हाई ब्लड प्रेशर तब होता है जब आपका ब्लड प्रेशर अन हेल्दी यानी सामान्य से बहुत अधिक लेवल तक बढ़ जाता है। आपका ब्लड प्रेशर आपकी ब्लड वेसल्स में कितना खून बह रहा है और हृदय खून पंप करते समय किस रेट पर है यह नापता है। संकीर्ण आर्टरीज आपके ब्लड प्रेशर को बढ़ाती है। जब आप का ब्लड प्रेशर बहुत अधिक बढ़ जाता है और उस का नियंत्रण करना थोड़ा कठिन हो जाता है तो इसे हम हाइपर टेंशन कहते हैं। इसकी अलग अलग स्टेज होती हैं जिनके बारे में आज हम बात करेंगे। अगर आपका ब्लड प्रेशर अधिक समय के लिए बढ़ा रहता है तो इससे आपको हृदय रोगों जैसे स्वास्थ्य रोग होने का रिस्क बढ़ जाता है। हाइपरटेंशन या अधिक बीपी बहुत कॉमन है और आपको आम तौर पर इसके ज्यादा लक्षण देखने की नहीं मिलते है। जब यह अपनी विकराल स्टेज में  आ जाता है तब आप को इसके कुछ लक्षण महसूस होने लगते हैं। लेकिन बिना लक्षणों के भी यह आपके ब्रेन, हृदय, आंखों और किडनी को डेमेज कर सकता है।

इसलिए आपको अपना बीपी चेक करवाते रहना चाहिए। इससे अगर आपको हाई बीपी की समस्या होगी भी तो उसे शुरुआती स्टेज में ही पकड़ लिया जायेगा और इससे आपका ज्यादा नुकसान होने से बच जायेगा।  तो आइए सबसे पहले हाइपरटेंशन के कारणों के बारे में जान लेते हैं।

हाइपरटेंशन के कारण

बीपी बढ़ने के दो प्रकार होते हैं और इन दोनों के ही अलग अलग कारण होते हैं।

प्राइमरी हाइपर टेंशन

यह समय के साथ साथ बढ़ता जाता है और इसका मुख्य रूप से कोई कारण नहीं होता है। लेकिन इसके निम्न कुछ कारण माने जा सकते हैं।

जीन्स: कुछ लोगों के परिवार में ही हाइपरटेंशन की समस्या होती है इसलिए वह अपने मां बाप से जेनेटिक हाइपरटेंशन पा लेते हैं।

शारीरिक बदलाव: अगर आपके शरीर में कुछ बदलाव होते है तो आपको अपने पूरे शरीर में कुछ गडबड महसूस होने लगते है। इन गड़बड़ या समस्याओं में से एक ब्लड प्रेशर होता है। उदाहरण के तौर पर ऐसा आपकी उम्र बढ़ने के कारण भी हो सकता है। उस समय आपको बहुत से शारीरिक बदलाव देखने को मिल सकते हैं।

वातावरण :अगर आपका लाइफस्टाइल बहुत खराब है और आप बहुत कम मात्रा में एक्सरसाइज करते हैं और बहुत अधिक उल्टा सीधा खाते रहते हैं तो आपको यह समस्या होने के अधिक चांस होते हैं।

सेकेंडरी हाइपरटेंशन 

यह अचानक से होता है और प्राइमरी हाइपरटेंशन से अधिक गंभीर होता है। यह निम्न कारणों की वजह से हो सकता है।

  • किडनी की बीमारी
  • स्लीप डिसऑर्डर।
  • हृदय से जुड़ी कोई समस्या
  • थायरॉयड के कारण
  • दवाइयों के साइड इफेक्ट्स की वजह से।
  • ड्रग्स और शराब का अधिक सेवन करने से।
  • एड्रिनल ग्लैंड की समस्या होने के कारण।

