विश्व भर में अक्टूबर माह स्तन कैंसर जागरूकता माह के रूप में मनाया जाता है।

डॉ0 संगीता सक्सेना आचार्य एंव विभागध्यक्ष रेडियो डायग्नोसिस विभाग मेडिकल कॉलेज, कोटा स्तन इमेजींग के क्षेत्र में दो दशक से कार्य कर रहीं है। वे कहती हैं कि स्तन कैंसर को सामाजिक बुराई एंव शर्म के विषय के रूप में देखा जाता रहा है। संकोचवश महिलाएं जांच के लिऐ सामने नहीं आती। देश में स्तन कैंसर स्क्रीनिंग हेतु मानक दिशानिर्देशों का अभाव  और स्तन कैंसर के प्रति जागरूकता भी नहीं है। छोटे गाँवों एंव कस्बों में मूलभूत दैनिक सुविधाओं का अभाव है। स्तन कैंसर कभी भी किसी भी महिला को हो सकता है। गर्भावस्था में स्तनपान के दौरान स्तन में होने वाली गठानों को अनदेखा नहीं करना चाहिए।

महिलाएँं जिनमें स्तन कैंसर होने का जोखिम अधिक है।
जिन महिलाओं के निकट संबधियों में स्तन कैंसर होना पाया गया है उनको अधिक जागरूक रहने की आवश्यकता है।
ऐसी महिलाऐं जिनके परिवार में विभिन्न प्रकार के कैंसर का होना पाया गया है, उनमें स्तन कैंसर होने की संभावना अधिक रहती है।
महिलाएँ जिनके जीवन काल में इस्ट्रोजन हार्मोन का प्रभाव ज्यादा हुआ है। उनमें भी स्तन कैंसर होने की अधिक आंशका होती है।

स्तन कैंसर के संभावित कारण
परिवार के किसी अन्य सदस्य को स्तन कैंसर अथवा प्रोस्टेट, अण्डाशय, अग्नाशय, फेलोपियन ट्यूब (अण्डवाहिनी) का कैंसर, पाया जाना, विशेषकर छोटी उम्र में।
मासिक धर्म का जल्दी प्रांरभ होना (12 वर्ष से कम आयु में) और देरी से खत्म होना (54 वर्ष से अधिक आयु में )
महिलाएँ जिन्होंने नवजात को स्तनपान नहीं कराया एंव गर्भाधारण नहीं किया हो।
हारमोन रिप्लेसमेंट थेरेपी लेने वाली महिलाऐं।
महिला का पूर्व में स्तन कैंसर से ग्रसित होना।
मदिरा पान, धूम्रपान, मोटापा।
आनुवांशिक कारण (ठत्ब्।1 – ठत्ब्।2) इत्यादि।
विकिरण के दुष्प्रभाव।

स्तन कैंसर के चेतावनी चिन्हः- 
स्तन में गांठ का महसूस होना
स्तन में भारीपन महसूस होना।
स्तन में दर्द महसूस होना  एंव दर्द का लगातार बना रहना।
स्तन की त्वचा में बदलाव होना।
स्तन में गठान व बगलों (कांख) में गठान महसूस होना।
निप्पल अंदर की ओर धंसना व उससे कोई स्त्राव निकलना।
दोनो स्तनों के आकार में अंतर महसूस होना।
निप्पल से रक्तस्राव होना।

स्तनों का स्वंय परीक्षण
स्तनों का परीक्षण नियमित रूप से करना चाहिए (महीने में एक बार) सर्वाधिक उपयुक्त समय है, माहवारी के पांचवे दिन। इसमे थोड़ा ही समय लगता है। यदि आपको कोई छोटी गांठ इत्यादि महसूस होती है तो तुरन्त डॉक्टर को चेकअप करायें।

स्तन परीक्षण का तरीका
स्वंय स्तन परीक्षण हेतु अपने कमर से ऊपर के कपड़े हाटायें और एक कांच के सामने खड़े हो जायें। अब कांच मे ंगौर से निरीक्षण करें। स्तन के साइज व बनावट में कोई परिवर्तन तो नहीं है या स्तन की रूप रेखा में कोई परिवर्तन तो नहीं, यह भी देखें कि स्तनों में कोई गढ्ढा या सिंकुड़न तो नहींं हैं ? निप्पल अन्दर की ओर तो नहीं धंस रहा है।
अब दोनों हाथ िंसर के ऊपर उठा लें फिर सभी कोणो स्तन परीक्षण करें। देखें कि स्तन परीक्षण में अभी कोई परिवर्तन तो नहीं है। या फिर निप्पल से कोई डिस्चार्ज (स्राव) या रक्त स्राव तो नहीं है।
 अन्त में कांख (बगल) को भी अपने अगुंलियों के चपटे भाग से चैक करे। कोई सूजन या गठान तो नहीं है। 
 यदि आपके स्तन में कोई परिवर्तन हो, जैसे गठान या निप्पल डिस्चार्ज तो तुरन्त डॉक्टर से परामर्श करें। ध्यान रहें स्तन की ज्यादातर गठाने या परिवर्तन कैंसर के कारण नहीं होती। 

