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Summary: ‘Sorry for Being Too Good’: सोशल मीडिया पर छाया ब्रांड्स का नया माफ़ीनामा ट्रेंड

अब ब्रांड्स गलती नहीं, अपनी अच्छाई के लिए माफ़ी मांग रहे हैं। सोशल मीडिया पर ‘अपॉलजी कैंपेन’ का यह नया ट्रेंड, मज़ाक और मार्केटिंग का परफेक्ट कॉम्बो बन चुका है।

The ‘Apology’ Trend: कभी “सॉरी” कहना किसी ब्रांड के लिए बड़ी बात हुआ करती थी। तब, जब कोई विवाद हो, किसी प्रोडक्ट में गलती निकले या पब्लिक का भरोसा टूट जाए। लेकिन अब हालात बदल गए हैं। आज भारत में बड़े-बड़े ब्रांड्स और नामी हस्तियां माफ़ी मांग रहे हैं अपनी बहुत ज़्यादा अच्छाई के लिए! सोशल मीडिया पर एक नया चलन छाया हुआ है, जिसे कहा जा रहा है ‘अपॉलजी कैंपेन’ या ‘फॉक्स सॉरी ट्रेंड’। इसमें कंपनियां मज़ाकिया लहजे में ऐसे माफ़ीनामे जारी कर रही हैं, जिनमें गलती नहीं, बल्कि परफेक्शन ही अपराध बन गया है।

भारत में यह ट्रेंड तब शुरू हुआ जब कार कंपनी स्कोडा ने अपनी कारों की ‘बहुत स्मूथ ड्राइव’ के लिए माफ़ी मांगी। इसके बाद तो जैसे बाढ़ आ गई टी-सीरीज़, रिलायंस डिजिटल, अडानी अंबुजा सीमेंट, हल्दीराम से लेकर बनाना लीफ़ जैसे बड़े नामों ने सोशल मीडिया पर अपने ‘माफ़ीनामे’ पोस्ट कर दिए।

यह सिर्फ़ कंपनियों तक सीमित नहीं रहा। शेफ रणवीर बरार, फैशन डिज़ाइनर रीना ढाका और कई फूड ब्रांड्स ने भी यही फॉर्मूला अपनाया। अडानी अंबुजा सीमेंट ने लिखा ‘हम माफ़ी चाहते हैं कि हमारी सीमेंट से बनी दीवारों में अब कील ठोकना असंभव हो गया है।’

 वहीं शेफ रणवीर बरार ने कहा, ‘हमें खेद है कि हमारी रेसिपीज़ इतनी स्वादिष्ट हैं कि लोग अब खाना बनाना बंद नहीं कर पा रहे।‘ ब्रांड्स ने परफेक्शन को ही मज़ाकिया खामी बना दिया है।

धर्मा प्रोडक्शन्स ने मज़ेदार अंदाज़ में माफ़ीनामा जारी किया, यह स्वीकार करते हुए कि उनकी रोमांटिक फिल्मों ने लोगों को रुलाया, एक्स को टेक्स्ट करवाया और प्यार के स्टैंडर्ड्स बढ़ा दिए। अंत में वो मुस्कुराते हुए कहते हैं, ‘हाँ, हमें अफ़सोस है… लेकिन मानिए, आपको भी तो यही पसंद है।’

T-Series ने मज़ाकिया लहजे में माफ़ी मांगी कि उनके गानों ने लोगों का फोकस, नींद और मूड बिगाड़ दिया है। वो कहते हैं, ‘हम कोशिश करेंगे कम एडिक्टिव गाने बनाने की… पर सच कहें तो शायद नहीं।’

इन पोस्ट्स की सबसे बड़ी खासियत है इनका कॉर्पोरेट अपॉलजी फॉर्मेट  यानी फॉर्मल पत्र की तरह टाइप किया गया माफ़ीनामा। ऊपर ब्रांड का लोगो, बीच में सब्जेक्ट लाइन ‘Re: Unintended Customer Delight’, और आखिर में हस्ताक्षर के नीचे लिखा ‘Sorry for being too good!’।

पहली नज़र में ये लेटर बिल्कुल असली लगते हैं, लेकिन आख़िरी लाइन आते ही पूरा माहौल हल्का-फुल्का और मज़ेदार बन जाता है। दरअसल, इस ट्रेंड की शुरुआत फिलिपींस से हुई थी और अब भारत में क्रिएटिव एजेंसियों ने इसे एक स्मार्ट मार्केटिंग टूल के रूप में अपनाया है।

यह ट्रेंड इसलिए हिट हुआ क्योंकि यह सरप्राइज़ और ह्यूमर दोनों को साथ लाता है। एक गंभीर माफ़ी के अंदाज़ में शुरू होने वाला पोस्ट जब आखिर में फनी ट्विस्ट लेता है, तो दर्शक को हंसी के साथ ब्रांड याद रह जाता है। यह ट्रेंड ब्रांड्स को इंसान की तरह पेश करता है, न कि मशीन की तरह। यह आत्म-जागरूकता, विनम्रता और ह्यूमर का मिश्रण है।  हालांकि कुछ प्रोफेशनल्स इसे सॉरी शब्द का मज़ाक मानते हैं। उनका कहना है कि माफ़ी का असली मतलब जवाबदेही होता है, न कि प्रमोशन।

आज सोशल मीडिया की भीड़ में वही कंटेंट चमकता है जो लोगों को रुकने पर मजबूर करे। यह “फॉक्स अपॉलजी” ट्रेंड ऐसा ही करता है पहले गंभीरता से ध्यान खींचता है, फिर हंसी के साथ ब्रांड को यादगार बना देता है।

इस ट्रेंड से ब्रांड्स खुद को फनी, बोल्ड और रिलेटेबल दिखा रहे हैं। लेकिन एक्सपर्ट्स चेतावनी देते हैं कि अगर किसी कंपनी की इमेज पहले से विवादों में हो या ग्राहकों की शिकायतें हों, तो ऐसी माफ़ी उल्टा असर डाल सकती है। तभी यह रणनीति उन्हीं के लिए फायदेमंद है जो पहले से भरोसेमंद हैं।

भारत इस समय “सॉरी मोड” में है। हर ब्रांड, हर इंफ्लुएंसर ‘माफ़ी’ मांग रहा है, लेकिन गलती के लिए नहीं… बल्कि बहुत अच्छा होने की वजह से।

राधिका शर्मा को प्रिंट मीडिया, प्रूफ रीडिंग और अनुवाद कार्यों में 15 वर्षों से अधिक का अनुभव है। हिंदी और अंग्रेज़ी भाषा पर अच्छी पकड़ रखती हैं। लेखन और पेंटिंग में गहरी रुचि है। लाइफस्टाइल, हेल्थ, कुकिंग, धर्म और महिला विषयों पर काम...