हाइपेंटेंशन के लक्षण

हाइपरटेंशन धीरे धीरे आपके शरीर में बढ़ता जाता है और इसे साइलेंट किलर भी कहा जाता है। बहुत से लोगों को इसके लक्षण पता लगने में कई कई साल लग जाते है। लेकिन अगर आपको निम्न लक्षण देखने को मिलते हैं तो आपको इन्हें इग्नोर नहीं करना चाहिए और इसका इलाज करवाने की शुरुआत आपको हल्के फुल्के लक्षण दिखने के बाद ही तुरंत कर देनी चाहिए नहीं तो यह अनियंत्रित भी हो सकता है और अगर यह अनियंत्रित हो जाता है तो आपको बहुत परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। इसके कुछ मुख्य लक्षण निम्न हैं।

  • सिर दर्द
  • सांस फूलना
  • नाक से खून आना।
  • चक्कर आना।
  • छाती में दर्द होना।
  • पेशाब में खून आना।

यह लक्षण सबको देखने के लिए नहीं मिलते है लेकिन अगर आप इनका इंतजार करते रहेंगे तो हो सकता है यह आपके लिए हानिकारक हो जाए। आपको हाइपरटेंशन है या नहीं यह जानने के लिए आपको नियमित रूप से बीपी चेक करवाते रहना चाहिए।

हाइपरटेंशन की स्टेज

हेल्दी: एक हेल्दी या सामान्य ब्लड प्रेशर की स्टेज 120/80 mm hg से कम होता है।

एलिवेटेड: इस स्टेज का सिस्टोलिक नंबर 120 से 129 mm hg के बीच होता है और डायस्टोलिक नंबर 80 mm hg से कम होता है। इस केस में आपको दवाइयों की नहीं बल्कि एक हेल्दी लाइफस्टाइल की जरूरत पड़ेगी।

स्टेज 1 हाइपरटेंशन: इस स्टेज में सिस्टोलिक नंबर 130 से 139 mm hg के बीच होता है और डायस्टोलिक नंबर 80 से 89 mm hg के बीच होता है।

स्टेज 2 हाइपरटेंशन: सिस्टोलिक नंबर 140 या उससे अधिक होता है और डायस्टोलिक नंबर 90 mm hg से अधिक होता है।

हाइपरटेंसिव क्राइसिस: सिस्टोलिक नंबर 180 mm hg से ऊपर और डायस्टोलिक नंबर 120 mm hg से ऊपर होता है।

हाइपरटेंशन का उपचार आप कैसे कर सकते हैं?

प्राइमरी हाइपरटेंशन: अगर आपके डॉक्टर आपको प्राइमरी हाइपरटेंशन के मरीज बताते हैं तो इस स्टेज में आपको दवाइयां आदि लेने की जरूरत नहीं होती है बल्कि अगर आप लाइफस्टाइल में बदलाव करेंगे तो उसी से आपका बीपी कम हो सकता है। अगर यह सब काम नहीं करता है तो आपके डॉक्टर आपको दवाई दे सकते हैं।

सेकेंडरी हाइपरटेंशन: इस अवस्था में आपको दवाइयों की जरूरत पड़ सकती है और आप निम्न दवाइयां ले सकते हैं।

डायरेटिक्स: यह एक ऐसे प्रकार का उपचार होता है जो आपके शरीर को अधिक फ्लूइड से राहत दिलाता है और इन ड्रग्स को बीपी की समस्या के लिए सबसे अधिक प्रयोग किया जाता है। इनके अधिक प्रयोग से आपको बहुत से साइड इफेक्ट भी देखने को मिल सकते हैं जैसे ग्लूकोज टॉलरेंस का कम हो जाना जिससे आपको डायबिटीज हो सकती है या हार्टबीट कम होना। आप एमीलोराइड, बुमेक्स, लासिज, लोजोल आदि दवाई ले सकते हैं।

