क्या आप उन महिलाओं में से है जिन्हे पीरियड्स आने की बात से ही ड़र लगता है। उन दिनो की तकलीफ के बारे मे सोचते ही आप असहज हो उठ़ती है और आपके रोंगटे खडे हो जाते है।

    आप आने-जाने में, राजमर्रा के कामों में तकलीफ महसूस करती है। अधिकांश महिलाओं को अपने जीवन में इस दौर से गुजरना पडता है। ओवल्यूशन के दो से दस दिनों के भीतर जब मासिक धर्म शुरु होता है, उस से पहले महिलाओं में कुछ शारीरिक, भावनात्मक व मानसिक बदलाव देखे जाते है।

    प्री मेनेसूरियल सिन्ड्रोम को 1931 में मेडिकली माना गया था। अधिकांश महिलाओं में पेट में दर्द, ब्रेस्ट में गांठे, टांगो में सूजन, अपच, सिरदर्द पेट फूलना, मुहांसे जैसे शारीरिक और अवसाद, मूड स्टिंग्स, थकान, चिड़चिड़ापन, फूट-फूट के राने की ईच्छा, ज्यादा संवेदनशील हो जाना या अकेलापन जैसे मानसिक लक्षण दिखाई देते है।

    सभी महिलाओं में कमोबेश ज्यादा या कम यह लक्षण मासिक धर्म के पहले पाये जाते है जो  पीरियड््स शुरु होते ही खत्म हो जाते है। वैसे तो पी.एम.एस. का कोई कारण सामने नहीं आया है लेकिन कहा जाता है कि क्लिनिकल ओवेरियम एक्टीविटी के कारण यह समस्या हो सकती है।

    पी.एम.एस. को कम, मध्यम और गम्भीर की श्रेणी में बांटा गया है। पी.एम.एस. कम एंव मध्यम है तो पर्सनल सोशल और प्रोफेशनल लाईफ में नहीं आता पर यदि पी.एम.एस. गम्भीर हो तो प्रोफेशनल और सोशल लाईफ छोडने की नौबत आती है।
हमारी प्राचीन चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद में पी.एम.एस. का निदान उपलब्ध है। आयुर्वेद मात्र रोग निदान नहीं अपितु सम्पूर्ण जीवन दर्शन है जिसमें व्यक्ति की प्रवृत्ति के अनुसार रोगों का निदान किया जाता है।
    आयुर्वेद के अनुसार पी.एम.एस. की तकलीफे यानी शरीर में असन्तुलन। व्यक्ति में वात, पित्त और कफ का सन्तुलन यदि न रहे तो तरह तरह के विकार जन्म लेते है।

    आयुर्वेद लाईफ स्टाईल बदलने, खानपान, आहार-विहार, शारीरिक श्रम, योग व जडी बूटियों पर जोर देता है। आर्युर्वेद रत्न श्री गोविन्द दाधीच एंव श्री नरेन्द्र व्यास के अनुसार पी.एम.एस. का उपचार सम्भव है:-

पी.एम.एस. के कारण:-
1.    शरीर में विषाक्त तत्वों का जमा होना।
2.    सही पोशण का न मिलना।
3.    मन्द जठराग्नि या अपच
4.    नाडियों का असन्तुलन
5.    शारीरिक और मानसिक तनाव
6.    शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता में कमी
7.    शरीर की धातुओं में असन्तुलन।
पी.एम.एस. के लिए दवाईयां शुरु करने से पहले एक डायरी बनाईये। अपनी लाईफ स्टाईल बदलिए। खुद की तरफ ध्यान दीजिए।

विजातिय तत्वों का निष्कासन:-    अपने शरीर की प्रकृृति के अनुसार भोजन कीजिए। अक्सर शरीर में विषैले तत्व इन कारणों से जमा होते है:-
आसानी से न पचने वाला आहार, कमजोर पाचन तंत्र, असंतुलित मेटाबोलिज्म, मानसिक व शारीरिक तनाव। हर्बल तेल मालिष आपको पाचन क्रिया सही रखने में मदद कर सकती है।

सही पोषण:-    अपनी उम्र और पेशे के अनुसार सही विटामिन, मिनरल्स, पोषक तत्व व खाद्य पदार्थ लेने से शरीर रोगमुक्त रहता है। कई आयुर्वेदिक जडी बूटियां पोषण में मदद करती है।

सुदृृढ़ पाचन षक्ति:-    कहते है कि पाचन सही हो तो शरीर निरोग रहता है। शरीर की प्रकृृति के अनुसार खान पान से व्यक्ति स्वस्थ रहता है।

नाडियों का शोधन:-    शरीर में रक्त संचालन सही प्रकार से हो तो वह दर्द मुक्त रहता है। इसके लिए व्यायाम, योग आवश्यक है।

तनाव प्रबन्धन:-    तनाव सभी रोगों की जड है। तनाव से शारीरिक, मानसिक सन्तुलन गडबडा जाता है। पाचन कमजोर हो जाता है। अतः तनावमुक्ति का अभ्यास आवश्यक है।

लाईफ स्टाईल और रुटीन:-    सोना-जागना, खाना-पीना, उठना-बैठना यदि प्रकृृति के साथ हो तो व्यक्ति स्वस्थ रहता है इसीलिए अपनी दिनचर्या सही रखें।

एक्सरसाईज और योग:-    शारीरिक श्रम रक्त संचालन, नर्वस सिस्टम और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए आवश्यक है अतः जरुरी है कि आप किसी भी रुप में एक्सरसाईज जरुर करें।

    सही लाईफ स्टाईल के बावजूद यदि उन दिनों में आप अत्याधिक पीडा बेचैनी महसूस कर रही है तो अपनाईये यह उपाय –

