Cancer in Women: महिलाओं में बढ़ते ब्रेस्ट कैंसर, ओवेरियन कैंसर और सर्वाइकल कैंसर के लिए जरूरी है कैंसर के लक्षणों को समय पर पहचानना, साथ ही अपने शरीर के संकेतों को समझना ताकि वक्त रहते इलाज हो सके।
कैंसर एक ऐसा शब्द, जिसको सुनते ही रोंगटे खड़े हो जाते हैं। एक ऐसी गंदी बीमारी जिसे पकड़ लेने पर अक्सर मुनष्य अपनी जीने की आशा तक खो बैठता है। कैंसर भले ही एक जानलेवा बीमारी है लेकिन इसका इलाज अंसम्भव भी नहीं। महिलाओं में प्रमुख रूप से 3 तरह के कैंसर होते हैं- सर्वाइकल कैंसर, ओवरी का कैंसर और ब्रेस्ट कैंसर।
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इस बारे में फोर्टिस हॉस्पिटल, मुलूंड के आंकोलॉजिस्ट डॉ. अनिल हैरूर का कहना है कि हर साल, लगभग 272,000 महिलाओं में कैंसर की पहचान की जाती है। जागरूकता के अभाव के चलते अंतिम चरणों में जाकर उन्हें उनकी बीमारी के बारे में पता चलता है। एडवांस स्टेज के कैंसर का इलाज करना काफी कठिन हो जाता है। महिलाओं को प्रभावित करने वाले कैंसरों में तीन कैंसर प्रमुख हैं। एक तो ब्रेस्ट कैंसर, दूसरा ओवेरियन कैंसर और तीसरा सर्वाइकल कैंसर। कैंसर महिलाओं के शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकता है स्तन, योनिमुख, योनी, गर्भाशय ग्रीवा, फैलोपियन ट्यूब या ओवरीज में।
ब्रेस्ट कैंसर
ब्रेस्ट कैंसर में स्तनों में गांठ, भारीपन और दर्द महसूस होता है। सबसे बड़ी पहचान दोनों स्तनों के आकार में फर्क दिखने लगता है। कई बार महिलाएं ब्रेस्ट कैंसर के लक्षणों का पता ना होने के कारण इसे नजरअंदाज कर देती हैं या फिर इस बात को स्वीकार नहीं करना चाहतीं कि उन्हें कैंसर है। इसलिए महिलाओं को यह सलाह दी जाती है कि खुद से अपनी जांच करना सीखें या नियमित रूप से जांच करवाने जायें। इससे शुरुआती चरण में ही पता करने में मदद मिलेगी, जिससे इलाज करना आसान हो जायेगा। जिन सामान्य लक्षणों की जांच करनी है उनमें शामिल हैं- स्तन पर गांठें होना। हालांकि, अधिकांश गांठें नुकसानदायक नहीं होती हैं, स्तन या निपल की त्वचा पर लालिमा या त्वचा का छिलकेदार होना, निपल का अंदर की ओर धंस जाना या त्वचा का सिकुड़ना आदि।शुरुआती पहचान मैमोग्राफी द्वारा संभव है, जिसमें छोटी-से छोटी गांठ का पता लगा सकते हैं। 45 से 65 साल की प्रत्येक महिला को हर दो साल में एक बार मैमोग्राफी करवाने की सलाह दी जाती है।
ओवेरियन कैंसर
ओवेरियन कैंसर व गर्भाशय कैंसर तब होता है जब घातक या मेलिग्नेंट सिस्ट गर्भाशय में उभरती है। आजकल ओवेरियन कैंसर से पीड़ित लड़कियों और महिलाओं की संख्या तेजी से बढ़ती जा रही है। कई बार सामान्य नजर आने वाला बदलाव भी कैंसर के लक्षण हो सकते हैं। अधिक उम्र की महिलाएं जो गर्भवती नहीं हुई हैं या जिनके चार या उससे अधिक बार प्रसव हुआ, उनमें गर्भाशय कैंसर होने की आशंका अधिक रहती है। इससे बचने के लिए महिलाओं को अपने मासिक चक्र पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है और साथ ही चक्र के दौरान अत्यधिक स्राव नजर आने पर भी। अन्य जिन लक्षणों पर ध्यान देने की जरूरत होनी चाहिए, वे हैं- पेट के निचले हिस्से का फूलना, मेनोपॉज की असामान्य उम्र, अपच, डिस्पेनिया/सांस लेने में तकलीफ होना, चक्कर आना, थकान, आदि।
सर्वाइकल कैंसर
