Guru Dutt House
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Guru Dutt House: फ़िल्में बनाने वाले पर्दे पर सपने गढ़ते हैं, मगर अक्सर उनका अपना सपना एक घर का होता है। हर फ़िल्मस्टार की तमन्ना होती है—‘एक बंगला बने न्यारा सा।

मुंबई के पाली हिल का बंगला नंबर 48 भी एक ऐसा ही सपना था, जिसे महान फ़िल्मकार गुरुदत्त ने साकार किया था। इस आलीशान और भव्य बंगले की भव्यता जिसने भी देखी, वो उसे कभी भूल नहीं पाया।

यह बंगला गुरुदत्त और उनकी पत्नी गीता दत्त का ऐशो-आराम से भरा आशियाना था, जहां उन्होंने अपने जीवन के कई उतार-चढ़ाव देखे।

बंगले की यह कहानी है गुरुदत्त के जीवन की भी दास्तान

Guru Dutt House
Guru Dutt Life

लेकिन यह बंगला ‘घर’ न बन सका, और जितनी शिद्दत से गुरुदत्त ने इसे बनवाया था, उतने ही जुनून से एक दोपहर इसका विध्वंस भी कर दिया गया।

गुरुदत्त पर किताब लिखते समय उनकी बेमिसाल फ़िल्मों के साथ-साथ उनकी ज़िंदगी के इस पहलू ने मुझे सबसे ज़्यादा सोच में डाला।

बंगले की यह कहानी दरअसल गुरुदत्त के जीवन की भी दास्तान है। 1950 के दशक में मुंबई (तब बंबई) का बांद्रा (पश्चिम) का पाली हिल घने पेड़ों से घिरा हुआ इलाक़ा था, जो अपनी ढलवां पहाड़ी के कारण ही ‘पाली हिल’ कहलाया।

उस दौर में यहां ज़्यादातर लोग कॉटेज या बंगलों में रहते थे, और गुरुदत्त का बंगला नंबर 48 भी इसी शांत, सुरम्य माहौल का हिस्सा था।

शुरुआती दौर में पाली हिल के बंगलों के मालिक ब्रिटिश, पारसी और कैथोलिक लोग थे, लेकिन बाद में दिलीप कुमार, देव आनंद और मीना कुमारी जैसे हिंदी फ़िल्म स्टार्स ने भी यहां बसना शुरू किया।

वक्त के साथ यह इलाक़ा प्रभावशाली और महंगा बन गया, लेकिन इन सबसे दूर, 1925 में बंगलौर के पास पन्नमबुर में जन्मे गुरुदत्त पादुकोण का बचपन आर्थिक संघर्षों से भरा था।

उनके जीवन में परेशानियों का मानो कोई अंत ही नहीं था। उनकी छोटी बहन ललिता लाजमी ने एक बार बताया था, “हमारे पूरे बचपन में कोई ढंग का घर नहीं था। हमारा बड़ा परिवार संसाधनों की कमी से लगातार जूझता रहता, आर्थिक रूप से वो ज़िंदगी बहुत कठिन थी।”

बंगला नंबर 48, का रहस्य

गुरुदत्त का पाली हिल स्थित बंगला नंबर 48 मुंबई के पॉश इलाकों में से एक था। यह बंगला फिल्म निर्माता गुरुदत्त का निवास स्थान था और उनकी पत्नी, गायिका गीता दत्त और उनके बच्चों का घर भी था।

बंगला नंबर 48 अपने भव्यता और विशालता के लिए जाना जाता था। यह लगभग तीन बीघा जमीन में फैला हुआ था और इसमें कई कमरे, एक बड़ा बगीचा और एक स्विमिंग पूल था।

गुरुदत्त ने इस बंगले को बड़े प्यार से बनवाया था और इसे अपनी पसंद के अनुसार सजाया था। उन्होंने कश्मीर से लकड़ी मंगवाई थी, लंदन से कालीन और इटली से मार्बल लगवाया था।

