आपकी शादी के बाद जीवन में क्या बदलाव आया है?

 ऐसा तो नहीं है बहुत बड़ा बदलाव आया है. लेकिन हां हमारी दोस्ती लोगों से और ज्यादा गहरी हो गई है. मैंने बहुत ही कम लोगों में अपनी शादी की थी तो सिर्फ कुछ ही दोस्तों में फैमिली मेंबर उसमें शामिल थे. तब दोस्त आपके लिए जो जितना करता है सब लोग स्वार्थहीन होकर जुट जाते है की भाई मेरे दोस्त की शादी है. तो ये सब देख कर हमारी दोस्ती और ज्यादा गहरी हो गई. शादी में ये भी पता चल जाता है कि हम किसकी जिंदगी में कितने इम्पोर्टेन्ट है.

शादी के बाद आप कैसी गृहलक्ष्मी है?

मैं एक मल्टीटेलेंटेड गृहलक्ष्मी हूं. मुझे लगता है कि में सभी काम अच्छे से कर लेती हूं. मैं मल्टी टास्किंग हूं. मैं बहुत सचेत हूं. अगर आप सचेत होते है तो आप अपना काम काफी अच्छे से करते हैं. इसलिए ऐसा मुझे लगता है कि मैं सचेत हूं.

वर्क प्लेस पर भी आपका यही ओरा रहता है या अलग हो जाता है?

मैं वर्क प्लेस पर भी ऐसे ही रहती हूं क्योंकि मेरी पर्सनालिटी मल्टी टेलेंटेड है. मैं हमेशा कॉन्शियसनेस से अपनी जिंदगी बिताने की कोशिश करती हूं इसलिए लोग मुझे कहते है की आपका ओरा बहुत स्ट्रांग है. मेरी जिन्दगी का पहला मकसद यही है कि मैं सचेत रहूं. ऐसे में जब आप सचेत रह कर कुछ भी करते है तो सब चीज अच्छे से ही होती हैं.

 वर्क प्लेस पर भी करने के लिए बहुत सारी चीज़ें होती है. ऐसे में कुछ चीज़ें है जो मुझे आती है. उसके लिए मुझे काम नहीं करना पड़ा. वो कहते है ना कि पिछली ज़िन्दगी से आप कुछ सिख कर आते हैं. ऐसे कुछ चीज़ें है जो आती ही है. वहीं मेरा नेचर भी ऐसा है कि मैं बहुत हेल्पफुल हूं. मैं सब की मदद करती हूं. ऐसे में मेरे मल्टी टेलेंट और मल्टी फैसिनेट काम आते हैं.

पर्दे पर बहुत से किरदार निभाती हैं लेकिन असल जिंदगी में हम बहुत से किरदार निभाते हैं. अभी आप एक पत्नी हैं, बेटी भी हैं. तो अपनी प्रोफेशनल लाइफ के साथ आप यह रिश्ते किस तरह से निभाती हैं?

जब आप सचेत रहते हैं तो आप हर चीज को अच्छे से निभा पाते हैं. जैसे अभी मैं आपसे बात कर रही हूं तो मेरा पूरा ध्यान आपकी तरफ है. इसीलिए कॉन्शियस रहने से सब कुछ ठीक चलता है. डिफिकल्टीज आती है लेकिन आप उसे देख सकते हैं. इसलिए उसका हाल भी निकाल सकते हैं. हमारे अंदर की कॉन्शियसनेस हमारी प्रॉब्लम को कम करती है.

मैं यही कहूंगी कि मैं शुरू से अपने रूल्स निभाने में बहुत अच्छी हूं और मैं जिम्मेदारी अच्छे से निभाती हूं. लोग मुझे कहते हैं कि तुम इतनी आसानी से कैसे कर लेती हो. मैं किसी भी चीज को लेकर नहीं बैठ सकती. मैं कभी भी विक्टिम मोड में नहीं आना चाहती. यह मेरी जिंदगी है इसलिए मुझे ही सारी चीजें हल करना है.

पर्सनल लाइफ के वर्क और प्रोफेशनल लाइफ के वर्क को कैसे मैनेज करती हैं?

