कब है देव दिवाली 2023? इस दिन देवता धरती पर आकर मनाते हैं दीपावली, जानें इसका महत्व: Dev Deepawali 2023
Dev Deepawali 2023

Dev Deepawali 2023: कार्तिक माह में दीपावली के बाद कई प्रमुख व्रत त्योहार आते हैं। दिवाली के 11वें दिन देव उत्थान एकादशी व 15वें दिन देव दिवाली का पर्व मनाया जाता है। देव दिवाली को देवताओं की दीपावली भी कहते हैं। हर वर्ष कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को देव दिवाली का पर्व मनाते हैं। देव दिवाली पर दीयें जलाने की परंपरा है। इस दिन काशी में दीपोत्सव का कार्यक्रम मनाया जाता है।

पंडित दिनेश जोशी के अनुसार, मान्यता है कि देव दिवाली पर स्वर्ग के सभी देवता शिव नगरी काशी में आकर दिवाली मनाते हैं। इस दौरान गंगा नदी के घाट और मंदिरों में दीये जलाए जाते हैं। इस दिन स्नान, दान आदि का भी बड़ा महत्व है। कहते हैं इस दिन दीपदान करने से पूरे वर्ष शुभ फल मिलता है। जीवन में सुख—समृद्धि व सौभाग्य की प्राप्त होता है। धार्मिक शास्त्रों में देव दिवाली के पर्व का महत्व बताया गया है। तो चलिए जानते हैं इस बार देव दिवाली कब है? इसका महत्व और प्रचलित कथा।

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Dev Deepawali 2023
Dev Deepawali 2023 Date

हिंदू पंचांग के अनुसार, हर वर्ष कार्तिक मास की पूर्णिमा तिथि को देव दिवाली मनाई जाती है। इस बार कार्तिक पूर्णिमा तिथि 26 नवंबर को दोपहर 3 बजकर 53 मिनट पर प्रारंभ होगी, जो अगले दिन 27 नवंबर को दोपहर 2 बजकर 45 मिनट पर समाप्त होगी। शास्त्रों के अनुसार, देव दिवाली प्रदोष व्यापिनी मुहूर्त में मनाई जाती है। ऐसे में इस बार देव दीपावली का पर्व 26 नवंबर 2023 को मनाया जाएगा। जबकि, अगले दिन, 27 नवंबर को पूर्णिमा का व्रत व स्नान दान आदि होंगे। देव दिवाली का शुभ मुहूर्त शाम के समय प्रदोष काल में 5 बजकर 8 मिनट से लेकर 7 बजकर 47 मिनट तक रहेगा। इस दिन 11 या 21 या 51 आटे के दीये बनाकर उसे किसी घाट या या किसी नदी के किनारे प्रज्वलित करना चाहिए।

Dev Deepawali Importance
Dev Deepawali Importance

पंडित दिनेश जोशी बताते हैं कि धार्मिक ग्रंथों में देव दीपावली का वर्णन मिलता है। इससे जुड़ी एक पौराणिक कथा भी प्रचलित है। जिसके अनुसार, भगवान शिव ने कार्तिक माह की पूर्णिमा के दिन त्रिपुरासुर राक्षस का वध कर सभी देवताओं की रक्षा की थी। इसी खुशी में सभी देवताओं ने दीप जलाकर विजय उत्सव मनाया जाता है, जिसे देव दिवाली कहा जाने लगा।

यह भी मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव और अन्य सभी देवता धरती पर आते हैं और देव दिवाली के उत्सव में शामिल होते हैं। देव दिवाली का प्रमुख उत्सव काशी में मनाया जाता है, जहां भारी संख्या में लोग एकत्रित होते हैं और दीयें जलाकर देव दिवाली बड़े ही धूमधाम से मनाते हैं। देव दिवाली पर स्नान, दान पुण्य आदि का बड़ा महत्व है। इससे भगवान का आशीर्वाद प्राप्त होता है और जीवन में सुख—समृद्धि बनी रहती है।