हालांकि, यह बंगला गुरुदत्त के जीवन में शांति और खुशी नहीं ला सका। उनकी पत्नी गीता दत्त के साथ उनके संबंध खराब होते चले गए और वे अलग-अलग रहने लगे। कुछ लोगों का मानना है कि गीता दत्त को लगता था कि बंगले में भूतिया साया है।

गुरुदत्त ने अपने दोस्त विमल मित्र को बताया था कि उनका बंगला पाली हिल की सभी इमारतों में सबसे सुंदर है, लेकिन फिर भी वे उसमें ज्यादा देर तक नहीं रह पाये। आखिरकार, उन्होंने इस बंगले को तोड़वा दिया।

आज उस जगह पर एक नई इमारत बन गई है, लेकिन बंगला नंबर 48 की कहानी आज भी लोगों के बीच चर्चा का विषय बनी हुई है। यह बंगला गुरुदत्त के सपनों का घर था, लेकिन यह कभी उनका स्थायी ठिकाना नहीं बन सका।

देव आनंद का घर और गुरुदत्त का सपना

उस समय घर के बारे में सोचना भी गुरुदत्त के लिए एक दूर का सपना था। अपने शुरुआती साल उन्होंने कलकत्ता, अल्मोड़ा और पूना में बिताए, लेकिन क़िस्मत उन्हें मुंबई ले आई। यहां उनकी मुलाकात अपने करीबी दोस्त, अभिनेता देव आनंद से हुई। दोनों की दोस्ती कुछ साल पहले पूना के प्रभात स्टूडियोज़ में हुई थी, जब देव आनंद भी फ़िल्मों में काम पाने के लिए संघर्ष कर रहे थे।

देव आनंद ने अपनी आत्मकथा ‘रोमांसिंग विद लाइफ’ में लिखा

देव आनंद ने अपनी आत्मकथा ‘रोमांसिंग विद लाइफ’ में लिखा, “हमने एक-दूसरे से वादा किया था कि जिस दिन मैं प्रोड्यूसर बनूंगा, मैं गुरु को बतौर डायरेक्टर लूंगा और जिस दिन वो किसी फ़िल्म का डायरेक्शन करेंगे, वो मुझे हीरो कास्ट करेंगे।

देव आनंद ने अपना वादा निभाया और गुरुदत्त को अपनी फ़िल्म ‘बाज़ी’ के निर्देशन का मौक़ा दिया, जो गुरुदत्त की पहली फ़िल्म थी। उस समय देव आनंद का खूबसूरत बंगला पाली हिल में था, और फ़िल्म बनने के दौरान गुरुदत्त वहां अक्सर आने-जाने लगे।

अपनी किताब ‘गुरुदत्त: एन अनफिनिश्ड स्टोरी’ की रिसर्च के दौरान गुरुदत्त की बहन और मशहूर आर्टिस्ट ललिता लाजमी ने बताया था, “वो देव आनंद के बंगले की बार-बार तारीफ़ करते थे। हम बैठकर उनकी बातें बड़े चाव से सुनते। वो कहते थे—घर तो ऐसा ही होना चाहिए।

अपना घर होने की ललक हम सबके अंदर थी, क्योंकि घर कभी था ही नहीं।” देव आनंद के घर आने-जाने के दौरान ही गुरुदत्त ने यह हसरत पाल ली थी कि अगर ज़िंदगी ने मौक़ा दिया, तो वह पाली हिल में ही अपना बंगला बनवाएंगे—एक ऐसा घर, जो उनके सपनों का होगा।

मैं रिचा मिश्रा तिवारी पिछले 12 सालों से मीडिया के क्षेत्र में सक्रिय हूं। विभिन्न न्यूज चैनल के साथ काम करने के अलावा मैंने पीआर और सेलिब्रिटी मैनेजमेंट का काम भी किया है। इतने सालों में मैंने डायमंड पब्लिकेशंस/गृह लक्ष्मी, फर्स्ट...