काढ़ा:-    अजवाईन, सोया के बीज, गाजर के बीज, मूली के बीज पचास ग्राम लेकर समान मात्रा में पीस लें। एक ग्लास पानी में एक चम्मच यह मिश्रण उबालें। जब पानी आधा रह जाए तो छान के सुबह खाली पेट पी जाए। माहवारी आसानी से होगी व दर्द रहित होगी। पी.एम.एस. के कष्टों से भी निजात मिलेगी।

गोली- दवा:-    दो कासीसादी वटी गोली दिन में तीन बार लेने से आराम आयेगा।

चूर्ण:-    शंखवटी पांच रत्ती व शंखभस्म पांच रत्ती लें। एक कप में दस ग्राम गुड़ घोल के यह मिश्रण डालें और सुबह खाली पेट खाएं। माहवारी शुरु होने के तीन दिन पहले लेने से दर्द में आराम व मरोडों से राहत मिलेगी।

सीरप:-    आयुर्वेदिक औषधी अशोका कम्पाउन्ड व दशमूलारिष्ठ खाना खाने के बाद निर्देशानुसार लेने से ताकत आती है। सुपारीपाक एक चम्मच सुबह षाम लेने से पी.एम.एस. की तकलीफों से निजात मिलती है।

शहद:-    राजमर्रा के जीवन में शहद के उपयोग से महिलाओं में पी.एम.एस. से निदान के चैंकाने वाले नतीजे सामने आए है। शहद का सेवन पी.एम.एस. के लिए वरदान है।

केसर:- केसर के नियमित सेवन से महिलाओं में पी.एम.एस. में आराम आता है।

अजवाईन:-  पीरियड्स आने से पहले यदि एक चम्मच गरम पानी से सात दिन पहले से अजवाईन लेना शुरु कर दे तो पी.एम.एस. से निजात सम्भव है।

नमक:- नमक व कोल्ड ड्रिंक्स का सेवन पी.एम.एस. के दौरान कम कर दें। फायदा होगा।

मुहाॅसों में:- यदि पी.एम.एस. के दौरान पिम्पल्स की समस्या हो तो हरिटाकी, मिमिटाकी और चंदा जैसे आयुर्वेदिक जडी बूटियां मुहासों पर लगाएं आराम आएगा।

खटाई से परहेज:–    माहवारी शुरु होने के कुछ दिनों पहले अत्याधिक खटाई का सेवन बन्द कर दें लक्षणों में निश्चित रुप से फायदा होगा।

कटि स्नान:-    कमर तक पानी लेकर टब में बैठ जांए। बारी बारी से तीन बार गर्म और फिर ठन्डे पानी में कुछ देर बैठें। रक्त संचालन ठीक होने से पी.एम.एस. की समस्या से निजात मिलेगी।

गरम पानी का सेक:-    हाॅट वाॅटर बाॅटल से गर्म पानी का सेक कमर व नितम्बों पर पी.एम.एस. के दौरान करने से राहत मिलती है।

गुनगुना पानी:-    पी.एम.एस. के दौरान गुनगुना पानी पीने से लाभ होता है।

वात प्रवृृत्ति वाली महिलाएं पी.एम.एस. के दौरान तनाव, अवसाद, नींद की कमी, कब्ज, सिरदर्द आदि महसूस कर सकती है। मूड स्विंग्स भी हो सकते है। इन्हे फाईबर युक्त गर्म भोजन करना चाहिए एंव नियमित व्यायाम करना चाहिए।

कफ प्रवृत्ति वाली महिलाओं को थकान, भूख में कमी, सेन्सीटिवनेस व भारीपन महसूस हो सकता है। इन महिलाओं को भोजन में नमक कम करके कडवे खाद्य पदार्थो का उपयोग करना चाहिए। योग मुद्राएं जिससे दर्द कम होता हो आजमानि चाहिए।

पित्त प्रवृत्ति वाली महिलाओं को पी.एम.एस. के दौरान गुस्सा, चिडचिडापन, त्वचा पर चकत्ते, डायरिया, प्यास आदि महसूस होगी जिसे कम मसालेदार खाना कैफीन मादक पेयो से दूरी बना के ठीक किया जा सकता है।
पित्त प्रकृति वालों के लिए धनियां, कफ वालों के लिए आरार और वात प्रकृति वालों के लिए बहुपत्त्रीक चाय फायदेमन्द है।

तेल मालिश:-  आयुर्वेदिक तेलों की मालिश न केवल सौन्दर्यवर्धक बल्कि दर्द निवारक भी है। पी.एम.एस. के दौरान इन्हे करने से दर्द कम होता है और तनाव प्रबन्धित।

मेडिटेशन और रिलेक्सेशन:- मेडिटेशन से तनाव नियंत्रित होता है। अतः मेडिटेशन सीखें।

योग:- पी.एम.एस. के दौरान योग करने से फायदा होता है। वज्रासन आपकी पाचन शक्ति सुधारता है। वात प्रकृति वालों को सूर्य नमस्कार फायदा पहुंचाता है। भ्रामरी प्राणायाम खास तौर से इनके लिए लाभकारी है।
    पित्त प्रकृति वालों के लिए स्ट्रेच करने वाली यौगिक क्रियाएं फायदेकारक है। भुजंगासन व उष्ट्रासन खास तौर से लाभकारी रहेगी। इन्हे श्वासन करना फायदा देगा।
कफ प्रकृति वाले हल्का फुल्का योग खास तौर से अनुलोम विलोम प्राणायाम करें।
पी.एम.एस. कोई बीमारी नहीं एक बदलाव है। अपने षरीर को समझ कर तद्नुरुप उपाय करके आप अपने उन दिनों को बना सकती है सहज और जीवन को सुन्दर।