पीरियड्स, प्यूबर्टी से डरना कैसा, बेटियों का रखें इस तरह ध्यान

उम्र के इस दौर में आपकी बिटिया के मन में ना जाने कितने ही सवाल दौड़ते रहते हैं। माता पिता का फर्ज बनता है ऐसे में अपनी बेटियों के मन की स्तिथि समझना।

काश पहले पीरियड्स के आने से पहले ही हमें इसके बारे में सब कुछ पता होता। क्या आप भी ऐसा सोचती हैं। हम बीते समय में तो नहीं जा सकते हैं। लेकिन आने वाले समय के लिए अपनी सयानी होती बेटियों को जरूर तैयार किया जा सकता है। इस तरह उनके मन से पीरियड्स और प्यूबर्टी का डर पूरी तरह से निकल जाएगा। उम्र के इस दौर में आपकी बिटिया के मन में ना जाने कितने ही सवाल दौड़ते रहते हैं। माता पिता का फर्ज बनता है ऐसे में अपनी बेटियों के मन की स्तिथि समझना।

Make them feel comfortable

आइये जानते हैं, कैसे आप सयानी होती बेटियों के लिए उनके उम्र के इस नाजुक दौर को यादगार बना सकती हैं।

Share your thoughts

परिवार के सदस्यों के सामने आज भी हर लड़की और महिला अपने पीरियड्स के बारे में खुल कर बात नहीं कर पाती है। अपने घर में एक सकारात्मक माहौल बनाएं रखें ताकि आपकी बड़ी होती बेटियां इस बारे में अपने परिवार के किसी भी सदस्य से खुल कर बात कर सकें और अपनी परेशानी बता सकें। ऐसा माहौल बना कर रखें की आपकी बिटिया के मन में अपने शरीर को ले कर जो भी सवाल चल रहीं हैं उनके बारे में वो हर सदस्य से खुल कर बात करे।

Take good care of you daughter

अपनी बिटिया को नए ज़माने की बात सिखाएं। पुरानी और दकियानूसी सोच से उसे डराएं नहीं। उसे सेनेटरी पैड का सही इस्तेमाल करने और उसे डिस्पोसे करने का तरीका भी समझाएं। उसके घर में इधर उधर जाने पर कोई रोक टोक न लगाएं। यहा बैठो वह नहीं, ये खाओ वो नहीं इस तरह की बातों से उसे परेशान ना करें। इस समय आपको उसका मनोबल बढ़ाने की बहुत जरुरत होती है।

Cleanliness

बिटिया को समझाएं की इस समय साफ़ सफाई का ख़ास ख्याल रखा जाना चाहिए। समय समय पर उसे पैड बदलना है। पैड इस्तेमाल करने के तरीके के साथ साथ उसे डिस्पोज़ करने का तरीका भी समझाएं ताकि हमारे आस पास भी साफ़ सफाई बनी रहे। पैंटी दिन में दो बार बदली जा सकती है। ऐसे समय के लिए कॉटन पैंटी का ही इस्तेमाल करें। नाखून काट कर रखें ताकि किसी तरह का इन्फेक्शन ना हो।

Hormonal changes

इस समय होर्मोनेस में काफी उतार चढ़ाव होने लगता है और साथ ही कई तरह के शारीरिक बदलाव भी होते हैं। इसी वजह से बच्चे चिड़चिड़े हो जाते हैं। बात बात पर गुस्सा करना, नाराज हो जाना, बात न सुन्ना, बहुत जल्दी इमोशनल हो जाना ऐसे बहुत से लक्षण इस उम्र की लड़कियों में दिखाई देते हैं। याद रखें आप भी एक समय ऐसे ही दौर से गुजरे थे। इसलिए इस समय थोड़ा धैर्य बनाये रखें और बच्चों की भावनाएं समझें। उन्हें प्यार से समझाएं ताकि उनकी भावनाएं आहत ना हों।

Food habits

इस समय अपने बच्ची को सम्पूर्ण आहार दें। घर पर बना स्वस्थ खाना जो हर तरह के पोषण से भरपूर हो, ऐसा खाना बच्चे के लिए काफी लाभदायक होता है। मौसम में आने वाले सभी फल और सब्जियां जरूर बच्चों के आहार में शामिल करें। उनकी दिनचर्या पर भी काम करें। समय पर उठना थोड़ा योग करना और अच्छा खाना उनकी सेहत को अच्छा बनाये रखेगा।

उत्तराखंड से ताल्लुक रखने वाली तरूणा ने 2020 में यूट्यूब चैनल के ज़रिए अपने करियर की शुरुआत की। इसके बाद इंडिया टीवी के लिए आर्टिकल्स लिखे और नीलेश मिश्रा की वेबसाइट पर कहानियाँ प्रकाशित हुईं। वर्तमान में देश की अग्रणी महिला पत्रिका...