Rocky aur Rani Review: सालों बाद करण जौहर ने ‘रॉकी और रानी’ का निर्देशन कर एक बार फिर अपना जौहर दर्शकों के सामने पेश किया। रणवीर और आलिया की इस फिल्म का जादू दर्शकों पर चला। अगर बात करें सब्जैक्ट की तो कुछ ऐसा नहीं है जो बहुत अलग हो लेकिन पारिवारिक कहानी को मॉर्डन तरीके से करण ने बखूबी पेश किया है। जिसमें वेटरन एक्टर्स ने अपनी सधी हुई कलाकारी से चार चांद लगा दिए हैं। आलिया और रणवीर की केमेस्ट्री भी दर्शकों को खूब भा रही है। इन दोनों की जोड़ी को पहले भी दर्शक एक साथ देख चुके हैं। दो अलग परिवेश के लोगों की कहानी में जो पारिवारिक नोंक झोंक के साथ मनोरंजन और ड्रामा होता है शायद ये ही दर्शकों को भा रहा है। फिल्म कहीं हंसाती है तो कहीं भावुक कर जाती है तो कही कहीं कुछ संदेश भी दे जाती है।
क्या है कहानी
ये दिल्ली की एक पंजाबी परिवार और बंगाली परिवार के बीच की अधूरी लव स्टोरी और नई लव स्टोरी को अपने अंदाज में करण इस फिल्म में लेकर आए हैं। पंजाबी परिवार का मस्तमौला लड़का रॉकी (रणवीर सिंह) और बंगाली परिवार की लड़की रानी (आलिया भट्ट) अपने दादा दादी की अधूरी प्रेम कहानी को पूरा करने के लिए एक दूसरे के साथ आते हैं। रॉकी के दादा के किरदार में धर्मेंद्र हैं तो रानी के किरदार में शबाना आजमी। रॉकी का परिवार टिपिकल पंजाबी है। जिसमें दादी धनलक्ष्मी (जया बच्चन ) काफी कड़क हैं जिनके इशारों पर परिवार चलता है। रॉकी के पिता तिजोरी अपनी मां के अनुसार ही काम करते हैं। रॉकी की मां पुरानी फिल्मों की तरह पति को परमेश्वर मानने वाली दिखाई गई हैं वहीं उसकी बहन अपने मोटापे से परेशान रहती है।
दूसरी तरफ रानी का बंगाली परिवार है। रानी की दादी जामिनी (शबाना आजमी), रानी के पिता और मां बंगाली परिवार को पर्दे पर बखूबी पेश किया है। रॉकी अपने दादा की अधूरी प्रेम कहानी को पूरा करने के लिए रानी से मिलता है। दोनों अपने दादा और दादी का मिलाते मिलाते एक दूसरे के नजदीक आ जाते हैं। लेकिन जब दोनो की शादी की बात आती है तो रानी परिवारों के कल्चर और रहन सहन के तरीकों में अंतर की वजह से पीछे हटती है। इसके बाद दोनों तया करते हैं कि कुछ महीने एक दूसरे के परिवार के साथ समय बिताएंगे और फिर तय करेंगे। इसके बाद परिवारों की नोंक झोंक के साथ मस्ती और अलग अलग समस्याओं को कहानी में पेश किया गया है।
कैसी रही अदाकारी और निर्देशन
पहले बात करते हैं निर्देशन की। करण जौहर ने सालों बाद भी अपनी फिल्मों का जादू बरकरार रखा है। करण ने भव्य तरीकों से कहानी को दर्शाने के अपने जौहर को इस फिल्म में भी अपनाया है। भले ही फिल्म बहुत अलग तरह की कहानी लेकर नहीं आती है लेकिन पारिवारिक कहानियां जो दर्शकों को पसंद आती है वो अलग अंदाज में लेकर आए हैं। इसमें पारिवारिक मूल्यों के साथ नए जमाने की सोच को उन्होंने पेश किया है। फिल्म में वे किरदारों और परिस्थितियों के साथ कुछ मसलों को भी पेश करने में कामयाब रहे हैं। जिसमें जेंडर डिफरेंस, कल्चर डिफरेंस के साथ-साथ कुछ पारिवारिक मसलों की भी बात देखने को मिलती है। जैसा कि हमेशा ही उनकी फिल्मों में होता है कि कुछ न कुछ जो लोगों के गले से नहीं उतर वैसा इस फिल्म में शबाना आजमी और धर्मेंद का किस है। फिल्म का फर्स्ट हाफ फास्ट है तो सेकंड हाफ स्लो पेस में है। फिल्म की लम्बाई कम हो सकती थी। फिर भी करण के काम की तारीफ तो बनती है।
अब बात एक्टिंग की तो रणवीर सिंह लाइमलाइट लूट ले गए हैं। हालांकि कहीं कहीं उनकी एनर्जी ज्यादा लगी है फिर भी उन्होंने अपने किरदार को उम्दा तरीके से पेश किया है। वहीं आलिया ने भी रानी के किरदार को बखूबी पेश किया है। इन दोनों की केमेस्ट्री पर्दे पर छा गई है। धर्मेंद्र, शबाना आजमी और जया बच्चन की अदाकारी आज भी लाजवाब है। फिल्म का म्यूजिक अच्छा है। प्रीतम के ‘तुम क्या मिले’, ‘वॉट झुमका’ गाने पहले ही पसंद किए जा रहे हैं। फिल्म की कहानी शशांक खेतान, सुमित रॉय, इशिता मोइत्रा ने लिखी है जिसमें में मोइत्रा के संवाद मजेदार हैं।
क्यों देखें
कहने को ये कहा जा सकता है कि फिल्म किसी सास बहू के सीरियल जैसी ही है कुछ अलग नहीं है। लेकिन अगर आप पारिवारिक फिल्मों को देखना पसद करते हैं तो ये फिल्म आपके लिए है। लम्बे समय बाद पारिवारिक कहानी देखने को मिल रही है जिसे आप परिवार के साथ देख सकते हैं। हां कुछ किसिंग सीन्स हैं जिन्हें नजरअंदाज कर फिल्म को मनोरंजन के लिहाज से देख सकते हैं।