Backward Walking : स्वस्थ रहने के लिए कई तरह की एक्सरसाइज की जाती हैं जिनमें से एक है-वाॅकिंग यानी पैदल चलना। आमतौर पर हम सभी वाॅकिंग नाॅर्मल तरीके से यानी आगे की ओर करते हैं। जो आसान भी है और फायदेमंद भी। लेकिन जब आप अपने कंफर्ट ज़ोन से निकलकर बिना मुड़े और बिना पीछे देखे उल्टा चलते हैं- तो यह रिवर्स वाॅकिंग आपके स्वास्थ्य के लिए अच्छा है। उल्टा चलना भले ही देखने में थोड़ा अटपटा लगे, लेकिन स्वास्थ्य के लिहाज से नाॅर्मल वाॅकिंग से कहीं ज्यादा फायदेमंद है।
नेशनल सेंटर फाॅर बाॅयोटेक्नोलाॅजी इंफाॅर्मेशन (एनसीबीआई) की एक रिसर्च के हिसाब से सप्ताह में कम से कम 5 दिन 10-15 मिनट के लिए उल्टा चलना व्यक्ति के शारीरिक-मानसिक स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है। इसके स्वास्थ्य लाभों को देखते हुए हैल्थ एक्सपर्ट रिवर्स वाॅकिंग के 100 कदम नार्मल वाॅकिंग केे 1000 कदमों के बराबर मानते हैं। मौटे तौर पर रिवर्स वाॅकिंग के फायदे इस प्रकार हैं-
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Backward Walking:है बेस्ट कार्डियो वर्कआउट

वास्तव में जब हम नाॅर्मल तरीके से आगे की ओर चलते हैं, तो हमारी आंखें और शरीर के अंग आपस में एक काॅर्डिनेशन में रहते हैं। चूंकि हम पीछे नहीं देखते, इसलिए उल्टा चलते समय आप अपनी बाॅडी के रेगुलर मूवमेंट से कुछ अलग हट कर रहे होते हैं। लेकिन उल्टा चलने से हमारा शरीर ज्यादा स्टेबल रहता है और ब्रेन के साथ बैलेंस बनाने में ज्यादा मदद मिलती है। शरीर के साथ बैलेंस बनाने या काॅर्डिनेशन करने में ब्रेन को ज्यादा अलर्ट रहना पड़ता है और उसका पूरा फोकस शरीर के मूवमेंट्स पर होता हैै। इससे दिमाग और शरीर के बीच समन्वय या काॅर्डिनेशन बेहतर होता है। रिसर्च से साबित हो गया है कि उल्टा चलने से ब्रेन के फंक्शन इम्प्रूव होते हैं, ब्रेन ज्यादा एक्टिव और स्वस्थ होता है। व्यक्ति की एकाग्रता , याद करने और सोचने की क्षमता धीरे-धीरे बढ़ती जाती है।
घुटनों के दर्द से दिलाए राहत

उल्टा चलने से ऑस्टियोआर्थराइटिस यानी घुटने की सूजन और दर्द में आराम मिलता हैै। बीएमसी मस्कुलर डिसऑर्डर मैगजीन में प्रकाशित एक रिसर्च के मुताबिक जिन लोगों के घुटनों में दर्द रहता है या कोई भी परेशानी है, उन्हें उल्टा चलने से दर्द में मदद मिलती है। यूनिवर्सिटी ऑफ मिलान और कार्डिक यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों का भी मानना है कि पीछे की तरफ चलने से घुटनों को थोड़ा सपोर्ट मिलता है और वहां एक तरह का कंपन महसूस होता है। जबकि आगे की ओर चलने पर घुटनों पर दवाब पड़ता है और दर्द होता है।
एडियों के दर्द में दिलाए राहत
इसी तरह रिवर्स वाॅकिंग में पीछे चलने पर पैर के एड़ी के बजाय पंजा पहले टिकाया जाता है जिससे एड़ी पर ज्यादा दवाब नहीं पड़ता। इससे एड़ी के दर्द में कुछ हद तक उन्हें राहत मिलती है।
पैर होते हैं मजबूत

हमारे पैरों के आगे-पीछे दोनों तरफ मसल्स होती हैं। सीधा या आगे की तरफ चलने से पैरों की केवल आगे की मसल्स का व्यायाम होता है, पीछे की मसल्स पर उसका कम असर पड़ता है। लेकिन उल्टा चलने पर पैरों की पिछली मसल्स में लगातार खिंचाव बना रहता है जिससे ये मसल्स भी मजबूत होती हैं। नेशनल लाइब्रेरी ऑफ साइंस, अमेरिका के मुताबिक उल्टा चलने से हर कदम पर पैरों की मांसपेशियां ज्यादा काम करती है जिससे पैरों की क्षमता सुधरती है। पैरों को ताकत और मसल्स को मजबूती मिलती है।
कमर दर्द में पहुंचाए आराम
किसी व्यक्ति की जांघों की मसल्स में लचीलापन नहीं होगा तो कमर में दर्द हो सकता है। उल्टा चलने से जांघों की मसल्स लचीली और मजबूत होती हैं। ये मसल्स रीढ़ की मांसपेशियों को सपोर्ट देती हैं और उल्टा चलने पर पीठ की मसल्स की अच्छी एक्सरसाइज होती है। जिससे कमर के निचले हिस्से में होने वाले दर्द में आराम मिलता है।
बाॅडी-पाॅश्चर होता है इम्प्रूव
उल्टा चलने से शरीर बैलेंस में रहता है और बाॅडी-पाॅश्चर इम्प्रूव होता है। आगे की तरफ चलते हुए अक्सर कंधे आगे की ओर झुके होते हैं। लेकिन उल्टा चलने पर कंधे बिल्कुल नही झुका पाते और बाॅडी-पाॅश्चर इम्प्रूव होता है। इससे हमारा शरीर पूरी तरह बैलेंस में रहता है।
मेंटल हैल्थ बनाए अच्छी

