Brahmastra Movie Review:जिस फिल्म की कहानी, वीएफएक्स और किरदारों को लेकर लम्बे समय से एक उत्सुकता का माहौल बना हुआ है। उस बॉलीवुड की बहुप्रतिक्षित फिल्म ब्रह्मास्त्र ने सिनेमाघरों में दस्तक दे दी है। ब्रहृमास्त्र के ट्रेलर रीलिज के बाद से ही इस फिल्म का बेसब्री से इंतजार हो रहा है। फिल्म के वीएफएक्स और सीन्स ने दर्शकों की उत्सुकता को बढ़ा दिया है। जिन लोगों को फैंटेसी और सांइस फिक्शन पसंद है उन्हें ये फिल्म पसंद आएगी। वहीं इस फिल्म के वीएफएक्स वाले एक्शन सीक्वेंस देखकर ऐसा लगेगा जैसे कोई हॉलीवुड मूवी देख रहे हों। लेकिन अगर आप बॉलीवुड मसाला मूवी या कॉमेडी मूवी के फैन हैं तो यह फिल्म आपको निराश कर सकती है। लेकिन उम्मीद की जा रही है कि इस फिल्म से एक बार फिर बालीवुड की फिल्मों का बाक्स ऑफिस पर जादू चल सकेगा। रिलीज के बाद अब तक तो रणबीर कपूर और आलिया भट्ट स्टारर फिल्म को मिले-जुले रिव्यू मिल रहे हैं।
क्या है कहानी
फिल्म की कहानी भारतीय देव कथाओं और कहानियों से प्रेरित है। जैसा हम बचपन से सुनते आए हैं, देवता, असुर, शिव, नन्दी, हनुमान और अन्य देवताओं की खासियत और उनके अस्त्र-शस्त्र। उनको आधर बनाकर लिखी यह फैंटेसी कुछ अलग तो है, बस इसमें लव स्टोरी वाला एंगल आपको थोड़ा समझ नहीं आएगा। तो कहानी कुछ इस तरह है, काफी पहले कुछ ऋषियों ने तपस्या कर ईश्वर से कुछ अस्त्र-शस्त्र वरदान में मांगे थे, जिनमें सबसे ताकतवर था- ब्रह्मास्त्र। अब ब्रह्मास्त्र को कुछ बुरे लोग हासिल करना चाहते हैं और अच्छे लोग उसकी रक्षा करने की जिम्मेदारी उठाते हैं। ब्रह्मास्त्र को तीन हिस्सो में बांट दिया जाता है जिससे इसको गलत हाथों में जाने से रोका जा सके। उधर शिवा (रणबीर कपूर) जो एक डीजे बने हैं उनकी कहानी आती है। जिसे दशहरे के मेले में एक लड़की इशा यानी आलिया भट्ट से पहली नजर वाला प्यार हो जाता है। लेकिन प्यार के साथ उन्हें एक सुपर नैचरल ब्रह्म का अनुभव होता है, जो उन्हें बचपन से सपनो में आता है। शिवा की कहानी में आगे जुड़ते हैं एक वैज्ञानिक मोहन यानी शाहरुख खान बनारस के पेंटर शेट्टी यानी नागार्जुन के साथ। इनके साथ एंट्री होती है कुछ असुरों और उनकी संचालिका जुनून यानी मौनी रॉय की। लेकिन जुनून (मौनी रॉय) इन्हें एक साथ लाकर देव/ब्रह्मदेव को वापस जिंदा करना चाहती है। शाहरुख खान और नागार्जुन के किरदार के पास भी अस्त्र होते हैं, जो जुनून को रोकने की कोशिश करते हैं। गुरु जी (अमिताभ बच्चन) का एक आश्रम है, जहां ब्रह्मांश के कई सदस्य मौजूद हैं, जो जुनून को रोकने में आगे आते हैं।
शिवा खुद में एक अस्त्र (अग्नि अस्त्र) क्यों है और क्या आखिर में ब्रह्मास्त्र ये लोग बचा पाते हैं या नहीं… ऐसे ही कई सवालों के लिए आपको फिल्म देखनी होगी। ब्रह्मास्त्र की कहानी अच्छी लिखी गई है लेकिन कुछ बिखरी सी लगती है, इसके बावजूद फिल्म के दूसरे पार्ट ‘देव’ के लिए उत्सुकता पैदा करती है।
कैसा रहा अभिनय और निर्देशन
