Group of live snakes in water during Bihar's Snake Mela.
snake mela bihar

Summary: सिंघियाघाट नागपंचमी मेला: आस्था, साहस और सांपों की दो सौ साल पुरानी परंपरा

बिहार के समस्तीपुर जिले के सिंघियाघाट में हर साल सावन माह की नागपंचमी पर अनोखा मेला लगता है, जहां लोग ज़िंदा जहरीले सांपों को गले, हाथों और मुंह में लेकर आस्था और साहस का प्रदर्शन करते हैं।

Snake Mela in Bihar: भारत में त्योहारों की बात हो और उसमें नागपंचमी का जिक्र न हो, ऐसा हो ही नहीं सकता। लेकिन बिहार के समस्तीपुर जिले में स्थित विभूतिपुर थाना क्षेत्र के सिंघियाघाट पर हर साल सावन महीने में मनाई जाने वाली नागपंचमी कुछ अलग ही रूप में देखने को मिलती है। यहां का मेला बाकी जगहों से बिल्कुल अलग है, क्योंकि इस मेले में आस्था और साहस का ऐसा संगम होता है जिसे देखना किसी चमत्कार से कम नहीं।

सिंघियाघाट पर लगने वाले इस मेले की खासियत यह है कि यहां लोग अपने गले, कंधे और हाथों में ज़िंदा और जहरीले सांपों को लेकर घूमते हैं। छोटे बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक, हर उम्र के लोग सांपों के साथ इस मेले में भाग लेते हैं। इतना ही नहीं, कुछ लोग तो इन सांपों को मुंह में पकड़कर करतब भी दिखाते हैं। यह सब कुछ इतनी सहजता से होता है कि देखने वालों की आंखें फटी की फटी रह जाती हैं।

माना जाता है कि इस मेले में भाग लेने वाले विशेष तांत्रिक साधना के जरिए नदी में डुबकी लगाकर सांपों को बाहर निकालते हैं। मां भगवती के मंदिर से आरती और भजन-कीर्तन के साथ शुरू हुई यह यात्रा, भक्तों को बूढ़ी गंडक नदी तक ले जाती है। भगत हर डुबकी के साथ पानी से कई सांप निकालते हैं और श्रद्धालुओं के बीच बांटते हैं। ढोल की थाप और भक्ति गीतों के बीच यह पूरा दृश्य किसी आध्यात्मिक उत्सव से कम नहीं होता।

Snake Mela in Bihar: Man holding snakes during Bihar's traditional Snake Mela procession.
Bihar Snake Mela

स्थानीय लोगों के अनुसार यह मेला लगभग दो सौ साल पुरानी परंपरा का हिस्सा है। यह प्रथा पीढ़ियों से चली आ रही है और खास बात यह है कि आज तक इस मेले में किसी को भी सांप ने नहीं काटा है। नागपंचमी के दिन जब भक्त अपने गले में सांप लेकर मंदिर पहुंचते हैं, तो वहां सांपों की विशेष पूजा की जाती है। और फिर उन्हें जंगल में छोड़ दिया जाता है।

Young boys holding live snakes during Bihar's Snake Mela.
Snake Mela

इस मेले में महिलाओं की भागीदारी भी विशेष रूप से देखी जाती है। नागदेवता और माता विषहरी की पूजा करने के लिए महिलाएं दूर-दूर से यहां आती हैं। वे अपने परिवार की सुख-शांति और तरक्की के लिए नागदेवता से मन्नतें मांगती हैं। मान्यता है कि मां विषहरी सभी इच्छाओं को पूरा करती हैं। मन्नत पूरी होने पर महिलाएं मंदिर में प्रसाद चढ़ाती हैं और पूजा करती हैं।

हर साल नागपंचमी के दिन सिंघिया बाजार स्थित मां भगवती मंदिर से यह मेला आरंभ होता है। फिर हजारों भक्त सांपों को लेकर सिंघियाघाट की ओर बढ़ते हैं। यह नजारा इतना अद्भुत होता है कि कई किलोमीटर तक लोगों की लाइन लग जाती है, जिनके गले में सांप लिपटे होते हैं। भक्ति, साहस और लोक परंपरा का यह मेल मिथिला की सांप पूजा परंपरा को जीवंत बनाए हुए है।

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