‘दीपावली’ रोशनी व हर्षोल्लास का त्योहार है । यह बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है । ‘दीपावली’ का अर्थ है ‘दीपकों की पंक्ति’ । यह हिंदुओं का सबसे प्रमुख त्योहार है । सिक्ख व जैन धर्म के अनुयायी भी इसे मनाते हैं । पूरे संसार में हिंदू प्रतिवर्ष अक्टूबर या नवंबर माह में दीपावली का त्योहार मनाते हैं ।
हिंदू कैलेंडर के अनुसार, यह कार्तिक माह के पंद्रहवें दिन मनाई जाती है । यह दशहरे से ठीक बीस दिन बाद होती है । यह त्योहार पूरे पांच दिन तक मनाया जाता है-धनतेरस, नरक चतुर्दशी, दीपावली, गोवर्धन पूजा व भाईदूज ।
दीपावली का इतिहास
भगवान राम चौदह वर्ष के वनवास के बाद अयोध्या लौटे तो उनके आने की खुशी में दीपावली मनाई गई । वनवास के दौरान, उनकी पत्नी सीता को लंका का राजा रावण हर ले गया था । भगवान राम ने हनुमान, सुग्रीव व वानर सेना की मदद से रावण को हराकर सीता को मुक्त कराया व लक्ष्मण सहित अयोध्या लौटे ।
अपने राजा राम के आने की खुशी में अयोध्या की प्रजा ने दीपमाला प्रज्वलित की व मिठाइयां बांटीं ।

दीपावली फसल की परिपक्वता का भी सूचक है । देवी लक्ष्मी धन-संपदा की देवी हैं । आने वाले नए वर्ष की शुभ कामनाओं व आशीर्वाद के लिए उन्हें भी पूजा जाता है ।
एक प्रसंग के अनुसार, इसी दिन देवी लक्ष्मी समुद्र मंथन के दौरान क्षीरसागर से प्रकट हुई थीं । देवी लक्ष्मी अमृत सहित उन चौदह रत्नों में से थीं, जो समुद्र मंथन के दौरान निकले थे ।

दीपावली का पांच दिवसीय त्योहार
दीपावली से पहले घरों की साफ-सफाई, रंगाई-पुताई के बाद सजावट की जाती है । बच्चे नए कपड़े खरीदते हैं । चारों ओर हर्षोल्लास की धूम होती है । इन पांचों दिनों का अपना-अपना महत्त्व हैः
धनतेरस
यह पर्व धनतेरस से आरंभ होता है । धनतेरस की कथा बड़ी रोचक हैः
‘हीमा’ नामक एक राजा था । एक भविष्यवाणी हुई थी कि उसका पुत्र अपने विवाह के चौथे ही दिन मारा जाएगा । जब राजा के पुत्र का विवाह हुआ तो उसकी पत्नी ने तय किया कि वह अपने पति की प्राणरक्षा करेगी । उसने अपनी सच्ची भक्ति व विश्वास के बल पर यमराज को अपने पति के प्राण नहीं ले जाने दिए । उसने अपने सारे आभूषण उतारकर कमरे के द्वार पर रख दिए व महल की छत पर दीपक जला दिए ।

अपने पति को सारी रात जगाए रखने के लिए वह रोचक कहानियां सुनाती रही व मधुर गीत गाती रही ।
जब यमराज एक सांप के रूप में आए तो गहनों की चमक से उनकी आंखें चौंधिया गईं । जब उन्होंने महल की छत के रास्ते कमरे में जाना चाहा तो दीपकों की रोशनी से वे अंधे हो गए । सुबह तक सांप किसी तरह गहनों के ढेर तक आ गया, पर राजकुमार की पत्नी के मुंह से मधुर गीत सुनकर तो वह सब कुछ भूल गया ।

इस तरह युवती ने अपने पति के प्राण बचा लिए, तभी से धनतेरस पर दीपदान की परंपरा चली आ रही है तथा घर से बुरी आत्माओं को दूर रखने के लिए सारी रात तेरह दीपक जलाकर रखे जाते हैं । धनतेरस को ‘यमदान दीप’ भी कहते हैं और लोग अपने व परिवार की लंबी आयु के लिए यमराज की प्रार्थना भी करते हैं ।
इस दिन बर्तन, सोना, चांदी व अन्य घरेलू सामान खरीदना शुभ माना जाता है ।
नरक चतुर्दशी
धनतेरस के बाद नरक चतुर्दशी आती है, जो कि नरकासुर नामक राक्षस के वध से संबंध रखती है । इस दिन को छोटी दीपावली भी कहते हैं । नरकासुर भूदेवी का पुत्र था । उसने भगवान ब्रह्मा की तपस्या करके अनेक वरदान पा लिए थे । वह अपनी शक्तियों का गलत प्रयोग करते हुए आतंक फैलाने लगा । उसने अनेक स्त्रियों को बंदी बना लिया व यातनाएं देने लगा ।
सभी देवों ने भगवान कृष्ण से विनती की कि वे नरकासुर का अंत करें । राक्षस को वरदान प्राप्त था कि केवल उसकी मां भूदेवी के हाथों ही उसकी मृत्यु हो सकती थी ।

