Summary: रवीना का नजरिया ही बदल दिया उस सीन ने

रवीना ने जाना कि खुद पर तरस खाने की जगह उन्हें जीवन के लिए शुक्रगुजार रहना सीखना होगा...

Raveena Tandon Slum Visit: रवीना टंडन 90 के दशक की स्टारडम से लेकर समाजिक मुद्दों पर बनी फिल्मों में गंभीर किरदार निभाने तक का सफर तय कर चुकी हैं। फिल्मों से अलग उनकी पर्सनल लाइफ भी उतार-चढ़ाव और खुद को समझने के सफर से भरी रही है।

जूम टीवी से बातचीत में रवीना ने बीते दिनों को याद किया है। वे याद करती हैं कि एक दौर ऐसा आया जब वे पूरी तरह टूट चुकी थीं। उन्हें लगने लगा था कि उनकी पर्सनल और प्रोफेशनल जिंदगी दोनों खत्म हो गई हैं। ऐसी ही एक भावुक रात, जब मुंबई में जोरदार बारिश हो रही थी, रवीना अपनी कार में बैठी थीं। उनकी कार रेलवे ट्रैक के पास एक झोपड़पट्टी के पास कुछ देर के लिए रुकी। कार की खिड़की से उन्होंने जो देखा, वो उनके दिल में बस गया।

उन्होंने देखा, एक महिला अपनी चूल्हे को बारिश से बचाने की कोशिश कर रही थी ताकि उसने बच्चों के लिए जो पतली दाल बनाई थी, वो खराब न हो जाए। उसके बच्चे पास में खड़े, आधे कपड़ों में भीग रहे थे और रो रहे थे। थोड़ा आगे उन्होंने देखा, एक आदमी बारिश में अपनी पत्नी को पीट रहा था। ‘मैं क्यों रो रही हूं?’… उसी पल रवीना को एहसास हुआ कि जब वे एक महंगी कार में बैठकर अपनी परेशानियों पर रो रही थीं, तब कुछ लोग तो बस उस दिन को किसी तरह काटने की कोशिश कर रहे थे। रवीना ने कहा कि उस पल ने उनकी सोच बदल दी और खुद पर तरस खाने की जगह उन्होंने जीवन के लिए शुक्रगुजार रहना सीख लिया। उनके लिए यह पल उनकी जिंदगी का टर्निंग पॉइंट बन गया।

रवीना का फिल्मी करियर 1991 में पत्थर के फूल से शुरू हुआ। फिर मोहरा, दिलवाले और खिलाड़ियों का खिलाड़ी जैसी सुपरहिट फिल्मों ने उन्हें स्टार बना दिया। 2000 के दशक की शुरुआत में उन्होंने परफॉर्मेंस ओरिएंटेड फिल्मों की ओर रुख किया और दमन के लिए नेशनल अवॉर्ड जीता। अक्स और सत्ता जैसी फिल्मों से उन्होंने दिखाया कि वे गंभीर और मजबूत किरदार भी बखूबी निभा सकती हैं। हाल के वर्षों में उन्होंने अरण्यक और केजीएफ चैप्टर 2 जैसी फिल्मों और वेब सीरीज के जरिए वापसी की और दिखा दिया कि बदलते वक्त के साथ खुद को ढालना उन्हें अच्छे से आता है।

20 साल बाद रवीना तमिल फिल्म लॉयर से साउथ इंडस्ट्री में वापसी कर रही हैं, जिसमें वे विजय एंटोनी के साथ नजर आएंगी। उन्होंने बताया कि साउथ में शूटिंग करना उन्हें हमेशा अच्छा लगता है, वहां की प्रोफेशनल अप्रोच और कहानियों की गहराई उन्हें आकर्षित करती है। उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें हमेशा लगता था कि उन्हें तमिल, तेलुगु या कन्नड़ सिनेमा में ज्यादा फिल्में क्यों नहीं मिलीं, जबकि उन्हें वहां काम करना पसंद है।

फिल्मों के अलावा रवीना ने पर्यावरण और समाजसेवा के क्षेत्र में भी योगदान दिया है। वर्ल्ड एनवायरमेंट डे पर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडनवीस ने उन्हें पर्यावरणीय कार्यों के लिए सम्मानित किया। इस सम्मान को सोशल मीडिया पर शेयर करते हुए उन्होंने खुशी जताई और बताया कि उन्होंने एक रेस्क्यू की गई बिल्ली को गोद लिया है, जिससे उनके इस खास दिन में एक पर्सनल और इमोशनल टच जुड़ गया।

ढाई दशक से पत्रकारिता में हैं। दैनिक भास्कर, नई दुनिया और जागरण में कई वर्षों तक काम किया। हर हफ्ते 'पहले दिन पहले शो' का अगर कोई रिकॉर्ड होता तो शायद इनके नाम होता। 2001 से अभी तक यह क्रम जारी है और विभिन्न प्लेटफॉर्म के लिए फिल्म समीक्षा...