Afwaah Movie Review: एक झूठ को सौ बार बोला जाए तो वो भी सच लगने लगता है, ये कहावत तो आपने सुनी ही होगी। ये बात आज के सोशल मीडिया के दौर में सटीक बैठती है। लोग बिना जाने, बिना समझो कुछ भी फॉरवर्ड करते हैं और वो मैसेज या वीडियो जंगल में आग की तरह तेजी से फैल जाता है। किसी को इस बात से मतलब नहीं होता कि इस बात में कितनी सच्चाई है।
सब बहस करने लग जाते हैं। इस संजीदा विषय को अपनी फिल्म की कहानी के रूप में लेकर आए हैं सुधीर मिश्रा। ‘अफवाह’ फिल्म में उन्होंने इसी तरह की घटना को पिरोने की कोशिश की है। नवाजुद्दीन सिद्दीकी, भूमि पेंडनेकर और सुमित व्यास की ‘अफवाह’ सिनेमाघरों में रिलीज हो गई है। सोशल मीडिया के इस दौर में ‘अफवाह’ देख झूठ के सच बनने की कहानी देख सकते हैं। फिल्म देखने से पहले एक नजर डाल लें इसके रिव्यू पर।
क्या है फिल्म की कहानी
फिल्म की कहानी एक उभरते युवा नेता विक्रम सिंह (सुमित व्यास) , उनकी मंगेतर जो एक राजनेता की बेटी हैं निवी (भूमि पेंडनेकर) और एड वर्ल्ड में जाने माने रहाब अहमद (नवाजुद्दीन सिद्दीकी) के इर्द गिर्द घूमती है। निवी के पिता ने राजनीतिक फायदे के लिए गठबंधन कर विक्रम के साथ निवी की शादी फिक्स कर दी। विक्रम अपनी महत्वाकांक्षाओं और राजनीति में आगे बढने के लिए कुछ भी करने को तैयार हैं। ऐसे में उनकी मंगेतर निवी को उनके काम करने के तरीकों से परेशानी होती है। वो अपनी जिंदगी ऐसे इंसान के साथ नहीं बिताना चाहती जो अपनी मंजिल तक पहुंचने के लिए गलत करने से भी नहीं हिचकिचाता। वो उससे शादी करने से बचने के लिए घर से भाग जाती हैं। वहीं रहाब अहमद है। आम लोंगों के लिए कुछ करना चाहते हैं।
जिसके लिए वो लोगों के बीच जा अपनी बात करते हैं। वो अपने राजस्थान में अपने गांव वापस आता इसी बीच एक बाजार में निवी को वापस ले जाने की कोशिश करते विक्रम के गुडों के साथ रहाब की भिडंत होती है। वो निवी को उन लोगों से बचाने के लिए अपने साथ ले वहां से भाग जाता है। इसके बाद शुरू होती है एक सोची समझी ‘अफवाह’ को सच बनाने की कहानी। विक्रम के लोग सोशल मीडिया पर निवी और रहाब के भागने की खबरों को कुछ इस तरह फैलाते हैं कि पूरा इलाका उनके खिलाफ हो जाता है। ‘एक बेवकूफ दूसरे बेवकूफ का जाकर एक चीज बताता है, वो बेवकूफ बिना सोचे समझे आगे जाकर दस लोगों को बताता है। जो अफवाहें हैं न वो इसी तरह फैलती हैं।’ भूमि पेंडनेकर के इस डायलॉग में फिल्म का सार समझ आता है। इन तीनों की जिंदगी में इस अफवाह से आए तूफान को देखने के सिनेमाघरों की तरफ रूख करना होगा।
एक्टिंग
नवाजुद्दीन एक शानदार एक्टर हैं और उनकी एक्टिंग हर किरदार में जान डाल देती है। फिल्म में भी उन्होंने बेहतरीन अदाकारी की है। भूमि ने भी निवी के किरदार को बखूबी निभाया है। वहीं बात करें सुमित व्यास की तो वे पिछले कुछ समय में अभिनेता के रूप में निखर कर सामने आऐ हैं। युवा राजनेता के किरदार को उन्होंने अच्छे से निभाया है। ओटीटी पर अपनी अदाकारी का जलवा दिखा रहे शारिब हाशमी ने भी बेहतरीन काम किया है।
डायरेक्शन
सुधीर मिश्रा कुछ हटकर करने के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने कई बेहतरीन फिल्में बनाई है। उनकी खासियत है कि आप उनकी फिल्मों को नज़रंदाज़ नहीं कर सकते हैं। इस बार वे सोशल मीडिया पर सीधे कटाक्ष करने वाली ‘अफवाह’ लाए हैं। आजकल फेक न्यूज और अफवाहें जिस तेजी से हैं। उनका सच दिखाने के लिए इस तरह की फिल्म एक आईना का काम कर सकती है। उन्होंने बेहतरीन निर्देशन कर फिल्म पर पकड़ बनाए रखी है।
कैसी है फिल्म
फिल्म अपने मुद्दे पर आने में शुरू में वक्त लेती है और कहानी ढीली लगती है लेकिन सेंकंड हाफ में फिल्म कमाल की लगती है। फिल्म को देखते हुए कई बार आपको अपने पास आए वीडियोज और मैसेज की याद आएगी जिन्हें किसी ने आग फॉरवर्ड करने के लिए आपके पास भेजा होगा। महज अफवाह फैलाने के लिए पोस्ट किए गए वीडियोज और मैसेज कितना नुकसान कर सकते हैं ये सोचने के लिए फिल्म आपको मजबूर कर देती है। फिल्म आज के सोशल मीडिया की खोखली बातों की सच्चाई बयां करती है। अगर आप अफवाहों को करीब से समझना चाहते हैं तो एक बार फिल्म देखना तो बनता है।