Hypertension: कई बार हमें मीठी-कड़वी बातों से होकर गुजरना पड़ता है। ऐसे में गुस्सा आना स्वाभाविक है। लेकिन गुस्सा अगर लत बन जाए तो इस पर विचार करना बेहद जरूरी है। ये हमारे शरीर के लिए अच्छा संकेत नहीं है। इससे हाई ब्लड प्रेशर बढ़ता है। आज के दौर में हर दूसरा व्यक्ति उच्च रक्तचाप की बीमारी की चपेट में है। इसकी मुख्य वजह है बदलता लाइफस्टाइल, स्ट्रेस, टेंशन और थकान, “साइलेंट किलर” के नाम से जानी जाने वाली इस बीमारी के बारे में हम विस्तार से बताएंगे। इसके लक्षण, और उपाय के बारे में जरूर जान लें।
1. हाइपरटेंशन के शुरुआती लक्षणों में देखा गया है कि व्यक्ति को सिर के पीछे और गर्दन में दर्द हो सकता है। इतना ही नही रोगी को सांस लेने में भी तकलीफ होने लगती है।
2. रक्तचाप बढ़ने पर धुंधला दिखने के साथ पेशाब में खून निकलने की समस्या हो सकती है।
4. उच्च रक्तचाप की वजह से रोगी को सिर चकराना, थकान और सुस्ती जैसे लक्षण दिखाई देते है।
5 हाईपरटेंशन में कई बार रात में नींद न आने के साथ दिल की धड़कनों के बढ़ जाने की भी दिक्कत सामने आती है।
हाइपरटेंशन का प्रमुख कारण स्ट्रेस और अनियंत्रित खानपान होता है। आमतौर पर घर से दूर रहने वालों में ये ज्यादा पाया जाता है।
1. नींद की कमी
2. मोटापा
3. अत्यधिक गुस्सा करना
4. नॉनवेज का अधिक सेवन
5. तेल की चीजें ज्यादा खाना

उच्च रक्तचाप साइलंट किलर’ के रूप में भी सामने आता है। क्या आप जानते है कि ये हमारे शरीर को किस तरह नई बीमारियों का आमंत्रण दे सकता है।
1.जब शरीर में खून का दबाव बढ़ता है तो हार्ट को सामान्य क्रम से अधिक काम करना पड़ता है। इस स्थिति में हार्ट को ज्यादा ब्लड पंप करना पड़ता है। हाई बीपी की वजह से कोरोनरी आर्टरी डिजीज और अन्य बीमारियां हो जाती हैं।
2.आप जानते होंगे जिस तरह हमारे दिल की सेहत के लिए रक्तचाप सामान्य और हेल्दी रहना जरूरी है, उसी तरह यह हमारे मस्तिष्क और विकास के लिए भी जरूरी है। लेकिन जब ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है तो दिमाग के एक हिस्से में ऑक्सीजन जम जाता है, जो स्ट्रोक का कारण बनती है।
3.अत्यधिक तानव और हाइपरटेंशन से डिमेंशिया यानी भूलने की बीमारी हो जाती है। इसके अलावा हाई बीपी से ब्रेन हेमरेज का खतरा बढ़ जाता है।
4. हाई ब्लड प्रेशर की वजह से किडनी भी फेल हो जाती है। इसकी वजह से किडनी तक जाने वाली नसे क्षतिग्रस्त हो जाती हैं। ऐसी स्थिति में किडनी खून को साफ नहीं कर पाती और उसमें मल जमा हो जाता है।
5. हाई ब्लड प्रेशर के कारण आंखों में मौजूद वेसल्स डैमेज हो जाती हैं। इस वजह से रेटिना तक ब्लड नहीं पहुंच पाता। ऐसी स्थिति में आंख से ब्लीडिंग होने लगती है। यहां तक कि आंखों की रोशनी भी जा सकती है।
वैसे तो इसका इलाज एलोपैथी में संभव है लेकिन हम इसके अलावा भी अपनी जीवन शैली में छोटे मोटे बदलावों के साथ इसके प्रभावों को आसानी से कम कर सकते है। कुछ विटामिनों, खनिजों, जड़ी-बूटियों के माध्यम से भी इसे रोका जा सकता है। इसके रोकथाम के लिए कुछ आसान से कदम उठा सकते हैं जैसे:
1. नमक कम खाएं:
उच्च रक्तचाप वाले व्यक्ति को ज्यादातर डॉक्टर कम नमक लेने की सलाह देते हैं क्योंकि ये स्टेज 1 उच्च रक्तचाप में बेहद मददगार है।
2.वजन कम करें:
आपका अत्यधिक वजन न केवल देखने में भद्दा लगता है बल्की ये स्वास्थ्य के लिए भी खतरनाक है। लगभग 20 पौंड वजन में कमी से सिस्टोलिक रक्तचाप को लगभग 10 से 20 मिमी तक कम किया जा सकता है।
3.अल्कोहल और धूम्रपान छोड़े:
अल्कोहल से ब्लड प्रेशर में 2–4 mm Hg की कमी देखने को मिलती है। धूम्रपान छोड़ने से ये सिस्टोलिक और डायस्टोलिक को कम करने पर प्रभाव पड़ता है।
4.योग, एक्सरसाइज को नियमित रूप से करें, इससे रक्तचाप 5 से 8 मिमी एचजी तक कम होता है।