कहा जाता है कि फिल्मी परदे के हीरो, असल जिंदगी के हीरो नहीं होते। वे सिर्फ परदे पर हमारे रोल मॉडल हो सकते हैं लेकिन असल जिंदगी में उनसे किसी हीरोइज्म की उम्मीद नहीं करनी चाहिए। लेकिन फिल्मी सितारों ने इस आम धारणा को तोड़ा है। रुपहले परदे से उतरकर ये सितारे आम लोगों के बीच अपनी जगह बना रहे हैं। ऐसे कितने ही सितारे हैं जो सामाजिक कार्यों में भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं और समय-समय पर अपने सामाजिक सरोकारों को दर्शाते हैं।

आमिर खान इसका सबसे बड़ा उदाहरण हैं। अपने प्रसिद्ध टीवी टॉक शो सत्यमेव जयते में उन्होंने समाज के हर क्षेत्र को छूने की कोशिश की और अपनी सामाजिक जिम्मेदारी का परिचय दिया। लेकिन सिर्फ टॉक शो के जरिए ही नहीं, आमिर खान इससे पहले जमीनी स्तर पर भी सामाजिक कार्य कर चुके हैं। अप्रैल 2006 में वह गुजरात में नर्मदा बचाओ आंदोलन से जुडे थे। गुजरात सरकार द्वारा सरदार सरोवर बांध की ऊंचाई के विरोध में चलाए गए इस आंदोलन में आमिर की भूमिका सिर्फ यहीं तक सीमित नहीं थी। इस बांध के कारण विस्थापित होने वाले आदिवासियों के पक्ष में उन्होंने कई बार बयान भी दिए थे। इसके बाद 2011 में आमिर अन्ना हजारे के जन लोकपाल विधेयक से जुड़े आंदोलन का हिस्सा बने। इस सिलसिले में उन्होंने अन्ना के अनशन को अपना समर्थन दिया और उनके साथ मंच साझा किया। आमिर के सामाजिक कार्यों से प्रभावित होकर यूनिसेफ ने उन्हें अपना ब्रैंड एंबेसेडर बनाया। इसके जरिए आमिर भारत में बच्चों में कुपोषण को खत्म करने के अभियान से जुड़े।

सत्यमेव जयते का कांसेप्ट भी आमिर को कई सामाजिक सच्चाइयों के देखने क बाद सूझा था। उन्होंने अपनी फिल्म थ्री इडियट्स के प्रमोशन की दौरान देश भर का दौरा किया। इस दौरान उन्हें कई कटु सच्चाइयों का पता चला। उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा, मुंबई के फिल्म वाले असल भारत को नहीं समझते। सत्यमेव जयते के जरिए हम फिल्म वालों को भी जागरूक करना चाहते हैं।

आमिर कहते हैं, फिल्म इंडस्ट्री कई बार सिर्फ अपनी चकाचौंध में खोई रहती है लेकिन मुझे लगता है कि उसे खुद से अलग होकर सोचना चाहिए। हम इस समाज का अंग हैं और समाज के प्रति हमारी भी जिम्मेदारियां हैं। आज देश में लोगों की सोच में बदलाव हो रहा है और यह हमारे कामों में भी नजर आना चाहिए।

वैसे आमिर की तरह बाकी दोनों खान भी अपनी-अपनी तरह से सामाजिक कार्य करते रहे हैं।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

सलमान खान तो हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वच्छता अभियान से जुड़े हैं। प्रधानमंत्री ने दो अक्टूबर को इस अभियान की शुरुआत करते हुए सात लोगों के नाम प्रस्तावित किए थे जो इस अभियान को आगे बढ़ाएं। उनमें से एक नाम सलमान खान का भी था। सलमान ने इस प्रस्ताव को सिर माथे रखा और इस अभियान से जुड़ गए। अभी हाल ही में करजत में अपनी नई फिल्म प्रेम रतन धन पायो की शूटिंग के दौरान उन्होंने हाथ में झाड़ू उठाई और सफाई में लग गए। उनके साथ उनके सह कलाकार मनोज जोशी और नील नितिन मुकेश भी गुरेज नहीं किया और झाडू लगाने लगे।