रणवीर और आलिया की लव स्टोरी में उन दोनों की केमेस्ट्री अच्छी है। दोनों ने अपने किरदारों को बखूबी निभाया है। वीएफएक्स और एक्शन सीक्वेंस से भरपूर इस फिल्म में रणवीर ने रोमांटिक और एक्शन सीक्वेंसेस के साथ जस्टिस किया है। गुरु के किरदार में अमिताभ बच्चन ने किरदार में रंग भरा है। उनकी अदाकारी में हमेशा की तरह प्रभावशाली है। शाहरूख खान जो कि गेस्ट अपीयरेंस में हैं। लम्बे समय बाद वे एक्शन करते नजर आ रहे हैं। इस कैरेक्टर में उनका प्रदर्शन भी अच्छा है। नागार्जन ने भी अपने किरदार को बखूबी निभाया है। फिल्म में जिसने सबका ध्यान आकर्षित किया वो हैं मौनी रॉय। जूनून के निगेटिव किरदार में भी उन्होंने प्रभावित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है।

वहीं बात करें निर्देशन की तो अयान मुखर्जी की ये अच्छी कोशिश है। उनका काम काबिल- ए- तारीफ है। ब्रह्मास्त्र के साथ अयान ने इंडियन सिनेमा को एक कदम आगे ले जाने का काम किया है। फिल्म के टेक्निकल आस्पेक्ट्स की आने वाले वक्त में भी जरूर चर्चा हुआ करेगी। हालांकि फिल्म की कहानी पहले हिस्से में वीक है। सेकंड हॉफ में कहानी रफ्तार पकड़ती है। अयान ने इससे पहले वेक अप सिड और ‘ये जवानी है दीवानी’ का निर्देशन किया था। दोनों ही फिल्मों को न सिर्फ क्रिटिक्स बल्कि दर्शकों ने भी पसंद किया था।
फिल्म का स्ट्रांग प्वाइंट
फिल्म का सबसे स्ट्रॉन्ग प्वाइंट इसका वीएफएक्स है। अभी तक जितनी भी फिल्में हमने इंडियन सिनेमा में देखी हैं, उनमें वीएफएक्स के मामले में ये अब तक की बेहतरीन फिल्मों में आएगी। हॉलीवुड की फिल्में पसंद करने वाले हमेशा यही सोचते हैं कि उस लेवल का वीएफएक्स यहां की फिल्मों में देखने को नहीं मिल सकता। लेकिन ये फिल्म देखने के बाद इस सोच में बदलवा जरूर आएगा। फिल्म को एक ओर जहां तकनीकी तौर पर मजबूत किया गया है तो वहीं दूसरी ओर इसकी कहानी को शास्त्रों से जोड़ा गया है। फिल्म की सिनेमैटोग्राफी और बैकग्राउंड म्यूजिक काफी अच्छा है, जो आपके स्क्रीनिंग एक्सपीरियंस को अच्छा करने का काम करता है। फिल्म का म्यूजिक भी ठीक ठाक है। प्रीतम ने केसरिया के रूप में म्यूजिक लवर्स को एक और अच्छा गाना दिया है, वहीं देवा देवा गाना भी कहानी के अनुसार सुनने में और उसे आगे बढ़ाने में मदद करता है। केसरिया गाना रिलीज के बाद लोगों की जुबान पर चढ़ चुका है।
कहां ठण्डी नजर आई फिल्म
फिल्म में काफी कुछ अच्छा है, लेकिन कुछ चीजें ऐसी भी हैं जो बेहतर हो सकती थीं। फिल्म के डायलॉग्स हुसैन दलाल ने लिखे हैं, जो कई जगहों पर काफी कमजोर साबित होते हैं। कई जगह बातचीत में ऐसा ह्यूमर डाला गया है, जो सीन में जबरदस्ती डाले गए लगते हैं। इसके अलावा फिल्म की लंबाई भी अधिक लगती है, कुछ हिस्सों पर फिल्म जबरदस्ती खींची गई है ऐसा महसूस होता है। वहीं फिल्म की कहानी शुरुआती वक्त में थोड़ी उलझी सी महसूस होती है, लेकिन धीरे धीरे उसकी परत खुलती है और हर सवाल का जवाब मिलता जाता है। बाकी कहानी के कुछ अंश से कुछ लोगों को आपत्ति भी हो सकती है।
क्यों देखें
अयान मुखर्जी ने इस फिल्म को बनाने में करीब नौ साल का वक्त लिया है और उनकी मेहनत फिल्म में साफ दिखाई देती है। ब्रह्मास्त्र एक ऐसी फिल्म है, जिसे आप पूरे परिवार के साथ देखने जा सकते हैं। यह फिल्म बच्चों को भी काफी पसंद आ सकती है। इसमें उन्हें मार्वल मूवीज का इफैक्ट देखने को मिलेगा। वीएफएक्स का इम्पैक्ट फील करना है तो इस बात का ध्यान रखें कि ये फिल्म 3 डी में ही देखें।

