Chhattisgarh Millet Mission: मिलेट्स यानी मोटा अनाज हमेशा से हमारे दैनिक जीवन का हिस्सा रहे हैं। भारत के सुपरफूड कहे जाने वाले मिलेट्स में कई पोषक तत्व पाए जाते हैं इसलिए साल 2023 को अंतर्राष्ट्रीय मिलेट ईयर के रूप में मनाया जा रहा है। मिलेट उत्पादन को बढ़ावा देने की इस नई मुहिम में छत्तीसगढ़ एक नई पहचान बना रहा है।
कई पीढ़ियों से भारतीय खानपान का अहम हिस्सा रहे मिलेट्स कब थाली से गायब हो गए पता ही नहीं चला। मिलेट्स की पौष्टिकता और उसके फायदों को देखते हुए फिर से उसका महत्व लोगों तक पहुंचाने की कोशिश सरकारों द्वारा की जा रही है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर वर्ष 2023 को अंतर्राष्ट्रीय मिलेट ईयर के रूप में मनाया जा रहा है। सामान्यत: मोटे अनाज वाली फसलों जैसे- ज्वार, बाजरा, रागी, सावां, कोदो, कुटकी और कुट्टू को मिलेट क्रॉप कहा जाता है। मिलेट्स को सुपर फूड भी माना जाता है, क्योंकि इनमें पोषक तत्व अपेक्षाकृत अधिक मात्रा में होते हैं।
छत्तीसगढ़ देश का पहला राज्य है, जहां मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में मिलेट्स को लगातार बढ़ावा दिया जा रहा है। छत्तीसगढ़ में कोदो, कुटकी और रागी का ना सिर्फ समर्थन मूल्य घोषित किया गया, अपितु समर्थन मूल्य पर खरीदी भी की जा रही है। छत्तीसगढ़ राज्य लघु वनोपज संघ के माध्यम से प्रदेश में कोदो, कुटकी एवं रागी का न्यूनतम समर्थन मूल्य निर्धारित कर उपार्जन किया जा रहा है। इस पहल से छत्तीसगढ़ में मिलेट्स का रकबा डेढ़ गुना बढ़ा है और उत्पादन भी बढ़ा है।
छत्तीसगढ़ की बात करें तो मिलेट्स यहां के आदिवासी समुदाय के दैनिक आहार का पारंपरिक रूप से अहम हिस्सा रहे हैं। आज भी बस्तर में रागी का माड़िया पेज बड़े चाव से पिया जाता है। छत्तीसगढ़ के वनांचलों में मिलेट्स की खेती भी भरपूर होती है। इसे देखते हुए मोटे अनाजों के उत्पादन और उपभोग को प्रोत्साहित करने के लिए मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल की पहल पर मिलेट मिशन चलाया जा रहा है।
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हमने मिलेट फसलों की पैदावार बढ़ाने, इनकी खरीदी की अच्छी व्यवस्था सुनिश्चित करने और इनकी प्रोसेसिंग कर इन्हें शहर के बाजारों तक पहुंचाने के लिए मिलेट मिशन शुरू किया है। अब छत्तीसगढ़ देश का मिलेट हब बनने की ओर अग्रसर है

श्री भूपेश बघेल
मुख्यमंत्री, छत्तीसगढ़
कोदो, कुटकी और रागी जैसे अनाज की देश में अच्छी मांग

छत्तीसगढ़ में शुरू हुए मिलेट मिशन का मुख्य उद्देश्य प्रदेश में मिलेट (कोदो, कुटकी, रागी, ज्वार इत्यादि) की खेती के साथ-साथ मिलेट के प्रसंस्करण को बढ़ावा देना है। इसके अतिरिक्त दैनिक आहार में मिलेट्स के उपयोग को प्रोत्साहित कर कुपोषण दूर करना है।
प्रदेश में आंगनबाड़ी और मिड-डे मील में भी मिलेट्स को शामिल किया गया है। स्कूलों में बच्चों को मिड-डे मील में मिलेट्स से बनने वाले व्यंजन परोसे जा रहे है। इनमें मिलेट्स से बनी कुकीज, लड्डू और सोया चिक्की जैसे व्यंजनों को शामिल किया गया है।

छत्तीसगढ़ में मिलेट्स की खेती के लिए राज्य को राष्ट्रीय स्तर का पोषक अनाज अवार्ड 2022 सम्मान भी मिल चुका है। मिलेट मिशन के चलते राज्य में कोदो, कुटकी और रागी (मिलेट्स) की खेती को लेकर किसानों का रूझान बहुत तेजी से बढ़ा है।
प्रदेश में कोदो, कुटकी और रागी की खेती का रकबा 69 हजार हेक्टेयर से बढ़कर एक लाख 88 हजार हेक्टेयर तक पहुंच गया है। मिलेट उत्पादक किसानों को राजीव गांधी किसान न्याय योजना का लाभ भी दिया जा रहा है। इस किसानों को भी 9000 रुपये प्रति एकड़ की मान से आदान सहायता दी जा रही है।
लाइफ स्टाइल से जुड़ी बीमारियों और कुपोषण से बचाव में कारगर है ये अनाज

आईआईएमआर हैदराबाद के साथ छत्तीसगढ़ राज्य लघु वनोपज संघ के प्रयास से मिलेट मिशन के अंतर्गत त्रिपक्षीय एमओयू भी हो चुका है। छत्तीसगढ़ मिलेट मिशन के तहत मिलेट की उत्पादकता को दोगुना किए जाने का भी लक्ष्य रखा गया है। सीएसआईडीसी ने मिलेट आधारित उद्योगों को प्रोत्साहित करने के लिए कुछ चुङ्क्षनदा ब्लॉक में भूमि, संयंत्र एवं उपकरण पर 50 प्रतिशत सब्सिडी की योजना पेश की है।
आईआईएमआर हैदराबाद के डायरेक्टर डॉ. विलास ए तोनापी ने बताया है कि, ‘मौजूदा समय में लाइफ स्टाइल से जुड़ी बीमारियों और कुपोषण जैसी समस्या के निदान के लिए हमारे भोजन में फूड डायवर्सिटी बढ़ाने की जरूरत है। छत्तीसगढ़ में मिलेट मिशन के तहत जो काम हो रहे हैं वो मील का पत्थर साबित होंगे।Ó
उम्मीद है कि पीढ़ियों से हमारे स्वाद और सेहत का खजाना रहे मिलेट्स का स्वस्थ जीवन शैली के लिए महत्व को लोग समझेंगे और एक बार फिर यह हमारी दैनिक जीवन का हिस्सा होगा।