बीटा ब्लॉकर: यह दवाइयां आपके बीपी और हार्ट रेट को कम करने में सहायक होती है। इनके ज्यादा सेवन से आपकी शुगर का लेवल कम हो सकता है इसलिए आपको हमेशा सावधानी से ही इनका सेवन करना चाहिए। इनके साइड इफेक्ट्स में अधिक थकान, डिप्रेशन, सांस लेने में दिक्कत आना आदि शामिल हैं।

कैल्शियम चैनल ब्लॉकर्स: यह आर्टरी मसल्स को रिलैक्स करते हैं और आपके ब्लड प्रेशर को भी कम करती हैं। दो मुख्य कैल्शियम चैनल ब्लॉकर्स का नाम हैं डायहाइड्रोपाइरिडाइन्स और नॉन-डायहाइड्रोपाइरिडाइन्स। 

इनके अलावा आप अल्फा ब्लॉकर्स और वसोडिलेटर्स का प्रयोग भी  कर सकते हैं।

कुछ घरेलू उपचार भी करें ट्राई

एक हेल्दी डाइट का पालन करना

 अगर आप एक हृदय को हेल्दी रखने वाली डाइट का पालन करते हैं तो इससे आपका बीपी कम हो सकता है। इसके लिए आप फल, सब्जियां, होल ग्रेन, प्रोटीन आदि चीजों वाली डाइट ले सकते हैं।

शारीरिक गतिविधियों को बढ़ाएं 

एक हेल्दी वजन मेंटेन करने के साथ साथ आपको अपनी शारीरिक गतिविधियां भी बढ़ानी चाहिए। इसके लिए आप एक्सरसाइज, वॉकिंग, डांसिंग या किसी खेल का प्रयोग कर सकते हैं। यह आपका वजन तो कम करेंगे ही साथ में आपके दिमाग को भी एक अच्छी अवस्था में और स्ट्रेस मुक्त रहने में मदद करेंगे।

एक हेल्दी वेट मेंटेन करें 

अगर आप चाहते हैं कि आपका बीपी सामान्य रहे तो आपको अपना वजन भी सामान्य ही रखना चाहिए। अगर आप एक संतुलित वजन बना कर रखते हैं तो इससे आपका बढ़ा हुआ बीपी भी कम या सामान्य हो सकता है  और आपको अन्य बीमारियां होने का रिस्क भी काफी कम हो जाता है।

स्ट्रेस मेंटेन करना: स्ट्रेस लेने की वजह से भी आपका बीपी बढ़ता है इसलिए अगर आप बीपी कम करना चाहते हैं तो आपको स्ट्रेस कम लेनी चाहिए। इसके लिए आप योग, मेडिटेशन, मसाज और डीप ब्रेथिंग जैसी तकनीकों का प्रयोग कर सकते हैं।

एक साफ लाइफस्टाइल का चुनाव करें: आपको अपना लाइफस्टाइल बेहतर बनाना चाहिए। इसके लिए आप अल्कोहल या धूम्रपान का सेवन कम करें और जंक फूड भी सीमा में ही खाएं और स्वस्थ जीवन जिए। जितना हो सके उतना घर का भोजन खाएं।

आपको हाइपरटेंशन पहचानने के लिए नियमित रूप से बीपी चेक करवाते रहना चाहिए और अगर यह शुरुआती स्टेज में है तो आपको अपनी लाइफस्टाइल में कुछ बदलाव करके इसे ठीक करना चाहिए नहीं तो हाइपरटेंशन आपके मुख्य ऑर्गन को नष्ट भी कर सकता है। इसलिए आपको स्ट्रेस कम लेनी चाहिए, हेल्दी डाइट लेनी चाहिए और बुरी आदतों जैसे शराब का सेवन और धूम्रपान को भी त्याग देना चाहिए। अगर हो सके तो आप नॉन वेज और मीट आदि कम से कम खाएं और ज्यादा से ज्यादा शाकाहारी भोजन का सेवन करें।

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