Shama Sikandar
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Summary: शमा ने याद किया वो दौर जब वे जान देने पर तुल गई थीं

शमा सिकंदर ने डिप्रेशन और बायपोलर डिसऑर्डर से अपनी जंग का दर्दनाक अनुभव साझा किया। आत्महत्या की कोशिश से लेकर थेरेपी तक, उन्होंने खुद को फिर से पाया।

Shama Sikander News: एक्ट्रेस शमा सिकंदर ने हाल ही में देबिना बनर्जी के पॉडकास्ट में अपनी जिंदगी के एक बेहद गंभीर और भावुक अनुभव को साझा किया। शमा ने बताया कि उन्होंने बायपोलर डिसऑर्डर और डिप्रेशन से लंबी लड़ाई लड़ी है। एक समय ऐसा भी आया जब उन्होंने आत्महत्या की कोशिश की और उन्हें अस्पताल ले जाना पड़ा।

उन्होंने कहा, “मुझे बायपोलर डिसऑर्डर था। आप बहुत चिड़चिड़े हो जाते हैं। ये वो दबे हुए जज्बात होते हैं जिनका इलाज सही तरीके से होना चाहिए था।” अपने उस समय के भावनात्मक हालात के बारे में बताते हुए शमा ने कहा, “मैंने अपने लिए एक दुखद दुनिया बना ली थी। डिप्रेशन वो दुनिया थी जो मैंने खुद को बचाने के लिए बनाई थी। इसने मुझे सुन्न कर दिया था।”

उन्होंने माना कि उस दौर में वह मन से टूट चुकी थीं और एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री से नफरत करने लगी थीं। वे बताती हैं, “मैं बहुत उदास थी। मुझे इंडस्ट्री पसंद नहीं थी। यहां के लोग पसंद नहीं थे। सब खुद में ही लगे रहते थे। सबसे पहले मैंने दर्द सहा।” अपनी जिंदगी के सबसे अंधेरे पल को याद करते हुए शमा ने कहा, “मैंने नींद की बहुत सारी गोलियां खा लीं। मैं खुद को खत्म करना चाहती थी, लेकिन मैं बच गई। मुझे अस्पताल ले जाया गया। मेरे हाथ बांध दिए गए थे। जब होश आया, तो लगा… ये स्वर्ग तो नहीं हो सकता।”

वो बताती हैं, “4-5 घंटे तक मैं बेहोश थी। लोग मुझे उठा भी नहीं पा रहे थे क्योंकि बेहोश होने पर शरीर भारी हो जाता है। जब आंख खुली, तो मेरे पास एक बाल्टी रखी थी जिसमें जहर बाहर निकाला जा रहा था।” अस्पताल वालों ने उन्हें बांधने की वजह बताई कि वो हिंसक हो गई थीं।वो याद करती हैं, “बाद में मेरे माता-पिता आए। जब मुझे पूरी तरह होश आया, तो मैं सोच रही थी कि मैं फिर से इस दुनिया में क्यों हूं? मैं जीना ही नहीं चाहती थी।”

लेकिन यही पल उनके जीवन में बदलाव लाया। शमा ने कहा, “उसके बाद मैंने खुद को थेरेपी दिलवाई और पता चला कि मुझे बायपोलर डिसऑर्डर है। मुझे तो ये भी नहीं पता था कि साइकैट्रिस्ट (मानसिक चिकित्सक) होते हैं। मैं कई सालों तक खुद को खोया हुआ महसूस करती रही। इंडस्ट्री को लेकर बहुत गुस्सा दबा हुआ था।” शमा के बातचीत से एक बार फिर मुद्दा गरमा गया है कि मानसिक स्वास्थ्य कितना जरूरी विषय है और मदद मांगने या खुद को ठीक करने के लिए कितनी हिम्मत चाहिए होती है।

जिस बीमारी का जिक्र शमा ने किया है, यही मशहूर संगीतकार हनी सिंह को भी हुई थी। हनी सिंह को जिस दौर में बायपोलर डिसऑर्डर हुआ वो तो अपने करियर के पीक पर थे। पां-छह साल उन्होंने इससे लड़ाई की और आज भी काफी दवाइयां उन्हें लेना होती हैं। शमा ने जो सिमटम्स बताएं हैं यही हनी सिंह के भी थे। हनी सिंह को तो खुद की हत्या हो जाने का भी डर सताता था।

ढाई दशक से पत्रकारिता में हैं। दैनिक भास्कर, नई दुनिया और जागरण में कई वर्षों तक काम किया। हर हफ्ते 'पहले दिन पहले शो' का अगर कोई रिकॉर्ड होता तो शायद इनके नाम होता। 2001 से अभी तक यह क्रम जारी है और विभिन्न प्लेटफॉर्म के लिए फिल्म समीक्षा...