चिकित्सक द्वारा स्तन परीक्षण
प्र्रत्येक महिला जिसकी आयु 35 वर्ष या अधिक है, साल में एक बार अपने स्तनों की जांच चिकित्सक द्वारा करायें।
दो चिकित्सकीय जांचों के बीच में अंतराल में महिला में यदि स्तन में दर्दरहित गिठान, त्वचा के रंग में बदलाव, निप्पल का अंदर धंसना या निप्पल से किसी तरह का स्त्राव महसूस हो तो उसे तुरन्त विशेषज्ञ चिकित्सक से ंसंपर्क करना चाहिऐ क्योंकि शीघ्र निदान ही स्तन कैंसर का समाधान है। ध्यान रहे दोनो  स्तनो की एक साथ जांच कराना अत्यन्त आवश्यक है।

स्तन कैंसर इमेजिंग
1.    एक्स-रे मेमोग्राफी
2.    स्तन की सोनोग्राफी
3.    स्तन डत्प्
4.    एफ.एन.ए.सी, बायोप्सी
    यदि स्तन कैंसर का शुरूआती अवस्था में पता चल जाता है तो, स्तन संरक्षण सर्जरी कर जा सकती हैं। जिसमें शल्य क्रिया (ऑपरेशन) के दौरान ही पैथोलोजी की जांच से कैंसर का प्रकार व आकार निर्धारित करके स्तन का संरक्षण किया जा सकता है।
    एक बार स्तन कैंसर का पता चल जाने पर पूर्व यह निर्धारित करना आवश्यक होता हैं कि कैसंर शरीर के अन्य हिस्सों में फैल चुका हैं अथवा नहीं। इस हेतू संपूर्ण शरीर की सीटी स्कैन, एक्स-रे, पी0ई0टी0 स्कैन जैसी जांचें कराई जाती हैं। इन जांचो के नतीजो के आधार पर ही उपचार की योजना तैयार की जाती है। 

उपचार
सर्जरीः-
स्तन संरक्षण सर्जरीः- इस ऑपरेशन में पूरा स्तन हटाने की बजाए, सिर्फ कैंसर युक्त गांठ को हटाया जाता है।
मैस्टेक्टॉमीः- इस ऑपरेशन में पूरा स्तन निकाल दिया जाता है साथ में बगल की गठानें भी निकाल दी जाती हैं।
रेडियेशन थेरेपीः- इसका प्रयोग मुख्यतः सर्जरी के बाद किया जाता है ताकि पीछे बचने वाली किसी कैंसरयुक्त कोशिकाओं को नष्ट किया जा सके और कैंसर को फिर से होने से रोका जा सके।
कीमोथेरेपीः- इसका प्रयोग कैंसर की गठान के आकार को छोटा करने के लिये भी किया जाता है, ताकि स्तन संरक्षण सर्जरी की जा सकें।
स्तनपान कराना, स्तन कैंसर के प्रति रोकथाम में सहायक है।