मैं दिन में दो बार मेडिटेशन करती हूं योगा करती हूं. जब आप उठने के बाद मेडिटेशन करते हैं तो आपमे एनर्जी और संतुलन बना रहता है जिससे आप हर चीज अच्छे से हैंडल करते हैं. रात में सोते वक्त भी मैं एक बार मेडिटेशन करती हूं और दिन भर में जो हुआ उन सब को याद करके क्या समस्या है और उन्हें मैंने कैसे सुलझाया इन सब बातों को समझती हूं.

मैं अपने काम की जगह काम को रखती हूं और घर की जगह घर को रखती हूं. मुझे नहीं लगता कि हम सिर्फ काम कर रहे हैं तो वही करना चाहिए या घर चला रहे हैं तो वही चलाना चाहिए या फिर एक ही चीज में घुस कर रह जाना चाहिए. मुझे लगता है कि हमारी जिम्मेदारी हर जगह संपूर्ण होनी चाहिए. आप एक नहीं है आप बेटी भी हैं पत्नी भी हैं मां भी हैं. आप इतने सारे रोल निभा रहे हैं ऐसे में अगर आप एक की तरफ ध्यान देंगे और बाकी ऊपर नहीं तो यह अच्छी बात नहीं है. मेरे डिप्रेशन बाइपोलर के वक्त मैंने बहुत सारी बातें सीखी. मैंने समझा कि यह जो हमारी स्प्रेस्ड एनर्जी होती है यही हमें परेशानी देती है हमें एंग्जाइटी देती है, डिप्रेशन पैदा करती है केमिकल इंबैलेंस लाती है. अगर हम हर चीज को बैलेंस करके रखें और इन द मोमेंट जीना सीख जाएं, एक वक्त में एक चीज पर ध्यान दें तो सब कुछ अच्छे से चलता है. मेडिटेशन से इन सब में बहुत हेल्प मिलती है.

फैंस हमेशा स्टार की उपरी चमक-धमक देखते हैं. उनके अंदर क्या चल रहा है यह बात वो नहीं जानना चाहते. अपने डिप्रेशन के दौरान आपने किस तरह चीजे हैंडल की?

आज से 15-16 साल पहले मुझे इस शब्द के बारे में जानकारी मिली और मुझे पता चला कि डिप्रेशन नाम की भी कोई चीज होती है और बाइपोलर डिसऑर्डर भी एक चीज है. इस बारे में हमें नहीं पता था ना हमारे आसपास किसी ने इस बारे में बात की थी और ना कभी सेट पर यह चीज सुनने को मिली थी. दुनिया घूमने के बाद भी हम सिर्फ फिजिकल इलनेस के बारे में जानते थे, मेंटल इलनेस के बारे में पता नहीं था. जब मैं इन सब से गुजर रही थी तो मैं सो नहीं पाती थी, मुझे किसी से मिलना नहीं होता था. मेरा लोगों से कनेक्शन टूट गया था मैं बस घर के अंदर बैठकर रोना चाहती थी. किसी की शक्ल नहीं देखना चाहती थी. मुझे लगता था कि दुनिया खराब है यहां रहना ठीक नहीं है. मेरे अंदर का प्यार खत्म हो चुका था. उस दौरान मैं समझ नहीं पा रही थी कि मेरे साथ क्या हो रहा है तब मेरे एक दोस्त जो साइकोलॉजी डिग्री होल्डर हैं. उन्होंने मुझे यह बताया जब मैंने खुदकुशी करने की कोशिश की. क्योंकि लगातार 2-3 सालों से मुझे कोई डायरेक्शन नहीं था कि मुझे क्या करना है. इस तरह से आपके सारे डिजायर भी मर जाते हैं. दिन पर दिन जिंदगी भारी लगने लगती है. आपको लगता है कि आप एक वेजिटेबल की तरह है जो उठते हैं खाना खाते हैं और सो जाते हैं आपका कोई मतलब नहीं है. तो यह सवाल मेरे दिमाग में आते थे कि मेरी लाइफ का क्या मतलब है. मैं क्या हूं मैं करती हूं या मुझे ये गिफ्ट क्यों मिला है.

