Zwigato Review: कपिल शर्मा की तीसरी फिल्म ‘ज्विगाटो’ रिलीज हो गई है। लोगों के बीच कॉमेडी के जरिए अपनी एक अलग छवि बनाने वाले कपिल को शायद ही कोई न जानता हो। जहां वे छोटे पर्दे पर अपने शो से लोगों के दिलों पर राज करते हैं। वहीं अब तक उनकी आई फिल्मों से उनके हिस्से सिर्फ असफलता ही हाथ आई है। इस बार वे जानी मानी निर्देशक और अदाकारा नंदिता दास की फिल्म ‘ज्विगाटो’ में फिर अभिनय करते नजर आ रहे हैं। इस फिल्म को अप्लॉज प्रोडक्शन के बैनर तले बनाया गया है। एक आम आदमी की जिंदगी और उसकी समस्यओं की रोलरकोस्टर राइड में कपिल कितने खरे उतरे हैं आइए आपको बताते हैं।
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Zwigato Review: महामारी के जीवन असर और संघर्ष की कहानी
कपिल शर्मा की फिल्म ज्विगाटो का ट्रेलर रिलीज होने के बाद से उनके फैंस इस फिल्म का बेसब्री से इंतजार कर रहे थे। सभी को ट्रेलर के बाद से ही फिल्म की कहानी आकर्षित कर रही थी। महामारी का जीवन पर असर और आम आदमी को परिवार को चलाने के लिए छोटे से छोटे काम करने की जद्दोजहद की पीडा ने कहीं न कहीं हर किसी को छुआ है। फिल्म इस कहानी को दर्शकों के लिए लेकर आई है। इसमें कपिल शर्मा मानस का किरदार निभा रहे हैं। कोरोना महामारी के कारण मानस नौकरी से हाथ धो बैठता है। आठ महीने तक बेरोजगारी और लाचारी के बीच परिवार की जिम्मेदारी का बोझ उन दिनों की कहानी है। जैसे तैसे मानस को फूड डिलीवरी ऐप ज्विगाटो में खाना पहुंचाने का काम मिलता है। इसके बाद भी उसकी मुश्किलें कम होने का नाम नहीं लेतीं। यही फिल्म का मुख्य विषय है। बतौर फूड डिलीवरी ब्वॉय लोगों को किस तरह की मुश्किलों और जिल्लत का सामना करना पडता है ये फिल्म में दिखाया गया है। डिलीवरी में देर होने पर मानस की पगार से पैसे काट लिए जाते हैं। तो कभी कस्टमर्स के फीडबैक से उसकी कमाई पर असर होता है। कभी डिलीवरी आर्डर कैंसिल करने पर उसकी कमाई और इमेज प्रभवित होती है। इस सब के बावजूद भी मानस अपनी जॉब के प्रति ईमानदार रहता है और समय पर डिलीवरी पहुंचाने की पूरी कोशिश करता है। फिल्म में मानस की पत्नी प्रतिमा(शहाना गोस्वामी) घर के खर्चों में हाथ बंटाने के लिए नौकरी करती है। मानस को जीवन को पटरी पर लाने के लिए किस तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है और वो अपने परिवार के साथ कैसे इन समस्याओं से उभरता है, ये देखने के लिए आपको फिल्म देखने जाना होगा।
कैसी रही परफॉर्मेंस
बहुत कम ऐसे निर्माता हैं जो देश में आम लोगों की स्थिति को सिनेमा के जरिए लोगों तक पहुचाने का काम करते हैं। नंदिता दास ने अपनी तीसरी फिल्म में भी देश की गरीबी और खराब अर्थिक स्थिति को दर्शाने की हिम्मत दिखाई है। इसके पहले भी वे ‘फिराक’ और ‘मंटो’ के जरिए आम जिंदगी को पर्दे पर दर्शा चुकी हैं। नंदिता दास ने फिल्म में देश के अमीर और गरीब तबके के बीच का अंतर बेहद खूबसूरत तरीके से प्रस्तुत किया है। नंदिता अपली कोशिश में कामयाब रही हैं। हालांकि ये कहा जा सकता है कि फिल्म आम लोगों की तो है लेकिन मनोरंजन के हिसाब से नहीं है। नंदिता दास ने फिल्म में अमीरी और गरीबी के अंतर को दिखाने का प्रयास किया है।
वहीं लोगों को हंसाने वाले कपिल शर्मा ने मानस के किरदार को निभाने की ईमानदार कोशिश की है। जिंदगी से रोज लड़ने वाले आम इंसान के किरदार को उन्होंने सहजता से निभाया है। हालांकि इस बार भी शायद उनकी कॉमेडियन की ईमेज उनके आडे आ जाए। प्रतिमा के रोल में कपिल की पत्नी का किरदार निभा रही शहाना गोस्वामी ने भी अपने रोल के साथ पूरा न्याय किया है। समाज की कड़वी सच्चाई को फिल्म में कलाकारों ने अभिनय के जरिए बखूबी दिखाया है। कैसे पति और पत्नी जिंदगी की सभी मुश्किलों को मिलकर सुलझाते हैं और तमाम परेशानियों के बाद भी आम आदमी अपनी दुनिया में खुश रहता है।
कहां मात खाती है फिल्म
‘ज्विगाटो’ की कहानी दिल को छूती है लेकिन ऐसा लगता है कि कपिल की यह फिल्म फेस्टिवल के हिसाब से ज्यादा बनी है। वैसे भी नंदिता दास की पहली दो फिल्में भी कुछ इसी तरह की रही हैं। लगता है वे फिल्में सिर्फ लोगों को मैसेज देने के लिए बनाती हैं। फिल्म के कुछ हिस्से स्ट्रेच किए गए लगते हैं। कई जगह ऐसा भी लगता है कि डिलीवरी ब्वॉय की जिंदगी को फिल्म में सतही तौर पर दिखाया गया है।कपिल के फैंस उन्हें कॉमेडी करते देखना ज्यादा पसंद करते हैं। उन्हें इस संजीदा किरदार में देख उनसे कनेक्ट होना फैंस के लिए थोडा मुश्किल है।
क्यों देखें
आगर आप कपिल शर्मा के फैन हैं और उन्हें कॉमेडी के अलावा कुछ और करते देखना चाहते हैं। तो एक बार ये फिल्म देख सकते हैं। वहीं अब तक बहुत से लोग महामारी की मार से उबर नहीं पाए हैं ऐसी इमोशनल कहानी से कनेक्ट होने और एक आम जिंदगी को पर्दे पर देखने के लिए भी इस फिल्म को देखा जा सकता है।