उपचार के पश्चात्
स्तन पुनर्निर्माण सर्जरीः- यह ऑपरेशन के तुरंत बाद अथवा कुछ समय पश्चात् भी किया जा सकता है। यह हमेशा चिकित्सक से पूरी जानकारी लेने के बाद ही करवाना चाहिए। इसमें शरीर के किसी अन्य भाग से त्वचा लेकर स्तन का पुनर्निमाण किया जाता है। 
स्तन कैंसर से जुड़ी हुई भ्रांतियाँ
स्तन में होने वाली 80-85 प्रतिशत गठानें कैंसर की नहीं होती, परन्तु एक बार गठान पता चलने पर उसकी जाँच अवश्य करवा लें।
हालांकि स्तन कैंसर की ज्यादातर गठानें दर्दरहित होती है, परन्तु दर्द करने वाली गठानें भी कैंसर की हो सकती हैं।
स्तनपान के दौरान दूध की गठानों के अलावा, कैंसर की गठानें भी हो सकती हैं।
कैंसर की गठानें किसी भी उम्र में हो सकती हैं, मासिक धर्म शुरू होने के बाद, किसी भी उम्र में।
स्तन कैसंर के सिंर्फ 5-10 प्रतिशत रोगियों  के परिवार में स्तन कैंसर होना पाया जाता हैं, हालांकि आनुवांशिकी होने पर स्तन कैंसर का खतरा बढ़ जाता है।
मेमोग्राफी से स्तन कैंसर को सिर्फ पता चलता है, उपचार नहीं होता।
स्तनपान कराने से, ईस्ट्रोजन हॉर्मोन का प्रभाव कम होता है जिससे स्तन कैंसर होने की सम्भावना कम रहती है।
स्तन कैंसर के उपचार में कीमोथेरेपी में 1.5 लाख से 2 लाख रूपये (6 से 8 बार के लिए) खर्चा आता है और रेडियोथेरेपी में भी अनुमानित 1.5 लाख से 2 लाख रूपये तक का खर्चा होता है। लेकिन राजस्थान में उपचार सरकार द्वारा निःशुल्क जांच एंव दवाई योजना के अन्तर्गत लगभग निः‘शुल्क उपलब्ध कराया जा रहा है। रेडियोथेरेपी भी 600 से 1500 रूपये तक के नाममात्र के शुल्क पर उपलबध कराई जा रही हैं। 
अमेरिकन कैंसर सोसायटी के मानक दिशानिर्देशों के अनुसार
यदि महिला की आयु 25 वर्ष से कम है- वर्ष में एक बार चिकित्सक द्वारा स्तन की जाँच करवानी चाहिऐ। 
यदि महिला की आयु 25 वर्ष से 29 वर्ष है। हर 6-12 महीने में एक बार स्तन की चिकित्सक से जाँच करानी चाहिए। स्तन की डत्प् जाँच प्रतिवर्ष करानी चाहिऐ, यदि स्तन डत्प् की सुविधा उपलब्ध नहीं है तो एक्सरे मेमोग्राफी कराई जा सकती है।
यदि महिला की आयु 30 वर्ष या उससे अधिक है तोः- चिकित्सक द्वारा जाँच प्रति 6-12 महीने में, स्तन डत्प् एंव मेमोग्राफी प्रतिवर्ष करानी चाहिए।
भारतीय परिप्रेक्ष्य में, सोनोग्राफी बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि यहां युवा महिलाएें अधिक हैं, जिनके स्तन की सघनता अधिक होने से छोटी गठाने, मेमोग्राफी में दिखाई नहीं देती। ऐसी परिस्थिति में सोनोग्राफी जांँच से छोटी से छोटी गठानों का भी पता चल जाता है, 

स्तन कैंसर महिलाओं मे ंसर्वाधिक रूप से पाया जाने वाला कैंसर है और तुरन्त उपचार के अभाव में जानलेवा हो सकता है। स्तन कैंसर के प्राथमिक स्तर पर निदान एंव उपचार से ना केवल महिला की जान बचाई जा सकती हैं बल्कि उसका स्तन भी बचाया जा सकता है। यह आवश्यक है कि स्तन कैंसर का पता चलने पर बिल्कुल भी ना घबराये बल्कि पूर्णरूपेण इसका उपचार करवाये। उपचार के उपरान्त महिला सामान्य, खुशनुमा जिन्दगी व्यतीत कर सकती है। यह ध्यान रहे कि चिकित्सक की सलाह का अक्षरशः पालन किया जाये। कई महिलाएें संकोचवश स्तन सम्बन्धी रोगों को छुपाती है एंव जब बीमारी बेहद गंभीर रूप धारण कर लेती है तब चिकित्सक के समक्ष प्रस्तुत होती है। इसीलिए भारत में स्तन कैंसर से ग्रसित होने वाली दो में एक महिला की मृत्यु हो जाती है। यह अत्यन्त आवश्यक है कि इस सम्बन्ध में विलम्ब ना करें।
 महिलाऐं स्तन कैंसर से सम्बन्धित जानकारी को स्वंय तक सीमित ना रखें अपितु अन्य महिलाओं को भी इसके बारे में बताये ताकि किसी भी महिला की स्तन कैंसर की वजह से मृत्यु ना हो।
मित्र एंव परिजन महिला को मानसिक एंव भावनात्मक रूप से सम्बल प्रदान करें। महिला को सहानुभूति की बजाये उसका हौंसला बढ़ायें। स्तन कैंसर से डरे नहीं लडे़ं…………