Summary: UPI छोड़ने का अनम मिर्ज़ा का तरीका हुआ वायरल, खर्चों पर मिला जबरदस्त कंट्रोल

सानिया की बहन अनम का एक वीडियो वायरल हुआ है जिसमें उन्होंने बताया है कि कैसे यूपीआई हटा कर वो पैसे बचा पा रही हैं।

Anam Mirza Spending Control: टेनिस स्टार सानिया मिर्ज़ा की बहन अनम मिर्जा ने हाल ही में इंस्टाग्राम पर एक वीडियो शेयर किया, जिसमें उन्होंने बताया कि वो कैसे एक छोटे लेकिन चौंकाने वाले बदलाव से पैसे बचा रही हैं। इस वीडियो में अनम ने कहा कि उन्होंने यूपीआई का इस्तेमाल पूरी तरह बंद कर दिया है और अपने फोन से गूगल पे जैसे एप्स भी हटा दिए हैं, ताकि रोजमर्रा के खर्चों को कम कर सकें।

अनम ने बताया कि क्यूआर कोड स्कैन करना या तुरंत पेमेंट करना यूपीआई से बेहद आसान है। इसे बंद करने से उन्हें यह समझ में आने लगा कि उनका पैसा कहां जा रहा है। यह वीडियो उनकी इंस्टाग्राम सीरीज “Little Changes, Big Impact” का चौथा एपिसोड था।

उनकी पोस्ट का कैप्शन था, “छोटे बदलाव, बड़ा असर। यूपीआई का इस्तेमाल पूरी तरह बंद किया। कोई स्कैन नहीं… इसका सीधा असर – कम खर्च। इससे मुझे समझ में आने लगा कि मेरा पैसा कहां जा रहा है।” उन्होंने यह भी माना कि शुरुआत में यह बदलाव अपनाना मुश्किल था। कई बार उन्हें अपने दोस्तों से कॉफी तक मंगवाना पड़ती थी। लेकिन धीरे-धीरे वह इस आदत में पूरी तरह ढल गईं और अब उन्हें यह बदलाव बेहद फायदेमंद लग रहा है।

अनम मिर्ज़ा का यह वीडियो सोशल मीडिया पर जल्दी ही वायरल हो गया। कई लोगों ने उनकी ईमानदारी और सरल सोच की तारीफ की। कुछ लोगों ने कहा कि वे भी यह तरीका अपनाने की कोशिश करेंगे और देखेंगे कि इससे उनके खर्च में कोई फर्क आता है या नहीं।

एक यूज़र ने लिखा: “इससे सच में बहुत बड़ा असर पड़ेगा।” वहीं एक और यूज़र ने लिखा, “आपके लिए ये ठीक है क्योंकि आप पहले से अमीर हैं। हम जैसे मिडल-क्लास लोगों के लिए यूपीआई बहुत जरूरी है। लोग खर्च सोच-समझकर करें, यह जरूरी है, लेकिन सिर्फ इसलिए यूपीआई डिलीट करना कुछ ज़्यादा हो गया।”

अनम का ये वीडियो इसलिए अलग रहा क्योंकि इसमें कोई जटिल बजटिंग तरीका नहीं बताया गया, बल्कि सिर्फ डिजिटल पेमेंट की सुविधा से थोड़ा हटकर खर्चों पर नियंत्रण की बात की गई थी। यही तो छोटा बदलाव है, जो बड़ा असर डालता है। पच्चीस तरह की ज्ञान की बातें लिखकर तो आप किसी को भी प्रभावित कर सकते हैं, कमाल इस में है कि आप कितनी आसानी से दिक्कतों का हल हासिल कर लेते हैं। यूपीआई के मामले में वाकई ऐसा है। इससे आप वो चीजें भी खरीद लाते हैं जिनकी आवश्यकता नहीं थी, वो भी केवल इसलिए कि आपके पास पेमेंट करने की सुविधा उपलब्ध है।

अगर भुगतान कैश पर निर्भर करेगा तो जाहिर है वो आप तय मात्रा में ही लेकर चलते हैं। कैश खत्म आपका शॉपिंग खत्म। घर आकर आप विचार कर सकते हैं कि क्या वाकई आपको उस चीज की जरूरत थी! अक्सर आप पाएंगे कि आपका काम उस चीज के बिना भी आसानी से चल रहा है। 

ढाई दशक से पत्रकारिता में हैं। दैनिक भास्कर, नई दुनिया और जागरण में कई वर्षों तक काम किया। हर हफ्ते 'पहले दिन पहले शो' का अगर कोई रिकॉर्ड होता तो शायद इनके नाम होता। 2001 से अभी तक यह क्रम जारी है और विभिन्न प्लेटफॉर्म के लिए फिल्म समीक्षा...