किडनी रोगियों के लिए कौन सी दाल होती है सही?
Dal For Kidney Disease : किडनी मरीजों को अपने खानपान पर अधिक ध्यान देने की जरूरत होती है। आइए जानते हैं किडनी की परेशानी होने पर कौन से दाल का करें सेवन?
Pulses For Kidney Disease: किडनी डिसीज़ के लिए कौन सी दाल अच्छी है? अधिकतर लोगों के मन में यह सवाल होता है। आमतौर पर एक्सपर्ट से अक्सर यह सवाल पूछा जाता है कि किडनी से पीड़ित मरीजों को किस तरह की दाल का सेवन करना चाहिए। आपके मन में भी यह सवाल है, तो सबसे पहले आपको यह समझना होगा कि आपको किस तरह के आहार की जरूरत है।
प्रोटीन और किडनी के बीच संबंध

किडनी की पथरी और एक्यूट किडनी फेलियर जैसी स्थिति में खानपान पर विशेष ध्यान देने की जरूरत होती है। वहीं, दूसरे क्रोनिक किडनी डिजीज एक ऐसी स्थिति है, जिसमें खानपान और लाइफस्टाइल पर ध्यान दिया जाए, तो किडनी की कार्यप्रणाली धीरे-धीरे ठीक तरीके से कार्य करने लग जाती है। हम में से अधिकतर लोग इस बात से वाकिफ होंगे कि प्रोटीन हमारे समग्र शरीर के लिए हेल्दी साबित हो सकता है। यह हमारे शरीर के लिए प्रमुख घटकों में से एक है। प्रोटीन की मदद से ही बाल, नाखून, मांसपेशियां, हड्डियां आदि का विकास होता है।
हालांकि, प्रोटीन के पाचन से शरीर में कुछ अपशिष्ट पदार्थों का उत्पादन भी होता है, जिन्हें गुर्दे द्वारा फ़िल्टर करने की आवश्यकता होती है। ऐसे में अगर आप किडनी डिजीज से जूझ रहे हैं, तो आपको अपने खानपान पर विशेष ध्यान देने की जरूरत होती है। खासतौर पर प्रोटीन को लेकर अधिक सख्ती अपनाने की जरूरत है।
हमें यह समझना जरूरी है कि अगर आप अपने खानपान में पहले से ही प्रोटीन को कम मात्रा में शामिल करते हैं, तो किडनी डिजीज होने की स्थिति में प्रोटीन को कम करना शरीर के लिए हानिकारक हो सकता है। क्योंकि इससे कमजोरी और प्रतिरक्षा में कमी आएगी। इसलिए अपने आहार में प्रोटीन को जरूर शामिल करें। हालांकि, अधिक मात्रा में प्रोटीन को शामिल करने से बचना चाहिए। प्रोटीन युक्त भोजन करते समय 3 बातों का ध्यान रखना चाहिए।

- प्रोटीन आसानी से पचने योग्य होना चाहिए।
- इसे आसानी से अवशोषित किया जाना चाहिए।
- इसे कम से कम अपशिष्ट उत्पादों का उत्पादन करना चाहिए।
किडनी डिसीज़ और दाल
मांस और समुद्री भोजन में मौजूद प्रोटीन में उच्च मात्रा में सोडियम, क्रिएटिनिन और पोटेशियम होते हैं, जो खाने में मौजूद अतिरिक्त अपशिष्ट पदार्थ को छानने के लिए किडनी पर अधिक भार डालते हैं। इसलिए, मांस का सेवन सीमित मात्रा में करना चाहिए, विशेष रूप से अगर आप किडनी की परेशानी से जूझ रहे हैं, तो आपको मांस-मछली का कम मात्रा में सेवन करना चाहिए।

वहीं, प्रोटीन हमारे शरीर को वेजीटेरियन फूड्स से भी प्राप्त होता है, जिसमें दालें प्रमुख होती हैं। दालें किडनी रोगियों के लिए फायदेमंद होती हैं, क्योंकि इनमें मांस-मछली की तरह कम मात्रा में अपशिष्ट पदार्थ होते हैं, जिसे अपेक्षाकृत आसानी से पचाया जा सकता है। तो वापस इस सवाल पर आते हैं कि गुर्दे की बीमारी वाले लोगों को कौन सी दाल खानी चाहिए।
मूंग दाल (पीली दाल)
मूंग की दाल किडनी रोगियों के लिए प्रोटीन का सबसे अच्छा स्रोत साबित हो है। इसे चावल में मिलाकर खिचड़ी के रूप में खाना सबसे अच्छा विकल्प हो सकता है। दाल और चावल का संयोजन जरूरी अमीनो एसिड की आवश्यकता को पूरा करने में आपकी मदद करता है, जिससे यह किडनी रोगियों के लिए एक संपूर्ण प्रोटीन स्रोत बन जा सकता है।