उल्टा चलते वक्त हमारा ब्रेन को आसपास के वातावरण और शरीर के साथ काॅर्डिनेशन करना पडता है। इसके लिए उसे काफी एक्टिव रहना पड़ता है। ब्रेन का फोकस एंग्जाइटी, डिप्रेशन जैसी मानसिक समस्याओं से हट कर बाॅडी को बैलेंस रखने पर हो जाता है। जनरल ऑफ फिजीकल साइंस के मुताबिक उल्टा चलने से हैप्पी हार्मोन निकलते हैैं जो हमें शांत रखने में मदद करते हैं। इससे मूड बेहतर होता है और नींद भी अच्छी आती है
वजन घटाने में सहायक
इच्छुक व्यक्ति कम समय में और कम मेहनत करके अपना वजन आसानी से घटा सकता है। नाॅर्मल वाॅकिंग की तुलना रिवर्स वाॅकिंग में तकरीबन 40 फीसदी ज्यादा कैलोरी बर्न होती हैं। उल्टा चलते समय व्यक्ति को अपने शरीर के आगे और पीछे के अंगों को एक साथ बैलेंस करना पड़ता है। जिसके लिए व्यक्ति अपने शरीर को टाइट करता है। शरीर का मेटाबाॅलिज्म बूस्ट होता है और व्यक्ति कम समय में ज्यादा कैलोरी बर्न करता है।
दूसरे अंगों को रखता है स्वस्थ
इंटरनेशनल जनरल ऑफ स्पोट्र्स मेडिसिन ट्रस्ट ने पाया कि उल्टा चलने से कार्डियोवेस्कुलर क्षमता और स्टेमिना में इजाफा होता है। हमारे शरीर को इस तरह चलने की आदत नहीं होती, इसलिए कम समय में अच्छी कार्डियोवेस्कुलर एक्टिविटी होती है। रिवर्स वाॅकिंग हार्ट को हैल्दी बनाने में मदद करती है। हार्ट रेट बढ़ जाती है। हार्ट ज्यादा तेजी से पंप करने लगता है जिससे शरीर के दूसरे अंगों में खून और ऑक्सीजन जल्दी सप्लाई होता है।
रिवर्स वाॅकिंग लंग्स की कार्यप्रणाली को बढ़ाने में मददगार है। उल्टा चलने पर व्यक्ति सीधा होकर या तन कर चलता है। जिससे उसके शरीर आगे झुकने के बजाय पीछे की ओर जाता है। उसके लंग्स में फैलाव आता है और ऑक्सीजन की प्रक्रिया सुचारू रूप से चलती है। रेस्पेरेटरी समस्याओं से जूझ रहे लागों के लिए फायदेमंद है।
महिलाओं के लिए उपयोगी

उल्टा चलते समय पैर जब पीछे रखा जाता है, तो पैर से लेकर पेट की नसों में खिंचवा आता है। इससे ओवरी, यूटरस जैसे अंगों में होने वाली समस्याओं में आराम पहुंचाता है।
रखें ध्यान
हालांकि रिवर्स वाॅकिंग हर उम्र के लोग कर सकते हैं। लेकिन डायबिटीज, डिमेंशिया जैसी बीमारियों से जूझ रहे लोग को इसके लिए अपने डाॅक्टर की सलाह जरूर लेनी चाहिए। क्योंकि इनके अंगों में सेंसेशन की कमी होती है, जो नुकसानदेय हो सकती है। इसके अलावा आम लोगों को भी उल्टा चलने में कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए-
- चलने की जगह खुली और समतल हो। ध्यान रखें कि पीछे कोई सामान न रखा हो और आसपास ज्यादा लोग न हों ताकि किसी से टकरा न जाए।
- शुरुआत में अपने घर में उल्टा चलना शुरू करें क्योंकि अपने घर और उसमें रखे सामान का पता होता है। घर में उल्टा चलने में काॅन्फिडेंस आने पर ही बाहर पार्क या खुली जगह जाएं।
- जरूरत हो तो दीवार पर हाथ टिका कर धीरे-धीरे छोटे-छोटे कदम लेकर चलें। काॅन्फिडेंस आ जाए तो दीवार का सहारा न लें।
- उल्टा चलते वक्त अपने शरीर को मरोड़ने या कंधे के ऊपर देखने की कोशिश न करें। सीधा देखें और उलटा चलें, पीछे मुड़कर न देखें। इससे बैलेंस बिगड़ सकता है और आप गिर भी सकते हैं।
- शुरू में 20 मीटर से ज्यादा दूरी में न चलें। इसके बाद अब धीरे-धीरे अपनी चलने की क्षमता को बढ़ा सकते हैं।
(डाॅ नरेश कुमार, जनरल फिजीशियन, एलएनजेपी अस्पताल, दिल्ली)