सर्वाइकल कैंसर/गर्भाशय ग्रीवा का कैंसर उस स्थिति में उभरता है, जब गर्भाशय ग्रीवा में ह्ययूमन पेपिलोमा या एचपीवी वायरस के कारण कोशिकाओं की असामान्य वृद्धि हो जाती है। इसमें महिलाओं के बचने की उम्मीद काफी अधिक होती है। यदि इसका इलाज समय पर ना किया जाये तो यह शरीर के अन्य हिस्सों में भी फैल जाता है, इसलिये यह जरूरी है कि इस कैंसर की पहचान समय पर हो जाए। एक्टिव या पैसिव स्मोकिंग करने, मासिक चक्र खत्म होने के बीच में या फिर यौन संबंध स्थापित करने के दौरान रक्तस्राव होने, कई बार प्रसव होने, एचआईवी संक्रमण, गर्भनिरोधक गोलियां, पेडू में दर्द आदि की स्थिति में सर्वाइकल कैंसर होने का खतरा अधिक होता है। इसका जल्द पता लगाने का तरीका है पैप स्मीयर जांच। यह एक स्क्रीनिंग प्रक्रिया है जिसे महिला के सेक्सुअली एक्टिव होने के दौरान हर साल करवाना होता है। आजकल इसकी वैक्सीन भी उपलब्ध है, जोकि एचआईवी संक्रमण और कई प्रकार के सर्वाइकल कैंसर से बचाव करती है।
महिलाओं में होने वाले अन्य कैंसर
अन्य प्रकार के कैंसर जिनके होने की आशंका महिलाओं में होती है, वे हैं- गेस्टेस्टेशनल ट्रोफोब्लास्टिक डिजीज यजीटीडी, प्राइमरी पेरीटोनिल कैंसर, यूटेराइन/एंडोमेट्रियल कैंसर, वैजाइनल कैंसर, वुल्वर कैंसर, ब्लैडर कैंसर, लंग कैंसर, ब्रेन कैंसर, मैलानोमा ब्रेस्ट कैंसर, नॉन-हॉडकिन लिम्फोमा, कोलोरेक्टल कैंसर, पैनक्रियाटिक कैंसर, इसोफेगल कैंसर, प्रोस्टेट कैंसर, किडनी कैंसर, स्किन कैंसर, ल्युकेमिया थायरॉयड कैंसर, लिवर कैंसर, यूटेराइन कैंसर।
महिलाओं में कैंसर होने के कई कारण हो सकते हैं। इसके पीछे जेनेटिक, पर्यावरणीय पहलू या फिर परिवार की जीवनशैली से जुड़ा होता है। जीवनशैली यानी धूम्रपान या खान-पान की आदतें, गतिविधि के स्तर आदि का प्रबंधन करने का तरीका। इसलिए व्यक्ति को समय पर और नियमित जांच करवाने की सलाह दी जाती है।
कैंसर का उपचार के लिए अनेक पद्धतियों का सहारा लिया जाता है, सर्जरी के बाद कीमोथेरेपी किया जाता है। इसके बाद डॉक्टर्स कैंसर से लड़ने वाली दवाएं उचित मिश्रण में देते हैं, इसे ‘कॉकटेल भी कहा जाता है। यह कैंसर के स्वरूप और व्यक्ति को प्रभावित करने वाले चरण पर निर्भर करता है। कैंसर से पूरी तरह से बचाव का कोई तरीका नहीं है, लेकिन सही समय पर इसकी पहचान करने के लिये खुद को जागरूक करने की जरूरत है।
महिलाओं को इन लक्षणों पर विशेष ध्यान देना चाहिए-
1. स्तन में उठने वाले दर्द को महिलाएं अनदेखा न करें।
2. स्तन में किसी प्रकार की गांठ महसूस होती है तो डॉक्टर से संपर्क करें।
3. ध्यान दें निप्पल से किसी प्रकार का स्राव तो नहीं हो रहा है।
4. मासिक धर्म के दौरान हैवी ब्लीडिंग तो नहीं हो रही है।
5. अनियमित मासिक धर्म को कभी अनदेखा न करें।
6. मासिक धर्म के दौरान रक्त गलत मार्ग से आना।
7. पेट का हमेशा टाइट बना रहना या पेट के निचले हिस्से में दर्द महसूस करना।
8. थकान व सांस लेने में तकलीफ महसूस करना।
9. अक्सर मूत्र या मल के साथ रक्त का आना।
महिलाओं में होने वाले कैंसर की रोकथाम के लिए जरूरी है कि वे अपने शरीर में होने वाले बदलाव और संकेतों को समझें और सबसे महत्वपूर्ण बात उसे अनदेखा न करें। तुरंत डॉक्टर से सलाह लें ताकि समय रहते कैंसर को रोककर उपचार हो सके। इसी के साथ समय-समय पर चैकअप भी करवाएं।