन किया जाए, वह जगह हवादार हो।
चार से आठ वर्ष का आयुवर्ग
बच्चों को चार साल से योगासन शुरू कराया जा सकता है। इतनी कम उम्र में योगासन करने से बच्चे में पर्याप्त शारीरिक और मानसिक विकास होता है। बच्चे में योगासनों के प्रति रुचि विकसित करने के लिए आसान और रुचिकर कहानियां बनाएं। उनकी पसंदीदा कहानी की किताबों की भी सहायता ली जा सकती है। अलग-अलग आसनों के लिए बच्चों को अलग-अलग जानवरों का उदाहरण दिया जा सकता है। इससे बच्चों का मनोरंजन भी होता है और उनमें योग के प्रति रुचि भी विकसित होती है।
बटरफ्लाई पोज (बधकोणासन)
फायदा- इससे हिप के जोड़ गतिशील बने रहते हैं और अंदरूनी जांघों में कसाव आता है।
जमीन पर अपने पैरों को फैलाकर बैठें। घुटनों को मोड़कर अपने जितने करीब ला सकते हैं, लाने की कोशिश करें। पैरों के तलवों को आमने सामने लाएं। रीढ़ की हड्ड़ी को सीधी रखते हुए पैरों को मोड़ें और फैलाएं। इस आसन को बटरफ्लाई मुद्रा कहते हैं क्योंकि यह तितली के पंखों को फैलाने की तरह होता है।
लाइन पोज (सिंहासन)
फायदा- इससे गले का जमाव खुलता है और गले और छाती की मांसपेशियों में मजबूती आती है।
अपनी एड़ियों पर इस तरह बैठें ताकि घुटने अलग-अलग रहें। हाथ जमीन पर रखें और आगे की ओर झुकें। अपने हाथों पर शरीर का वजन डालें और जीभ बाहर निकालकर शेर की तरह दहाड़ें।
आठ से 11 वर्ष का आयुवर्ग
इस आयुवर्ग के लिए योगासन ज्यादा योजनाबद्ध हो सकते हैं जिनमें अलग-अलग आसनों की श्रृंखला को एकसाथ रखा जा सकता है जैसे सूर्य नमस्कार भी इस आयु में शुरू कराया जा सकता है। ऐसे आसनों से बच्चों में शक्ति का संचार होता है।
बो पोज (धनुषासन)
फायदा– इससे रीढ़ की हड्डी कोमल और लचीली बनती है और शरीर के अग्र भाग को सहारा देती है।
अपने पेट के बल जमीन पर लेटें। अब घुटनों को मोड़ते हुए अपने पैरों के पंजों या एड़ी को हाथों से पकड़ें। अब अपनी छाती और पैरों को जमीन से ऊपर उठाएं। इस आसन से एक धनुष का आकार बनता है।
रैबिट पोज (शशकासन)

फायदा- पीठ की मांसपेशियों को आराम मिलता है।
अपनी पैरों को मोड़कर घुटनों के सहारे बैठें और धीरे-धीरे आगे की ओर झुकें। अपने माथे को जमीन से टिका दें।अपने हाथ आगे की ओर फैलाएं।
ट्री पोज (वृक्षासन)

फायदा- एकाग्रता बढ़ती है, संतुलन और बैठने का तरीका सही बनता है।
सीधे खड़े हो जाएं।अपना दायां पैर बायें पैर की ओर मोड़ लें और हाथों को सिर के ऊपर नमस्कार की मुद्रा में जोड़ें। कुछ सेकेंड तक ऐसे ही रहें। यह आसन पेड़ जैसा लगता है।
12 वर्ष से अधिक का आयुवर्ग
बड़े बच्चों में योगासनों के लिए अधिक एकाग्रता, अधिक सहनशीलता और धैर्य होता है। यही वह समय होता है जब हम उन्हें एकाग्रता और फेफड़ों की क्षमता बढ़ाने के लिए ब्रीदिंग एक्सरसाइज सिखा सकते हैं। उनकी फिटनेस क्षमता को देखते हुए उन्हें ज्यादा से ज्यादा चेलेंजिंग आसन सिखा सकते हैं।
शोल्डर स्टैंड (सर्वांगासन)
फायदा- इससे भुजाएं और कंधे मजबूत होते हैं। रीढ की हड्डी लचीली बनती है और मस्तिष्क को ज्यादा खून मिलता है।
पीठ के बल लेटें और दोनों पैरों को 90 डिग्री का कोण देकर उठाएं। अपने हाथों को अपने हिप के नीचे रखें और धीरे-धीरे शरीर को जमीन से उठाएं। इस मूवमेंट को तब तक जारी रखें जब तक आपका शरीर आपके कंधों पर पूरी तरह न आ जाए। अपने पैरों और पीठ को ज्यादा से ज्यादा स्ट्रैच करने की कोशिश करें।
प्लो पोज (हलासन)
फायदा- तनाव और थकान दूर कर चित्त को शांत करता है। पीठ के दर्द, सिरदर्द दूर कर अच्छी नींद दिलाता है।
सर्वांगासन मुद्रा से धीरे-धीरे नीचे आकर पैर अपने सिर के पीछे जमीन पर रखें। आपके पैर और पंजे जमीन पर और बिलकुल सीधे रहने चाहिए।
(फिटनेस एक्सपर्ट नमिता जैन से बातचीत पर आधारित)
