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Famous Serials: अगर आप यह सोचते हैं कि टीवी सीरयल का मतलब सास-बहू की कहानी है तो अपने सोच के दायरे को जरा दुरुस्त कर लें। बीते कुछ सालों में न केवल टीवी पर सामाजिक पुरानी परिपाटियों को झंझोरते हुए सीीरियल नजर आए बल्कि ये सीरियल दर्शकों को भी बहुत पसंद आए। यह सीरियल समाज की दिशा और दशा बदलने का भी एक कार्य कर रहे हैं। तो जानते हैं टीवी पर आने वाले उन 5 सीरियल के बारे में जो हमें केवल एंटरटेन नहीं करते बल्कि हमारी सोच को आगे बढ़ाने के लिए भी प्रयासरत है।

उड़ान

UDAAN

यह सीरिसल बेशक 90 के दौर का दूरदशर्न पर आने वाला एक सीरियल था। लेकिन आज भी यह महिलाओं को अपने सपने पूरे करने के लिए एक मोटिवेशन का काम करता है। यह सीरियल आईपीएस अधिकारी कंचन चौधरी भट्टाचार्य की सच्ची कहानी पर आधारित है। यह शो कल्याणी सिंह नाम की एक युवा लड़की की कहानी है, जो हर लेवल पर लैंगिक भेदभाव से जूझते हुए आईपीएस अधिकारी बन जाती है। उसे कोई भी सपोर्ट नहीं करता लेकिन शो में उसे शेखर कपूर मिलता है जो कि महिलाओं अधिकारियों को बराबर मानता है। उस समय शो की एक खास बात यह रही कि यह शो ऐसे समय में आया जब महिलाओं को वर्दी में देखना असामान्य था। कह सकते हैं कि इस शो ने महिलाओं की आंखों में सपने दिए। कविता चौधरी ने इस सीरियल को लिखा भी और डायरेक्ट भी किया। उन्होंने ही इस सीरियल में अभिनय भी किया था।

बालिका वधू

BALIKA VADHU
BALIKA VADHU

राजस्थान में आज भी गांव- ढाणियों में बाल विवाह नाम की कुरति है। हालांकि प्रशासन अब मुस्तैद है और लोग भी जागरुक हो रहे हैं लेकिन साल 2008 में आए सीरिसल ने बालिका वधू की कहानी को बहुत खूबसूरती से परिभाषित किया है। इसमें अविका गौढ़ ने आनंदी का किरदार निभाकर घर-घर में अपनी जगह बना ली थीं। इसमें एक छोटी सी बच्ची का संघर्ष बताया गया था कि किस तरह वो अपने गुड्डे गुड़ियों से खेलने की उम्र में रिश्तों के ताने-बाने में फंस जाती है। हालांकि उसकी सास एक मां के तौर पर उसके साथ थीं लेकिन बड़े होने के बाद जब उसका पति जग्या जब शहर पढ़ने जाता है तो ब्याह लाता है दूसरी औरत। हालांकि आनंदी को अपने ससुराल से पूरा समर्थन मिलता है। वो पढ़ती है लेकिन इस सीरियल ने लोगों को सोचने को मजूबर कर दिया कि जब कच्ची उम्र में पक्के संबंध बनाए जाते हैं तो समय के साथ वह टूट जाते हैं। सीरियल में दादी सा किरदार सुरेखा सीकरी ने निभाया था।