सलमान खान की शैली सबसे अलग है। फिल्मों में भी और असल जिंदगी में भी। वह अक्सर लोगों को चौंकाते रहते हैं। अपनी फिल्म जय हो के प्रमोशन का कुछ हिस्सा उन्होंने एक विकलांग के इलाज में खर्च कर दिया था। इसी तरह सप प्रमुख मुलायम सिंह के गांव सैफई में गरीब बच्चों के इलाज के लिए पच्चीस लाख रुपए खर्च कर दिए थे। सलमान की एक संस्था है बीइंग ह्यूमन जिसके माध्यम से वह समाज सेवा करते रहते हैं। यह एक फैशन ब्रांड भी है जिसकी बिक्री से मिलने वाले पैसे को समाज सेवा में खर्च किया जाता है। सलमान पेंटिंग के शौकीन भी हैं और पेंटिंग से होने वाली कमाई को भी समाज सेवा में खर्च करते हैं। सलमान खान कहते हैं, मैं समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी निभा कर कोई एहसान नहीं कर रहा। मुझे अच्छा लगता है, इसलिए मैं यह सब करता हूं। अब आदरणीय प्रधानमंत्री जी के अभियान से जुड़कर मैं खुद को खुशकिस्मत मानता हूं।

 

 

 

 

 

 

 

 

इस तिकड़ी के तीसरे खान शाहरुख खान ने बेटी बचाओ जैसे अभियान में शामिल होकर साबित किया है कि वह सिर्फ रुपहले परदे पर लोगों के रोल मॉडल नहीं। इससे पहले वह पल्स पोलियो का प्रचार भी कर चुके हैं।  

 

 

इन दोनों अभियानों से मिलेनियम स्टार अमिताभ बच्चन भी जुड़ चुके हैं। बेटी बचाओ के सरकारी अभियान में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही है। इसके अलावा देश से पोलियो के खात्मे की जब-जब बात होती है तब-तब अमिताभ बच्चन का जिक्र जरूरी होता है। पल्स पोलियो के सरकारी विज्ञापनों में बिग बी लोगों का आह्वान करते हुए मिलते हैं। इसके अलावा वर्तमान सरकार के स्वच्छता आंदोलन में भी वह बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं। इस आंदोलन के समर्थन में अक्सर वह ट्वीट करते रहते हैं।

 

 

 

 

 

 

 

 

इस आंदोलन से विद्या बालन भी जुड़ी हैं। विद्या बालन संजीदा और अनूठी भूमिकाओं के लिए जानी जाती हैं। इसी के मुताबिक उन्होंने स्वच्छता अभियान के सरकारी विज्ञापनों में समाज सेविका की भूमिका अदा की है। वह लोगों को साफ-सफाई का महत्व बताती हैं और गांवों में घर-घर में में शौचालय बनाने की वकालत करती हैं। विद्या कहती हैं, हम इस तरह के अभियानों में शामिल होकर अपना सामाजिक दायित्व निभाते हैं। हर व्यक्ति अगर इस तरह अपनी-अपनी भूमिका निभाए तो समाज में कुछ न कुछ बदलाव तो आएगा ही।

 

 

 

 

 

 

 

 

प्रियंका चोपड़ा भी इन दिनों सामाजिक जिम्मेदारी का खूब परिचय दे रही हैं। मशहूर बॉक्सर मेरी कॉम पर आधारित फिल्म में टाइटिल भूमिका निभाकर उन्होंने साबित किया था कि वह महिला सशक्तीकरण के प्रति दृढ़ संकल्प हैं। अब वह यूएस एड के कैंपेन गर्ल राइजिंग इंगेज इंडिया जैसे जागरूकता अभियान से जुड़ गई हैं। इस अभियान का उद्देश्य भारत में अधिक से अधिक लड़कियों को कम से कम कक्षा 10 तक की शिक्षा दिलाना है। इसके अलावा लड़कियों को इस बात के लिए भी बढ़ावा देना कि वे माध्यमिक शिक्षा पूरी करें। प्रियंका का कहना है कि यह समस्या सिर्फ हमारे देश की नहीं। पूरी दुनिया की है। अगर हम इस दिशा में काम करें तो लड़कियों की जिंदगी बदल सकती है।

वैसे कई दूसरे सितारे भी समाज सेवा में लगे हुए हैं। शबाना आजमी, राहुल बोस, अनुपम खेर, विवेक ऑबराय जैसे सितारे अपने-अपने स्वयंसेवी संगठनों के माध्यम से समाजसेवा कर रहे हैं। अनुपम खेर गरीब बच्चों को पढ़ाने का काम करते हैं तो शबाना आजमी झुग्गी-झोंपड़ी वालों के लिए काम करती हैं और एड्स के खिलाफ अभियान का भी हिस्सा हैं।

 

 

 

 

 

 

 

 

शबाना आजमी 1989 से अपने सामाजिक सरोकारों का परिचय दे रही हैं। इस साल स्वामी अग्निवेश और असगर अली इंजीनियर के साथ मिलकर उन्होंने सांप्रदायिक सद्भावना के लिए दिल्ली से मेरठ तक की पैदल यात्रा की। झुग्गियों में रहने वाले लोगों और लातूर में आए भयंकर भूकंप पीड़ितों के लिए काम कर रहे सामजिक गुटों के साथ मिलकर शबाना आजमी ने भी कई महत्वपूर्ण कार्य किए। इसके लिए उन्हें गांधी इंटरनेशनल अवार्ड फॉर पीस दिया गया। 1993 में मुंबई दंगों के बाद शबाना आजमी ने एक प्रभावकारी आलोचक के रूप में धार्मिक उग्रवाद के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद की।

