Covid effects on health : कोरोना वायरस देश सहित दुनियाभर में दो साल से अधिक समय से लोगों के लिए परेशानी का सबब बन गया हैं। लाखों लोग इस महामारी की चपेट में आकर अकाल मृत्यु का शिकार हो गए हैं। कितने ही लोग कोविड -19 के बाद गंभीर बीमारियों का शिकार हो गए हैं। कुछ लोगों में तो सूंघने की शक्ति भी प्रभावित हुई है। बेशक, कोविड को मात देने के लिए वैक्सीनेशन इजाद की जा चुकी हैं लेकिन हर एक लहर के बाद नए कोविड वेरिऐंट्स आने से वैक्सीनेशन भी बेअसर साबित हो रही हैं। आज इस आर्टिकल में जानेंगे क्या सचमुच कोविड के कारण लंबे समय तक लोगों की सेंस ऑफ स्मैल चली गई है?

Covid effects on health :क्या सचमुच लंबे समय जा सकती है सूंघने की शक्ति?
कोरोना वायरस फैलने के दौरान खांसी और बुखार होना आम बात है लेकिन लोगों में एक ओर गंभीर लक्षण देखने को मिल रहा है और वो है सूंघने की शक्ति खत्म होना। ऐसा होने पर लोग कुछ भी स्वाद लेने में असमर्थ हो रहे हैं। दरअसल, ये दोनों इंद्रियों आपस में आंतरिक तौर पर एक-दूसरे से जुड़ी हुई हैं। कुछ मामलों में सेंस ऑफ स्मैल कुछ ही हफ्तों में ठीक हो जाती है। लेकिन शुरुआती शोधों के मुताबिक, जो लोगों कोरोना वायरस की चपेट में आए हैं, उनमें से आधे से अधिक लोगों को अपनी सेंस ऑफ स्मैल और टेस्ट में लंबे समय तक बदलाव दिखाई दे सकते हैं।

क्या कहती है रिसर्च
स्टॉकहोम में करोलिंस्का इंस्टीट्यूट के शोधकर्ताओं ने 100 ऐसे लोगों पर शोध किया जिनकी मार्च 2020 में कोविड की चपेट में आने के बाद सूंघने की क्षमता पर असर पड़ा था। शोध के नतीजों में पाया गया कि 18 महीनों में भी हर 20 में से 1 व्यक्ति ऐसा था जिनकी सूंघने की शक्ति वापिस नहीं आई।

लंबे समय तक पड़ रहा है सेंसेज पर प्रभाव
इससे पहले हुए शोधों में ये बात सामने आई कि जिनकी सूंघने की शक्ति कोरोना के दौरान चली गई थी उनमें से 50 फीसदी ऐसे लोग हैं जिन्हें 6 महीने पर भी भ्रम था कि वे ठीक से किसी भी चीज का स्वाद या गंध नहीं ले पा रहे हैं। डेली मेल पर पब्लिश हुए शोध के मुताबिक, बहुत से लोग हैं जिनकी सूंघने की क्षमता पर लंबे समय तक असर रह सकता है और ये भी ज्ञात नहीं है कि ये असर कितने महीनों या सालों में खत्म होगा।

स्मैल और टेस्ट जाने पर लोगों की प्रतिक्रियाएं
हाल ही में द मेल ऑन संडे के जीपी कॉलमिस्ट डॉ. ऐली कैनन ने जब यूजर्स से पूछा कि क्या उन्हें कोविड के बाद दीर्घकालिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ा है तो बहुत से लोगों ने इसका ‘हां’ में जबाव दिया। कुछ ने बताया कि वे स्मैल सेंस को वापिस लाने के लिए नोज़ स्प्रे और साइनस रिन्स का इस्तेमाल कर रहे हैं। कुछ को डर है कि वे कभी नॉर्मल नहीं हो पाएंगे। एक 46 वर्षीय महिला क्लेयर कार्टर के मुताबिक, 16 महीने पहले जब उन्हें कोविड हुआ था, उससे बाद से उनकी स्वाद और गंध की सेंस नॉर्मल नहीं हो पाई है, जबकि इसके लिए वे कई तरह के ट्रीटमेंट भी ले चुकी हैं। वहीं एक का कहना है कि कोविड पॉजिटिव होने के बाद सेंस ऑफ स्मैल एंड टेस्ट कभी आ रहा है कभी नहीं। एक का कहना था कि कोविड के बाद से आज तक ठीक से मेरी सेंसेज वापिस नहीं आ पाईं। वहीं 72 वर्षीय रिचर्ड टैकॉन का कहना था कि 13 महीने बाद भी वे कुछ भी सूंघने या किसी चीज़ का स्वाद लेने में असमर्थ हैं।