न आना इस देस लाडो

NA AANA IS LAADO
Naa aana iss desh laado

यह एक अजीब बात है लेकिन सच है कि हमारे समाज में कहीं न कहीं बेटी का आना खुशखबरी नहीं लनता। कुछ जगहों पर तो बेटियों को दुनिया में आने से पहले ही मां की कोख में ही मार दिया जाता है वहीं अगर गलती से अगर वो पैदा हो भी जाती हैं तो उन्हें जीवन जीने का अधिकार छीन लिया जाता है। समाज के इसी रुप को सीरियल न आना इस देस मेरी लाडो में दिखाया गया था। जिसका केंद्र पात्र अम्मां जी थीं। यहां बताया गया था कि वीरपुर गांव में कन्या भ्रूण हत्या आम है। वीरपुर की सरपंच भगवानी देवी (मेघना मलिक) किसी पैदा हुई लड़की को वहां जीवित नहीं रहने देती। लेकिन उस गांव में एक डॉक्टर अपनी बेटी सिया सिंह के साथ आते हैं। बहुत जगहों पर सिया अम्मा जी के खिलाफ खड़ी होती है। उसे चुप कराने के लिए, अम्माजी अपने बेटे राघव का इस्तेमाल उसे रिझाने और उससे शादी करने के लिए करती हैं। लेकिन वह प्यार में पड़ जाता है और अम्माजी के खिलाफ सिया का समर्थन करता है। वीरपुर में अन्य गर्भवती महिलाएं भागने की कोशिश करती हैं। राघव और सिया कई बच्चियों को बचाते हैं। इस सीरियल में कई सारे ट्विस्ट और टर्न है लेकिन सबसे खूबसूरत है इसका अंत। जहां अम्मा जी वीरपुर गांव में बच्चियों के साथ खेलती-कूदती नजर आती हैं। वो समझ चुकी हैं कि बेटियों से तो घर-आंगन चहकता है। इस शो के प्रोड्यूसर श्यामाशीष भट्‌टाचार्या थे।

बानी इश्क दा कलमा

BANI ISHQ DA KALMA
BANI ISHQ DA KALMA

सात समंदर पार से एक राजकुमार आएगा और हमारी बेटी को ले जाएगा। इसी सोच की वजह से हमारे समाज में एनआरआई दूल्हों की एक अलग ही डिमांड हे। पंजाब में तो यह कुछ ज्यादा ही है। घरवाले एनआरआई के सामने इतने खुश हो जाते हैं कि कई बार वो पूरी छान-बीन किए बिना ही शादी कर देते हैं। बहुत बार लड़के अगर लड़की को विदेश ले भी जाते हैं तो एक से दो महीने में उसे वापस भारत भेज देते हैं या कई बार सिर्फ शादी कर लेते हैं और पीछे मुड़कर उसे देखते ही नहीं। बानी इश्क दा कलमा भी इसी समस्या पर आधारित एक सीरियल था। जिसमें केंद्र पात्र बानी (शेफाली शर्मा) थी। उसकी शादी कनाडा में रहने वाले परमीत से होती है। लेकिन परमीत शादी के अगले दिन ही निकल जाता है। शुरुआत में वो उससे फोन के जरिए संपर्क रखता है लेकिन बाद में वो भी खत्म हो जाता है। बानी एक समझदार लड़की है उसे अहसास परमीत ने उससे शादी अपनी पैतृक संपत्ति को पाने के लिए की है। वो हारती नहीं है संघर्ष करती है। इस सीरियल का अंत अच्छा होता है जिसमें परमीत और बानी एक हो जाते हैं। लेकिन बानी का किरदार सशक्त था। कलर्स पर आने वाले इस सीरियल को राज शेट्‌टी ने प्रोड्यूस किया था।

अफसर बिटिया

AFSAR BITIYA
AFSAR BITIYA

अगर एक पिता अपनी बेटी के सपनों को पूरा करवाने के लिए उसके साथ खड़ा हो तो चाहे परिस्थित कितनी भी विषम क्यों न हो सपना पूरा हो ही जाता है। यह कहानी एक ऐसी ही छोटे से शहर में रहने वाली और एक गरीब बाप की बेटी राज कृष्णा की थी जिसका सपना ब्लॉक डेवलपमेंट ऑफिसर बनने का था। कहानी कृष्णा (मिताली नाग )के बीडीओ बनने की पहली परीक्षा लेने के साथ शुरू होती है। एक और कमाल की बात थी कि कृष्णा राज दिखने में भी कोई सुंदर लड़की नहीं थी लेकिन उसके सपने सुनहरे थे। हालांकि इस सीरयल में कुछ परिस्थतियां ऐसी भी होती हैं कि जहां उसे शादी भी करनी पड़ती है लेकिन सीरियल पूरी तरह से बीडीओ बनने को लेकर था जहां उसके पिता और पति साथ खड़े होते हैं। इस सीरियल ने बता दिया कि बेटियां आसमान को छू सकती हैं बस उन्हें मौके देने की देर होती है। इस सीरियल की क्रिएटिव डायरेक्टर नेहा कोठारी थीं। अफसर बिटिया के रुप में मिताली नाग ने बेहतरीन अभिनय किया।