mood swings in festivals
mood swings

Summary: त्योहारों का मौसम और हमारी भावनाएँ

त्योहार खुशियों और उमंग से भरे होते हैं, लेकिन इनके साथ आने वाला तनाव, अपेक्षाएँ और तुलना कई बार मूड स्विंग्स और घबराहट भी पैदा कर देते हैं। संतुलन बनाकर और खुद को स्वीकार कर ही हम इन पलों की सच्ची खुशी जी सकते हैं।

Festival Mood Swings Anxiety: त्योहार का मौसम खुशियों, रोशनी और उत्साह का प्रतीक होता है। घरों में सजावट, बाजारों में चहल-पहल और परिवार-दोस्तों के साथ मिलन, सब कुछ आनंद और उमंग से भरपूर होता है। लेकिन क्या आपने कभी ध्यान दिया है कि इन खुशियों के बीच आपका मन बेचैन हो जाता है? दिल में हल्की घबराहट महसूस होती है, और मूड अक्सर अचानक बदलने लगता है? यह अनुभव केवल आपके साथ ही नहीं होता। वास्तव में, त्योहारों के मौसम में कई लोगों के लिए भावनात्मक उतार-चढ़ाव सामान्य होते हैं।

त्योहारों के दौरान हमारी दिनचर्या बदल जाती है। ऑफिस और घर के काम, खरीदारी, सजावट और परिवार के कार्यक्रम, सब एक साथ होने लगते हैं। इस बदलाव से हमारी नींद, खान-पान और आराम प्रभावित होता है। जब शरीर पर्याप्त आराम नहीं पाता, तो तनाव और चिंता बढ़ जाती है। इसके साथ ही, शरीर में कोर्टिसोल और एड्रेनालाईन जैसे हार्मोन बढ़ जाते हैं, जो हमें सतर्क रखते हैं, लेकिन कभी-कभी घबराहट और बेचैनी भी पैदा कर सकते हैं।

त्योहारों में हम अक्सर अपने परिवार, दोस्तों और रिश्तेदारों के बीच ‘परफेक्ट’ बनना चाहते हैं। घर को सुंदर बनाना, परफेक्ट गिफ्ट खरीदना, अच्छे व्यवहार और स्वागत की जिम्मेदारी लेना, ये सब दबाव हमारे मानसिक स्वास्थ्य पर असर डालते हैं। जब हम इन अपेक्षाओं को पूरा नहीं कर पाते, तो खुद को असफल या तनावग्रस्त महसूस करते हैं। यही कारण है कि कई लोग त्योहारों में अचानक मूड स्विंग्स महसूस करते हैं।

त्योहार अक्सर हमारे अतीत से जुड़ी यादें ताज़ा कर देते हैं। पुराने रिश्तों की याद, खोई हुई प्रियजन की कमी या पिछली गलतियों की यादें अचानक मन में आ सकती हैं। यह नकारात्मक भावनाएँ भी मूड को प्रभावित करती हैं। खासकर अकेले रहने वाले या हाल ही में किसी अपमानजनक स्थिति का सामना कर चुके लोग इस समय अधिक संवेदनशील हो जाते हैं।

social media effect
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त्योहारों के मौसम में सोशल मीडिया और विज्ञापन भी हमारी मानसिक स्थिति पर प्रभाव डालते हैं। हर जगह परफेक्ट घर, खुशहाल परिवार और महंगे उपहारों की तस्वीरें देखना, हमें अपने जीवन से तुलना करने पर मजबूर करता है। यह ‘कन्फर्मेशन बाय कंपैरिजन’ या तुलना की मानसिकता, घबराहट और असंतोष को जन्म देती है।

अपनी दिनचर्या को बनाए रखें: त्योहारों में भी नींद, खान-पान और आराम का ख्याल रखें।

झूठी अपेक्षाओं से बचें: हर चीज़ परफेक्ट नहीं हो सकती। अपने और दूसरों के लिए यथार्थवादी अपेक्षाएँ रखें।

मन की बात शेयर करें: परिवार या दोस्त से अपनी भावनाएँ साझा करना बहुत मददगार हो सकता है।

मेडिटेशन और हल्की एक्सरसाइज करें: योग, ध्यान और चलना तनाव कम करने में मदद करते हैं।

सोशल मीडिया ब्रेक लें: ज्यादा तुलना से बचने के लिए समय-समय पर डिजिटल डिटॉक्स करना लाभदायक है।

त्योहारों में मूड स्विंग्स या घबराहट महसूस करना गलत नहीं है। इसे स्वीकार करना और अपनी भावनाओं को नजरअंदाज न करना, मानसिक स्वास्थ्य के लिए बहुत जरूरी है। खुद को प्यार और धैर्य देना, छोटे-छोटे पल में खुशी तलाशना, और जरूरी होने पर पेशेवर मदद लेना भी फायदे का सौदा है।

festive mood
festive mood

त्योहारों का मौसम सिर्फ उत्सव का समय नहीं, बल्कि हमारे मानसिक स्वास्थ्य को परखने का भी समय हो सकता है। घबराहट, बेचैनी और मूड स्विंग्स आम हैं और यह हमारे शरीर और मन का प्राकृतिक प्रतिक्रिया है। जरूरत है तो केवल संतुलन बनाने, खुद को समझने और तनाव कम करने की। इस तरह हम त्योहारों की वास्तविक खुशी का आनंद ले सकते हैं, बिना खुद पर अनावश्यक दबाव डाले।

इस त्योहार के मौसम में अपने दिल की सुनें, अपने आप को प्यार करें और छोटी-छोटी खुशियों में मग्न रहें। याद रखिए, खुशी की असली परिभाषा परफेक्ट होने में नहीं, बल्कि खुद को स्वीकारने और समय का आनंद लेने में है।

राधिका शर्मा को प्रिंट मीडिया, प्रूफ रीडिंग और अनुवाद कार्यों में 15 वर्षों से अधिक का अनुभव है। हिंदी और अंग्रेज़ी भाषा पर अच्छी पकड़ रखती हैं। लेखन और पेंटिंग में गहरी रुचि है। लाइफस्टाइल, हेल्थ, कुकिंग, धर्म और महिला विषयों पर काम...