जब मैंने खुदकुशी करने की कोशिश की तब मेरे दोस्त ने मुझे कहा कि शायद तुम बाइपोलर डिसऑर्डर से पीड़ित हो. मैंने उससे पूछा कि यह क्या होता है. तब उन्होंने बताया कि केमिकल फ्लकचुएट होते हैं. अगर थोड़ी भी फ्लकचुएशन होती है तो हमारे अंतर्मन की शांति भंग हो जाती है. एंग्जाइटी हमें डिप्रेशन की तरफ ले जाती है. इसके बाद आपने जितनी भी चीजें अपने अंदर छुपा रखी हैं वह सब धीरे-धीरे करके बाहर आने लगती है. जब मुझे पता चला तो मैंने थैरेपी करना शुरू की, मैंने कॉपरेटिव थैरेपीज की. इसका मतलब होता है कि मैं क्या हूं. जो डॉक्टर और सायकायट्रिस्ट होते हैं वह आपको एक डीप मेडिटेटिव स्टेट में ले जाकर आपकी सबकॉन्शियस माइंड से आपको परेशान कर रही चीजों को बाहर लाकर उनके साथ डील करना सिखाते हैं.

 एक-एक करके सब चीजें बाहर आई तो मुझे पता चला कि यह तो बचपन का ट्रॉमा है. जब हम 4-5  या 7 साल के थे. लोगों को लगता है कि जब कोई पहाड़ टूटेगा वो ही ट्रॉमा है. मैं जब लोगों से पूछती हूं तो वह कहते हैं हमे कुछ नहीं है, यह कैसी बात कर रही हो. लेकिन फिर भी वह बोलते हैं कि मुझे एंग्जाइटी या डिप्रेशन है, ये सब चीज है तो कुछ तो गलत हुआ होगा तुम्हारे बचपन में ये मान कर चलो. मुझे नहीं लगता कि कोई भी ऐसा इंसान होगा जिसे कोई ट्रॉमा ना हो. हम सब एक दूसरे को रोज अफेक्ट करते हैं, रिफ्लेक्ट करते हैं. अगर आपको ट्रॉमा होगा तो मुझे बैठे-बैठे आपको देखते हुए ट्रॉमा हो जाएगा. ऐसा इसलिए क्योंकि हम इंसान हैं और हम एक दूसरे की भावना से जुड़े हुए हैं. जब हम स्क्रीन पर फिल्मों में कोई चीजे देखते हैं, तो हम हंसते हैं, हम रोते हैं. जबकि हम जानते हैं कि वह चीजें नकली हैं.

यह सब जो मेरे सामने आया तो मुझे लगा कि जब यह मुझे नहीं पता है. मैं अपनी दुनिया में घूमी हूं रोज इतने लोगों से मिलती हूं. तो घर में बैठे कुछ ऐसे लोग होंगे जो इस चीज से जूझ रहे होंगे लेकिन वह इस बारे में जानते ही नहीं हैं. मैंने अब तक सुना था कि वह पागल हो गया है, वह पागल हो गई है या उन्हें भूत लग गया है, वो अजीबोगरीब हरकत करते हैं. मैंने कभी नहीं सुना किसको मेंटल हेल्थ की प्रॉब्लम है. लेकिन फिर भी मेरे अंदर से एक आवाज आती थी कि हो सकता है दुनिया में कोई और ऐसा इंसान हो जिसके साथ वही हो रहा हो जो तुम्हारे साथ हुआ, इसलिए जाओ और इसके बारे में बात करो.

मेरे साथ यह हुआ तो मैंने एक्टिंग से दूरी बना ली थी मैंने चार पांच साल तो कोई काम नहीं किया. यह मेरे पिता का चुना हुआ पेशा है, मैं एक्टिंग में अच्छी थी तो उन्होंने सोचा एक्टर बना दो. वो भी एक्टर बनना चाहते थे तो मेरे जरिए कहीं ना कहीं उन्हें अपना सपना पूरा करने का मौका मिला.

आपके पति के साथ कैसी बॉन्डिंग है, वह आपको किस तरह की गृहलक्ष्मी मानते हैं?

हम बहुत ही अच्छे कम्युनिकेटिव कपल है. हम एक दूसरे से बहुत बात करते हैं एक दूसरे से सब कुछ शेयर करते हैं. जो दिमाग में चल रहा होता है वह बिना किसी जजमेंट के डिस्कस करते हैं. दोनों एक ही तरह के बैकग्राउंड से हैं और दोनों की ही लाइफ में सब कुछ बदल देने वाले इंसिडेंस हुए हैं. जब दो लोग आपस में अच्छे से बात कर पाते हैं वह रिश्ता काफी बेहतर होता है.

