क्या आने वाले समय में किडनी ट्रांसप्लांट की जगह लेगी आर्टिफिशियल किडनी, क्या कहती है स्टडी
किडनी के सही से काम न करने पर किडनी ट्रांसप्लांट की जरूरत हो सकती है। लेकिन, इस प्रोसेस में रोगी को बहुत सी परेशानियां होती हैं। ऐसे में आर्टिफिशियल किडनी के बारे में क्या कहती है स्टडी, जानिए।
Artificial Kidney: किडनी हमारे शरीर का एक महत्वपूर्ण अंग है। जिसका काम शरीर से वेस्ट और अतिरिक्त फ्लूइड को रिमूव करना होता है। यही नहीं, किडनी उस एसिड को भी रिमूव करती है, जिसे हमारे शरीर के सेल्स प्रोड्यूज करते हैं। इससे हमारे खून में पानी, साल्ट और मिनरल्स जैसे सोडियम, कैल्शियम और पोटैशियम आदि का हेल्दी बैलेंस बना रहता है। कई बार कुछ समस्याओं के कारण किडनी ट्रांसप्लांट की जरूरत हो सकती है। अगर किसी व्यक्ति की किडनी सही से काम न कर रही हो, तो किसी डोनर की हेल्दी किडनी को इसकी जगह ट्रांसप्लांट किया जाता है। लेकिन, एक स्टडी के मुताबिक आने वाले समय में आर्टिफिशियल किडनी, किडनी ट्रांसप्लांट की जगह ले सकती है, जानिए इस स्टडी के बारे में जरूरी बातें।
किडनी ट्रांसप्लांट क्या है?
किडनी ट्रांसप्लांट एक सर्जरी को कहा जाता है, जिसमें किसी जीवित या मृत डोनर की हेल्दी किडनी को उस व्यक्ति में ट्रांसप्लांट किया जाता है जिसकी किडनी सही से काम न कर रही हो। किडनी राजमा के आकर के अंग होते हैं, जो हमारी रीढ़ की हड्डी के दोनों तरफ होते हैं। अगर किडनी अपनी फिल्टरिंग की क्षमता खो देती है, तो शरीर में हानिकारक फ्लूइड का लेवल बढ़ सकता है। जिससे ब्लड प्रेशर बढ़ सकता है और किडनी फेलियर की समस्या हो सकती है। किडनी ट्रांसप्लांटेशन से जुड़े जोखिम में सर्जरी और डोनर ऑर्गन का रिजेक्शन आदि शामिल है। यही नहीं, इससे जुड़े रिस्क्स में डोनेट की किडनी के रिजेक्ट होने से रोकने के लिए आवश्यक एंटी-रिजेक्शन मेडिकेशन के दुष्प्रभाव भी शामिल हैं। ऐसे में, माना जा रहा है कि आर्टिफिशियल किडनी कई रिस्क्स को कम कर सकती है।

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आर्टिफिशियल किडनी के बारे में क्या कहती है स्टडी, जानिए
आर्टिफिशियल किडनी, वो मकेनिकल डिवाइस है जो शरीर के बाहर ऑपरेट होता है और खून से वेस्ट पदार्थों को हटाकर किडनी को सब्स्टीट्यूट करता है। यानी यह किडनी, किडनी के सभी कामों को कर सकती है जिससे डायलिसिस की जरूरत खत्म हो सकती है। स्टडी के मुताबिक इस आर्टिफिशियल किडनी का प्रयोग किडनी ट्रांसप्लांट और डायलिसिस के रोगियों द्वारा किया जाएगा। स्टडीज यह भी बताती हैं कि यह किडनी फिल्ट्रेशन और कार्यो को अच्छे से करेगी। यही नहीं, इस किडनी को किसी बाहरी ट्यूब आदि की जरूरत नहीं होगी। यह किडनी की दो विशेषताएं हैं। एक को हेमोफिल्टर कहा जाता है, जिससे खून से हानिकारक तत्वों को बाहर निकाला जा सकता है। दूसरा फीचर है बायोरिएक्टर जो फ्लूइड को सही मात्रा में बनाए रखता है।
ऐसा पाया गया है कि आर्टिफिशियल किडनी को एक बार अगर किसी रोगी की बॉडी में लगा दिया जाता है, तो इससे उसे कोई समस्या नहीं होगी। यही नहीं, इसे कई सालों तक इसे ऑपरेट किया जा सकता है। अगर कोई परेशानी होती भी है, तो फिल्टर या अन्य सेल्स को रिप्लेस करने के लिए छोटी सी सर्जरी की मदद ली जा सकती है। यानी, स्टडी के मुताबिक आर्टिफिशियल किडनी को ट्रांसप्लांट करने से अधिक कोई भी प्रॉब्लम नहीं होने वाली। हालांकि, इससे रोगी को जख्म या इंफेक्शन जैसे हल्के साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं।

फ्यूचर में आर्टिफिशियल किडनी, किडनी के रोगियों के लिए अच्छा उपचार साबित हो सकता है। लेकिन, अभी इसके लिए थोड़ी इसके लिए थोड़ा इन्तजार करना होगा। उम्मीद है कि जल्द ही यह आर्टिफिशियल किडनी के आने से किडनी ट्रांसप्लांट में होने वाली परेशानियां कम हो जाएंगी।