भगवान कृष्ण की पत्नी सत्यभामा ही भूदेवी का दूसरा जन्म थीं । वे युद्धक्षेत्र में पति के साथ गईं व भयंकर युद्ध के बाद नरकासुर को मार गिराया । भगवान कृष्ण व सत्यभामा की इस जीत की खुशी में ही दीपक जलाकर त्योहार मनाया गया । अब प्रतिवर्ष इसी जीत की स्मृति में यह त्योहार मनाया जाता है ।
दीपावली
नरक चतुर्दशी के बाद दीपावली का पवित्र दिन आता है । इस दिन अमावस्या होती है, इसलिए बुरी आत्माओं को भगाने के लिए दीपक जलाए जाते हैं । लोग अपने घरों को सुंदर दीपकों, मोमबत्तियों व कंदीलों से सजाते हैं । स्त्रियां घर के द्वार पर रंगों, फूलों व दीपकों से रंगोली सजाती हैं । रंगों से मां लक्ष्मी के चरण-चिन्ह बनाए जाते हैं । इस दिन अनेक मिठाइयां व पकवान भी बनाए जाते हैं ।

शाम को परंपरानुसार भगवान गणेश, भगवान कुबेर, भगवान राम व देवी लक्ष्मी का पूजन होता है । घर के सारे कीमती सामान की पूजा के बाद देवी लक्ष्मी को फल, मिठाई व मेवों का भोग लगाया जाता है । इसमें खुशबूदार फूल, फल, आम की पत्तियों, मिठाई व अगरबत्तियों का प्रयोग होता है । सभी लोग देवी लक्ष्मी का आशीर्वाद लेते हैं व अपना आभार प्रकट करते हैं ।
यह दिन बड़े उमंग व उत्साह से मनाया जाता है । घरों में दीपकों, मोमबत्तियों व बल्बों के प्रकाश से रोशनी की जाती है । परिवार के सभी सदस्य मित्रें सहित, खुले स्थानों में आतिशबाजी करते और अपने इष्ट-मित्रें व पड़ोसियों में मिठाइयां बांटते हैं । माना जाता है कि इस दिन जो घर सबसे अधिक सुंदर व रोशनी से भरपूर होता है, मां लक्ष्मी उसी घर में प्रवेश करती हैं ।

गोवर्धन पूजा
दीपावली के बाद अगला दिन गोवर्धन पूजा के रूप में मनाया जाता है । इस दिन भगवान कृष्ण ने अपने हाथ की छोटी अंगुली पर विशाल गोवर्धन पर्वत को उठा लिया था ताकि भारी वर्षा व तूफान से गोकुलवासियों की रक्षा हो सके । वह तूफान भगवान इंद्र के कोप के कारण था, क्योंकि उस वर्ष गोकुलवासियों ने हमेशा की तरह इंद्रदेव का पूजन नहीं किया था । गोवर्धन पूजा के दिन भगवान कृष्ण का पूजन किया जाता है व मंदिरों में लंगरों का आयोजन होता है ।

भाई दूज
पांचवां व अंतिम दिन भाई दूज के रूप में मनाया जाता है । इस दिन बहनें अपने भाइयों को तिलक करके, उनके शुभ कल्याण की कामना करती हैं । भाई भी बहनों के लिए प्रार्थना करते हुए उन्हें स्नेह से उपहार देते हैं । माना जाता है कि इस दिन यमदेव काफी लंबे समय के बाद अपनी बहन यमी से मिले थे ।
पांचों दिनों के ये उत्सव हमारे जीवन में सुख, समृद्धि व प्रसन्नता लाते हैं ।

दीपावली-पहले और अब
दीपावली हिंदुओं का सबसे बड़ा त्योहार है । हमारी भारतीय सभ्यता में अधिकतर त्योहार मनुष्य के आध्यात्मिक व सांस्कृतिक वृद्धि के लिए बनाए गए हैं । इनमें पूजा-पाठ पर अधिक बल दिया जाता है ।

कई त्योहार इसलिए मनाए जाते हैं कि सभी मिलकर परिवार की एकता व प्रसन्नता के लिए प्रार्थना कर सकें । रिवाज के रूप में हम दीपावली मनाने के लिए पटाखे फोड़ते हैं, किंतु इससे फैलने वाला वायु प्रदूषण तथा ध्वनि प्रदूषण हमारे लिए हानिकारक है ।
पटाखों से घरों, दफ्रतरों व दुकानों में दुर्घटनावश आग लग सकती है । प्रतिवर्ष पटाखों के कारण ही आग लगने के अनेक मामले सामने आते हैं । अनेक लोग घायल हो जाते हैं, नेत्रहीन हो जाते हैं या पटाखे चलाने में की गई लापरवाही जान तक ले लेती है ।
हमें दीपावली को सही मायनों में मनाने के लिए पटाखों को ‘न’ कहना चाहिए और पृथ्वी को प्रदूषण से बचाने के लिए एक सुरक्षित स्थान बनाने में योगदान देना चाहिए ।
इस त्योहार को मनाने का सबसे अच्छा तरीका यही है कि हम भले व नेक कार्य करें । हमें खिलौने, कपड़े, किताबें व मिठाइयां देकर गरीबों की मदद करनी चाहिए । दीपावली वाले दिन बड़ों को प्रणाम कर उनका आशीर्वाद लेना चाहिए ।

दीपावली हमारे प्रिय त्योहारों में से एक है । हम इसे अपने परिवार व इष्ट मित्रें सहित मनाना पसंद करते हैं । हमें इस त्योहार पर अपने घरों की सजावट करना, नए वस्त्र पहनना, मिठाइयां खाना व इष्ट मित्रें को उपहार देना बहुत अच्छा लगता है ।
दीपों का त्योहार दीपावली प्रसन्नता व समृद्धि लाता है । यह प्रेम, भाईचारे व मित्रता का संदेश देता है । हमें इस त्योहार पर अपने विचारों में पवित्रता लानी चाहिए और मजबूत व स्नेहपूर्ण रिश्तों द्वारा अपने जीवन में सुधार लाना चाहिए ।
हैप्पी दीपावली!