दोस्तों के लिए कैसे टाइम निकालती हैं?

मेरी जिंदगी में हर रिश्ता इंपॉर्टेंट और मजबूत है. क्योंकि मैंने वह समय देखा है जब मैंने नाम तो बहुत कमाया, लेकिन साथ में डिप्रेशन भी कमा लिया. समय को थोड़ा मैनेज करने से सब कुछ हैंडल हो जाता है.

आपका मी टाइम कैसा होता है और इस वक्त में आप क्या करती हैं?

मैं बहुत सेल्फ पजेसिव पर्सन हूं. अपने मी टाइम में मैं खिड़की के बाहर देख कर नजारों को और हवाओं को महसूस करती हूं. चाय की चुस्कियां लेती हूं और हर मोमेंट को इंजॉय करती हूं. मैं अपने डॉग के साथ वक्त बिताती हूं, मेडिटेशन करती हूं. मुझे सनसेट का टाइम बहुत पसंद है मैं बस उसे देखती रहती हूं. मैं अपनी जिंदगी के बारे में सोचते समझती हूं.

आपको क्या बनाना अच्छा लगता है और खाने में सबसे ज्यादा क्या पसंद है?

मैं किचन में बहुत ज्यादा नहीं जाती हूं. मेरे हस्बैंड को मेरे हाथ की चाय बहुत पसंद है. मैं ऑमलेट और मैगी भी बहुत अच्छी बनाती हैं. मेरे हस्बैंड को मेरे हाथ का पास्ता पसंद है.

आपका फैशन फंडा क्या है?

मेरा फैशन फंडा बहुत सिंपल है. सिंपल और कंफर्टेबल रहो. मैं ट्रेंड को फॉलो करने के चक्कर में नहीं पड़ती. मैं वही पहनती हूं जो मुझे दिल से अच्छा लगता है. मुझे अच्छे कपड़े पहनने और अच्छे से तैयार होने का बहुत शौक है. जब आप कंफर्टेबल रहते हैं तो आप में कॉन्फिडेंस नजर आता है.

आपका ब्यूटी फंडा क्या है?

बचपन में मैंने बहुत सारी होम रेमेडी की है. क्योंकि बचपन में मम्मी हमारे लिए बहुत सारी चीजें बनाती थीं. एक खास तरह का उबटन वो बनाती थीं जिसे हम पूरी बॉडी पर लगाते थे. मैं बहुत ब्लेस्ड हूं मेरे नाना और दादा दोनों ही परिवार के लोग बहुत खूबसूरत हैं. हालांकि, मैं ऊपर से नहीं लोगों को अंदर से पसंद करती हूं. ब्यूटीफुल रहने के लिए एक चीज जरूरी है कि आप अपने खाने पर कंट्रोल करें. आप क्या खा रहे हैं और वह आपकी बॉडी पर कैसा रिफ्लेक्ट कर रहा है यह जानना जरूरी है. इसके साथ ही सही मिनरल और विटामिन लेना जरूरी. इसी के साथ योगा और मेडिटेशन भी मेरी ब्यूटी को मेंटेन रखता है.

आपका फिटनेस फंडा क्या है?

मुझे वर्कआउट बहुत पसंद है और मैं अपनी बॉडी को बहुत रिस्पेक्ट करती हूं. योगा मेडिटेशन से बॉडी की मोबिलिटी होती है और आपकी बॉडी खुलती है. टीवी मोबाइल ये सारी चीजें देख देखकर हमारी बॉडी का पूरा संतुलन बिगड़ता जा रहा है. मैंने टीवी देखना बंद कर दिया है मैं बहुत कम देखती हूं. कम से कम मोबाइल में ध्यान दीजिए कम से कम टीवी देखिए इससे बॉडी का पोश्चर सही रहेगा. वर्कआउट एक अच्छा एंटीडिप्रेसिंग है. इससे टॉक्सिक हार्मोंस बाहर जाकर हैप्पी हार्मोंस मिलते हैं.

भविष्य में आप अपने आप को कहां और कैसे देखती हैं?

