Haddi Review: हम जब नवाजुद्दीन सिद्दीकी फिल्म देखने जाते हैं तो एक सबसे महतव्वपूर्ण चीज की अपेक्षा करते हैं कि नवाजुद्दीन का रोल चाहे कुछ भी हो, वह अपना बेहतरीन अभिनय दिखाएंगे। फिल्म हड्डी में भी ऐसा ही हुआ। सोशल मीडिया पर एक ट्रांसजेंडर के उनके लुक पर पहले ही चर्चा हो रही थी। वह पहली बार एक ट्रांसजेडर के रुप बहुत ही सुंदर नजर आ रहे थे। रही बात उनके अभिनय की तो उसका कोई मुकाबला नहीं है। लेकिन सिर्फ अभिनय से कुछ नहीं होता बात इसकी कहानी की करें तो यह बहुत जगह कमजोर नजर आती है।
वैसे तो ट्रांसजेंडर सब्जेट परअब बहुत सी फिल्में बन चुकी हैं और बन रही हैं। लेकिन फिल्म का विषय इस मायने में अलग है जो न केवल यह ट्रांसजेडर की दुख और तकलीफ को बताती है बल्कि इनकी दुनिया में जो अपराध पल-बढ़ रहे हैं उन्हें भी बताती है। इस फिल्म में नवाजुद्दीन सिद्दीकी के साथ अनुराग कश्यप, मोहम्मद जीशान अयूब , इला अरुण , सौरभ सचदेवा और विपिन शर्मा हैं। इसे ओटीटी पर रिलीज किया गया है। इसके लेखक अदम्य भल्ला और अक्षत अजय शर्मा हैं। इस फिल्म का निर्देशन भी अक्षत अजय शर्मा ने किया है।
गले में नहीं थी हड्डी
यह फिल्म कोई हल्की फिल्म नहीं है। यह गुमशुदा लाशों से जुड़े व्यापार को सामने लाती है। यह अपराध का वो गोरखधंधा है जिसे फिल्म में आप देखेंगे तो खुद से सवाल पूछेंगे कि क्या लोगों में इंसानियत नाम की कोई चीज बची है? फिल्म की कहानी में हालांकि भटकाव बहुत है लेकिन इसमें प्रयोग भी बहुत हुए है। सबसे बड़ी बात नाम को ही देख लें। नवाजुद्दीन के किरदार का नाम हड्डी है। अपने नाम का मतलब वह एक डॉयलाग में हड्डी कहता है कि बचपन में मेरी लिंचिंग हो गई थी, मुझे फंदे से लटकाया पर गले में हड्डी नहीं थी तो फंदा सरक गया।
क्या है कहानी
यह कहानी इलाहाबाद के एक ट्रांसजेंडर की है जो अपने शहर से दिल्ली आकर एक गिरोह में शामिल हो जाता है। उसे अपराधी राजनेता प्रमोद अहलावत (अनुराग कश्यप) से बदला लेना है। वैसे तो अनुराग कश्यप और नवाजुद्दीन गैंग्स ऑफ वासेपुर, रमन राघव 2.0, सेक्रेड गेम्स जैसी कई फिल्मों में साथ काम कर चुके हैं लेकिन यह पहला मौका है जब अनुराग विलेन के तौर पर नजर आए हैं। लेकिन वह अभिनय में कुछ खास दम नहीं दिखा पाए। लेकिन ईला अरुण ने एक अभिनेत्री के तौर पर फिल्म को संभाला है।