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गुरुवार को मुंबई के बांद्रा में स्थित उनके आवास 'बोस्कियाना' पर उन्हें भारत के सर्वोच्च साहित्यिक सम्मान में से एक 58 वें ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
Gulzar Jnanpith Award: मेरे अपने, मौसम, अंगूर, आंधी, परिचय जैसी सुपरहिट फिल्में लिखने वाले कवि और गीतकार गुलजार को एक और प्रतिष्ठित अवार्ड से नवाजा गया है। गुरुवार को मुंबई के बांद्रा में स्थित उनके आवास ‘बोस्कियाना’ पर उन्हें भारत के सर्वोच्च साहित्यिक सम्मान में से एक 58 वें ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
इसलिए नहीं हुए समारोह में शामिल
58 वें ज्ञानपीठ पुरस्कार का आयोजन पिछले सप्ताह नई दिल्ली में किया गया था। लेकिन स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के कारण 90 वर्षीय लेखक और गीतकार गुलजार समारोह में शामिल नहीं हो सके थे। जिसके बाद भारतीय ज्ञानपीठ ट्रस्ट की ओर से उन्हें निजी आवास पर जाकर अवार्ड दिया गया। ज्ञानपीठ के ट्रस्टी मुदित जैन, महाप्रबंधक आरएन तिवारी, पूर्व सचिव धर्मपाल सहित अन्य सदस्यों ने गुलजार को प्रशस्ति पत्र, वाग्देवी सरस्वती की कांस्य प्रतिकृति और 11 लाख रुपए का नकद पुरस्कार प्रदान किया। इस दौरान गुलजार ने कहा कि वे हमेशा से चाहते थे कि उन्हें यह अवार्ड मिले।
ये करीबी लोग रहे मौजूद
गुलजार को सम्मानित करते हुए ट्रस्ट के महाप्रबंधक आरएन तिवारी ने कहा कि हमने ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित करने के लिए गुलजार साहब से उनके निजी आवास पर मुलाकात की। इस अवसर पर उनके दामाद गोविंद संधू, फिल्म निर्माता विशाल भारद्वाज व उनकी पत्नी रेखा भारद्वाज सहित कुछ साहित्यकार मौजूद थे।
गुलजार को मिले कई पुरस्कार
बहुत कम लोग जानते हैं कि गुलजार का असली नाम संपूर्ण सिंह कालरा है। गुलजार बॉलीवुड में कई दशकों से अपनी लेखनी का कमाल दिखा रहे हैं। कई बेहतरीन फिल्में लिखने के साथ ही उन्होंने कई शानदार गीतों, दिल छू लेने वाली कविताओं और शायरियों को अपने शब्द दिए हैं। फिल्मों और साहित्य को लेकर गुलजार के इस योगदान के लिए उन्हें कई पुरस्कारों से नवाजा जा चुका है। साल 2002 में गुलजार को साहित्य अकादमी पुरस्कार दिया गया। साल 2004 में उन्हें पद्म भूषण से नवाजा गया। साल 2008 में गुलजार को फिल्म ‘स्लमडॉग मिलियनेयर’ के गीत ‘जय हो’ के लिए अकादमी पुरस्कार और ग्रैमी पुरस्कार दिया गया। साल 2013 में उन्हें दादा साहब फाल्के पुरस्कार दिया गया।
जगद्गुरु रामभद्राचार्य हुए सम्मानित
गुलजार के साथ ही जगद्गुरु रामभद्राचार्य को भी इस वर्ष ज्ञानपीठ पुरस्कार दिया गया है। नई दिल्ली में आयोजित पुरस्कार समारोह में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने संस्कृत विद्वान 75 वर्षीय जगद्गुरु रामभद्राचार्य को ज्ञानपीठ पुरस्कार दिया गया। आपको बता दें कि साल 2023 के लिए यह 58 वां ज्ञानपीठ पुरस्कार इन दोनों हस्तियों को दिया। चित्रकूट में तुलसी पीठ के संस्थापक और प्रमुख रामभद्राचार्य प्रसिद्ध हिंदू आध्यात्मिक गुरु हैं। उन्होंने चार महाकाव्यों सहित 240 से ज्यादा पुस्तकें और ग्रंथ लिखे हैं।
ऐसे हुई ज्ञानपीठ पुरस्कार की शुरुआत
भारतीय ज्ञानपीठ ट्रस्ट की ओर से स्थापित ज्ञानपीठ पुरस्कार देश के सर्वोच्च साहित्यिक सम्मानों में से एक है। यह पुरस्कार भारतीय भाषाओं के साहित्य में उत्कृष्ट योगदान के लिए लेखकों को प्रतिवर्ष प्रदान किया जाता है। साल 1961 में उद्योगपति साहू शांति प्रसाद जैन और रमा जैन ने भारतीय ज्ञानपीठ ट्रस्ट की स्थापना की थी।
इन्हें भी मिला यह प्रतिष्ठित पुरस्कार
अभी तक मशहूर शायर फिराक गोरखपुरी, लेखक रामधारी सिंह ‘दिनकर’, कवयित्री और उपन्यासकार आशापूर्णा देवी, कवयित्री महादेवी वर्मा, भारतीय नाटककार-अभिनेता-फिल्म निर्देशक-कन्नड़ लेखक गिरीश कर्नाड, कथाकार निर्मल वर्मा, कथाकार और उपन्यासकार दामोदर मौजो सहित कई प्रसिद्ध साहित्यकारों को भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार दिया जा चुका है।