अरहर दाल
अरहर की दाल कोलेस्ट्रॉल फ्री होती है और इसमें पर्याप्त मात्रा में प्रोटीन और फाइबर होता है। इसके अलावा, यह पाचन तंत्र पर भारी नहीं पड़ता है और हमारे पेट के स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए एक स्वस्थ विकल्प है। ऐसे में आप किडनी की परेशानी होने पर सीमित मात्रा में अरहर की दाल का सेवन कर सकते हैं।

मसूर दाल (लाल मसूर)
मसूर की दाल में उच्च मात्रा में फोलेट, पोटैशियम, ट्रिप्टोफैन, कॉपर, आयरन आदि होते हैं। हमारी किडनी को इन अतिरिक्त अपशिष्ट उत्पादों को बाहर निकालने के लिए अधिक मेहनत करने की जरूरत पड़ती है। इसलिए, किडनी की बीमारियों से पीड़ित मरीजों को मसूर दाल का सेवन कम मात्रा में करना बेहतर होता है।

उड़द दाल (ब्लैक ग्राम)
उड़द की दाल शरीर में यूरिक एसिड के उत्पादन को बढ़ाती है, जिसे किडनी को बाहर निकालना पड़ता है। इससे किडनी फेलियर से पीड़ित व्यक्ति की किडनी पर काफी ज्यादा प्रेशर पड़ता है। यह स्थिति किडनी रोगियों के लिए अच्छी नहीं मानी जाती है। इसके अलावा उड़द की दाल में बड़ी मात्रा में कैल्शियम, आयरन और पोटैशियम भी होता है, ऐसे में इसे किडनी मरीजों को सीमित मात्रा में ही खाना चाहिए।

चना दाल (चना)
चना दाल हमारे सिस्टम में पचने में काफी समय लेती है। ऐसे में जब आप किडनी की बीमारियों की बात करते हैं, तो चना दाल का सेवन कम से कम मात्रा में करना चाहिए। यह विटामिन ए, विटामिन सी, कैल्शियम और फाइबर से भरपूर होता है। ये सभी चीजें आम तौर पर हमारे स्वास्थ्य के लिए काफी ज्यादा फायदेमंद होताी है, लेकिन इन पोषक तत्वों की वजह से किडनी पर अतिरिक्त भार पड़ता है। खासकर डायलिसिस से गुजरने वाले व्यक्तियों को चना दाल से बिल्कुल ही दूरी बना लेनी चाहिए।

दाल खाते समय सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि आप जो भी दाल चुनें उसे पकाने से पहले पानी में अच्छी तरह से भिगोकर कुछ देर के लिए छोड़ दें। इससे दाल में पोटैशियम की मात्रा कम हो जाएगी, जिससे किडनी पर अतिरिक्त भार को कम किया जा सकता है। इससे आपको खाने में काफी लाभ भी होगा।
किडनी डिजीज से पीड़ित मरीजों को अपने खानपान के प्रति अधिक सख्त रहने की जरूरत होती है। विशेष रूप से उनके द्वारा खाए जाने वाले भोजन से आने वाले जहरीले उत्पादों की मात्रा को कम करने के की कोशिश करनी चाहिए। साथ ही एक उचित डाइट चार्ट का पालन करना चाहिए, इससे लंबे समय तक किडनी के कामकाज में सुधार लाया जा सकता है। साथ ही किडनी फेलियर की स्थिति से भी बचा जा सकता है। किडनी के रोगी के शरीर में अपशिष्ट पदार्थों के स्तर को कम करने के लिए पौष्टिक और संतुलित भोजन करना बेहद जरूरी है।

ध्यान रखें कि किडनी की परेशानी होने पर अपने डॉक्टर से उचित सलाह जरूर लें। अगर आपकी स्थिति काफी ज्यादा बिगड़ रही है, तो इस स्थिति में तुरंत अस्पताल जाएं।
