Celiac Disease in Kids: केस स्टडी- 11 साल के करण को गंभीर डायरिया की प्राॅब्लम रहती थी जिसकी वजह से उसके पेट में ही नहीं, बल्कि पैरों में भी हमेशा दर्द रहता था। दूसरे बच्चों की तरह जंक फूड का शौकीन नहीं था और बाहर का खाना भी कम ही खाता था। फिर भी अक्सर उसे यह प्राॅब्लम रहती थी। उसके पेरेंट्स परेशान थे कि उसे घर का खाना खाना भी नहीं पचता था। उसके लिए अक्सर खिचड़ी या राइस बनाने पड़ते थे। डाइट ठीक न होने के कारण उसका वजन केवल 30 किलो और लंबाई 4 फुट 5 इंच थी।
डॉक्टर ने सबसे पहले उसकी पिछले एक महीने की डाइट को परखा। और उन्हें ब्लड टेस्ट और एंडोस्कोपिक बायोप्सी टेस्ट कराने की सलाह दी। फैमिली हिस्ट्री, टेस्ट की रिपोर्ट्स और जांच करने के बाद पता चला कि करण को सीलिएक बीमारी (Celiac Disease) है जिसे वह ग्लूटेन रहित डाइट अपनाकर काबू पा सकता है। शुरू में तो करण को गेंहू की रोटी छोड़ने में तो थोड़ी दिक्कत आई, लेकिन धीरे-धीरे वो इसका आदी हो गया। गेंहू-मुक्त डाइड को फॉलो करने के बाद करण के स्वास्थ्य में आश्चर्यजनक फायदे हुए। लगभग 3 साल के दौरान उसका वजन और लंबाई सामान्य लेवल तक पहुंच गयी और शरीर से जुड़ी अन्य दूसरी तकलीफें भी कम हुई।
क्या है सीलिएक बीमारी

फूड एलर्जी खासकर गेंहू एलर्जी- नाम सुनते ही आमतौर पर सभी सकते में आ जाते हैं क्योंकि एलर्जी होने पर अक्सर उस वस्तु के सेवन का निषेध कर दिया जाता है। फिर गेंहू या रोटी तो हमारे आहार का अहम हिस्सा है और एक स्वस्थ व्यक्ति उसके सेवन के बिना एक दिन भी नहीं रह पाता। लेकिन गेंहू से ये एलर्जी ऐसी है जो व्यक्ति की जीवन शैली ही बदल देती है। आंकड़ों के हिसाब से हर सौ में से एक व्यक्ति गेंहू एलर्जी से ग्रस्त होता है।
गेहूं एलर्जी वास्तव में पाचन संबंधी और ऑटो इम्यून डिसऑर्डर है जिसमें पीड़ित व्यक्ति गेंहू, राई, जौ, माल्ट और सूजी में मौजूद ग्लूटेन नामक प्रोटीन को पचा नहीं सकते। और वह छोटी आंत में अवशोषित होने के बजाय उसे नुकसान पहुंचाता है। इसे सीलिएक बीमारी या फिर सीलिएक स्प्रू या ग्लूटेन सेंसिटिव एंटरोपैथी भी कहा जाता है।
कारण और लक्षण
सीलिएक रोग में छोटी आंत आहार में मौजूद पोषक तत्वोें खासकर प्रोटीन के अवशोषण के प्रति अतिसंवेदनशील हो जाती है। सीलिएक रोग से ग्रस्त व्यक्ति जब ग्लूटेन युक्त आहार लेते हैं, तो उनका इम्यून सिस्टम ग्लूटेन के खिलाफ हो जाता है और छोटी आंत के उंगली जितने छोटे हिस्से विल्ली (Villi) को नुकसान पहुंचाता है। विल्ली पचे हुए आहार में मौजूद पोषक तत्वों को अवशोषित करती है अगर विल्ली ही क्षतिग्रस्त होगी तो स्वस्थ रहने के लिए जरूरी पोषक तत्वों की कमी तो होगी ही, दूसरी कई बीमारियां भी घेर लेेंगी। ऐसी स्थिति में एनीमिया, ऑस्टियोपोरोसिस, माइग्रेन, पेनक्रियाज, छोटी आंत का कैंसर, थायराइड, टाइप 1 डायबिटीज जैसी बीमारियां होने का खतरा बढ़ जाता है।
कैसे करें नियंत्रित

पूर्णतया गेंहू-मुक्त जीवन शैली अपनाने से सीलिएक बीमारी पर काबू पाया जा सकता है-
- दैनिक आहार में गेंहू और गेंहू के उत्पाद खाने से बचें। आप चावल, मकई, सोयाबीन, चना, कुट्टू, अरारोट, बाजरा, चैैलाई, फ्लेक्स सीड, चिया सीड, फ्री स्टीम कट ओट्स, टापयोका, बीन्स, सोरगम, क्योना, मिलट जैसी चीजें मिलाकर मल्टीग्रेन आटे की रोटी खा सकते हैं। यह रोटी स्वादिष्ट होने के साथ-साथ पौष्टिक भी होगी।
- आप रोटी की जगह बेसन का पूड़ा, मूंग दाल का चीला, उबले आलू मिलाकर मकई या कुट्टू के आटे की रोटी, चावल और उड़द दाल का डोसा, उत्तपम, साबुदाना जैसी चीजें ले सकते हैं।
- अगर आप ब्रेड, मैगी, नूडल्स, पास्ता, मैकरोनी , केक, कुकीज़ जैसी चीजें खाना चाहते हैं तो उसके पैकेट के लेबल पर चैक कर लें कि वो गेंहू, जौ या सूजी का न बना हो।
- चने, राजमा, सोयाबीन, लोभिया जैसी दालों का सेवन करें।
- नियमित रूप से भोजन में हरी पत्तेदार और रेशेदार सब्जियों का सेवन करना फायदेमंद है। दिन में करीब 2 कटोरी सब्जी और सलाद को अपने भोजन में जरूर शामिल करें। इनमें करेला, मेथी, चैलाई, पालक, बैंगन, बीन्स, मटर आदि खाना बेहतर है।
- रोजाना दिन में 2 मौसमी फल का सेवन जरूर करें। फाइबर से भरपूर फल आपके पाचन तंत्र को सुचारू रूप से चलाने में मदद करते हैं।
- नियमित तौर पर अलसी, अंजीर, अखरोट, बादाम , किश्मिश जैसे ड्राई फ्रूट्स जरूर लें।
- दिन मे कम से कम आधा लीटर दूध जरूर पिएं। दही, पनीर का सेवन ज्यादा करें। आप चाहें तो सोया, बादाम या कोकोनेट मिल्क, प्रोबेटिक दही भी ले सकते हैं।
- अगर आप मांसाहारी हैं तो चिकन, मछली जैसे व्हाइट मीट खा सकते हैं। मटन का सेवन से जितना हो सके बचें।
- अगर आप बाहर रेस्तरां या होटल में खाना खा रहे हैं या फिर डिब्बाबंद खाद्य पदार्थ इस्तेमाल कर रहे हैं तो ध्यान रखें कि उसमें ग्लूटेन की मात्रा ज्यादा से ज्यादा 20 पीपीएम हो। ध्यान रखें कि स्नैक्स, खाने के ऊपर की गई ड्रेसिंग, आइसक्रीम, स्वीट्स में गेंहू ,सूजी जैसी ग्लूटेन युक्त चीजों का इस्तेमाल न किया गया हो।
( डॉ शालिनी सिंघल, आहार विशेषज्ञ, डाइट एंड वेलनेस क्लीनिक, दिल्ली)