क्या है स्मैल और टेस्ट वापिस ना आने का कारण
एक्सपर्ट मानते हैं कि सर्दी और फ्लू जैसे कोविड वायरस से पीड़ित लोगों के लिए गंध या स्वाद चले जाना सामान्य है। यह आंशिक रूप से इसलिए है क्योंकि गले और नाक में सूजन गंध और स्वाद रिसेप्टर्स को भी बाधित कर सकती है। लेकिन कभी-कभी वायरस नाक के मार्ग में छोटी नसों को भी नुकसान पहुंचा सकते हैं। कोरोना वायरस खत्म होने के बाद भी ये लोगों की सेंसेज को काफी कम कर सकते हैं। शोधों में ये बात साबित हो चुकी है कि ऐसे लोगों की सेंसेज वापिस आने में कई साल भी लग सकते हैं।

क्या कहते हैं एक्सपर्ट
नॉर्विच मेडिकल स्कूल में स्मैल एंड टेस्ट लॉस्ट स्पेशलिस्ट प्रोफेसर कार्ल फिल्पोट कहते हैं कि कोरोना वायरस लंबे समय तक स्मैल संबंधी समस्याएं पैदा करने के लिए जिम्मेदार हो रहा है। यह समस्या बहुत अधिक ध्यान देने योग्य हो गई है क्योंकि मेरे पास अभी भी हर महीने सैकड़ों नए मरीज आ रहे हैं, जो गंध और स्वाद ना आने की समस्याओं से जूझ रहे हैं।

क्या है इसका इलाज
यूके में, उन सभी लोगों की स्मैल ट्रेनिंग शुरू हो चुकी है जिन्हें कोविड होने के बाद से लंबे समय से गंध और स्वाद हानि की समस्या आ रही है। गंध ना आने की कमी वाले 140 कोविड रोगियों के एक अमेरिकी अध्ययन में पाया गया कि दो महीने तक रोजाना दो बार कम से कम चार अलग-अलग गंध सूंघने से गंध ना आने की समस्या में सुधार हो सकता है। एक जर्मन शोध के मुताबिक, आठ सप्ताह तक नियमित रूप से विटामिन ए नोज ड्रॉप्सलेने से 14 प्रतिशत तक इस समस्या को ठीक करने में मदद मिल सकती है।

सूंघने की क्षमता जाने पर पड़ने वाला प्रभाव
प्रोफेसर फिल्पोट का कहना है कि लोगों को यह नहीं पता कि गंध और स्वाद को खोना आपको कितना कमजोर बना सकता है। खाने का आनंद नहीं लेने से पीड़ितों के रिश्तों और सामाजिक जीवन पर काफी प्रभाव पड़ता है। स्मैल ट्रेनिंग हर किसी के लिए काम नहीं करते हैं, इसलिए रोगियों को डिप्रेशन हो सकता है। कुछ लोग खाना कम खाना शुरू कर रहे हैं जिससे उनका वजन कम हो सकता है।
कई शोधों का अध्ययन करने के बाद और लोगों की प्रतिक्रियाओं के साथ ही डॉक्टर्स द्वारा दिए जाने वाले ट्रीटमेंट को ध्यान में रखते हुए शोधकर्ता इस नतीजे पर पहुंचे हैं कि बहुत ही कम लोग होंगे जिनमें गंध और स्वाद की हानि हमेशा बरकरार रहेगी। कुछ लोगों को इस समस्या से निजात पाने में 3 साल भी लग सकते हैं। वहीं कुछ लोग वैक्सीनेशन और डॉक्टर द्वारा दिए जाने वाले ट्रीटमेंट से भी ठीक हो सकते हैं।