अन्य स्टार्स की संस्थाएं भी गरीबों की मदद के लिए समय-समय पर काम करती हैं। कुछ सितारे ऐसे भी हैं जो संस्था तो नहीं चलाते लेकिन समय-समय पर विभिन्न सामाजिक अभियानों में हिस्सा लेते हैं। अर्जुन रामपाल, जॉन अब्राहम और सेलिना जेटली एनिमल राइट्स वाली संस्था पेटा से जुड़े हुए हैं। जॉन ने एक ज्ञापन के जरिए सर्कस में हाथियों के करतबों को खत्म करने के लिए वन मंत्रालय से अनुरोध किया था जबकि अर्जुन ने भी कोल्हापुर के मंदिर से सुंदर नाम के हाथी को मुक्त करने की पहल में भाग लिया था। सेलिना जेटली भी पेटा से जुड़ी हुई हैं और लेस्बियन, गे, बाइसेक्सुअल और ट्रांसजेंडर समुदाय के हितों के भी आवाज उठाती रहती हैं।

 

 

 

 

 

 

 

 

नंदिता दास लड़कियों के अधिकारों के लिए हाल ही एक अभियान से जुड़ी हैं, जिसका नाम है – डार्क इज ब्यूटीफुल। भारतीयों में गोरेपन की दीवानगी का विरोध करने वाले इस अभियान का समर्थन करते हुए नंदिता दास का कहना है कि देश में सांवली त्वचा वालों को कमतर समझने की मानसिकता बहुत गहरी है। इसके ऐतिहासिक, धार्मिक कारण हैं लेकिन विज्ञापन और फिल्मों का योगदान भी कम नहीं। कम से कम फिल्म वालों को तो इसका विरोध करना ही चाहिए। 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

दिया मिर्जा विभिन्न संगठनों के साथ मिलकर सामाजिक कार्य करती रहती हैं। वह एडैप्ट यानी एबल डिसएबल ऑल पीपुल टुगैदर से जुड़ी हुई हैं। इस संस्था के कई अभियानों में वह हिस्सेदारी कर चुकी हैं जोकि विकलांगों के लिए सार्वजनिक स्थानों पर रैंप, एलिवेटर और टॉयलेट्स बनाने की वकालत करते हैं। दिया कैंसर पेशेंट्स एड एसोसिएशन और एड्स से संबंधित जागरूकता अभियान से भी जुड़ी हुई हैं।

फिल्मी सितारों के सामाजिक सरोकार कम नहीं। परदे पर अलग किस्म की भूमिका अदा करने वाले कई सितारे अपनी सामाजिक और राजनीतिक जागरूकता का भी परिचय देते हैं। रांझना फेम ऐक्टर्स स्वरा भास्कर और मोहम्मद जीशान अयूब ने दिल्ली के निर्भया कांड को रंगमंच पर उतारकर साबित किया कि कलाकार भी सामाजिक स्तर पर जागरूक होते हैं। अपने एफबी पेज के जरिए नवाजुद्दीन सिद्दीकी भी अक्सर नए-नए विषयों पर अपनी राय देते रहते हैं। जैसा कि मोहम्मद जीशान कहते हैं, अक्सर कलाकारों से यह उम्मीद नहीं की जाती कि वे राजनीतिक या सामाजिक स्तर पर जागरूक होंगे। कई बार हमसे कहा जाता है कि हमें ऐक्टिंग करनी चाहिए- और कुछ नहीं। लेकिन हम भी समाज का हिस्सा हैं और हर विषय पर अपनी राय रखते हैं। हमें भी पूरा हक है, अपनी बात कहने का।

सामाजिक कार्यकर्ता यशपाल मेहता कहते हैं, कई बार चर्चा में रहने के लिए कुछ फिल्मी कलाकार समाज सेवा का ढोंग करते हैं लेकिन हर शख्स एक जैसा नहीं होता। सामाजिक सरोकारों का परिचय देने के साथ-साथ कलाकारों के लिए यह भी जरूरी है कि वे फिल्मी परदे पर भी संजीदगी का परिचय दें। ऐसी भूमिकाएं चुनें जो सामाजिक रूप से जिम्मेदार हों। अभिनेत्रियां आइटम सांग चुनने के बजाय सशक्त भूमिका चुनें और अभिनेता लड़कियों के इर्द-गिर्द चक्कर लगाकर यह ईव टीजिंग को बढ़ावा न दें। यह भी किसी समाज सेवा से कम नहीं।