मैं अपने फ्यूचर प्लान किसी से शेयर नहीं करती. मुझे लगता है कि जो चीज आपके और कुदरत के बीच है वो वहीं रहे तो ज्यादा अच्छा है. मैं अपने आप को सर्विस इंडस्ट्री में देखती हूं. एक्टर होना तो मेरी पहचान है ही लेकिन जिंदगी से मैंने जो सीखा है उसके जरिए में कैसे लोगों की जिंदगी बेहतर बना सकती हूं, उस इंडस्ट्री में मैं खुद को देखती हूं. मैं खुद को लोगों को नौकरी देने की जगह पर देखती हूं. मैं कुछ ऐसा बिजनेस करना चाहती हूं जिससे लोगों को मदद मिले.

वुमन एंपावरमेंट को आप कैसे बढ़ावा देती हैं?

यह बहुत निराशाजनक है कि आज हमें वुमन एंपावरमेंट की बात करना पड़ती है. मुझे लगता है कि हर इंसान को एंपावरमेंट की जरूरत है. वुमन एंपावरमेंट सिर्फ वुमन से नहीं आ सकता. हमें ऐसे लोग भी चाहिए जो इस चीज को समझें. इसलिए सभी लोगों की एंपावरमेंट उतनी ही जरूरी है, जितना की वुमन एंपावरमेंट. औरतों को मजबूत बनाना जरूरी है लेकिन मर्दों को यह सिखाना कि हमें औरतों की मदद करनी है यह भी बहुत जरूरी है. हमारे देश में ऐसी बहुत सी औरतें हैं जिन्हें लगता है कि जो जुल्म हो रहा है वह ठीक है. बहुत सारी चीजें हैं जो ठीक नहीं है, लेकिन उन्हें पता ही नहीं है कि यह ठीक नहीं है.

मैं एक दिन योगा कर रही थी तो मेरे योगा टीचर ने कहा हैंड स्टैंड करते हैं. मैंने पूछा कि क्यों तो उन्होंने बताया कि शोल्डर स्टैंड सारे आसनों की रानी है और शीर्षासन राजा होता है. तो मैंने सोचा कि योगा में भी ये सब होता है क्या. शीर्षासन रानी क्यों नहीं हो सकता. ऐसे ही आम को फलों का राजा बोलता है रानी क्यों नहीं बोल सकते.

मैंने देखा है की औरतें ही औरतों को दबाती है. हम अपनी ही जात से दबाए जाते हैं. कहीं ना कहीं जो महिलाएं दबी हुई हैं तो वह दबाव दूसरों पर भी डालती हैं. दबा हुआ इंसान दूसरों को हमेशा दबाता है और एंपावर्ड इंसान हमेशा दूसरों को एंपावर करता है. बदलाव को खुद से ही शुरु करना होगा.

हमारे दर्शकों को क्या मैसेज देंगी, ताकि वो पॉजिटिव रहें?

पॉजिटिव रहने का यह मतलब नहीं होता कि आप हमेशा लाइफ में खुश रहें. सही मायने में इसका मतलब नेगेटिव को भी पॉजिटिव लेकर चलना है. गुस्सा करना, रोना यह सब हमारे इमोशन है और इमोशन को फील करना ही पॉजिटिविटी है. आपको गुस्सा करना है लेकिन कैसे करना है ये आपके हाथ में है. यह चीज हमें किसी ने नहीं सिखाई लेकिन इंटरनेट सिखा रहा है. लोग बोलते हैं इंटरनेट बुरी चीज है लेकिन मैं कहती हूं कि नहीं है. वहां हमारे लिए बहुत सी अच्छी चीजें मौजूद है.

अपनी जिंदगी में आगे बढ़ना भी बहुत जरूरी है. पास्ट सभी का होता है लेकिन अगर आप इसी में अटके रहेंगे तो एक बेहतर इंसान कभी नहीं बन पाएंगे. साथ ही योगा जरूर करें, ये आपकी लाइफ में बहुत बदलाव लाएगा.

मैं रिचा मिश्रा तिवारी पिछले 12 सालों से मीडिया के क्षेत्र में सक्रिय हूं। विभिन्न न्यूज चैनल के साथ काम करने के अलावा मैंने पीआर और सेलिब्रिटी मैनेजमेंट का काम भी किया है। इतने सालों में मैंने डायमंड पब्लिकेशंस/गृह लक्ष्मी, फर्स्ट...

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