71st National Film Awards
71st National Film Awards

Summery- 71वें नेशनल फिल्म अवॉर्ड्स की खास झलक

71वें नेशनल फिल्म अवॉर्ड्स में शाहरुख और रानी को पहला नेशनल सम्मान, विक्रांत मैसी को बेस्ट एक्टर और मोहनलाल को दादा साहेब फाल्के अवॉर्ड मिला।

71st National Film Awards: विज्ञान भवन में आयोजित 71वें नेशनल फिल्म अवॉर्ड्स इस बार भारतीय सिनेमा के लिए कई ऐतिहासिक पलों के गवाह बने। समारोह का माहौल बेहद खास था, जहां देशभर से आए कलाकारों और फिल्म निर्माताओं ने एक-दूसरे की उपलब्धियों का जश्न मनाया। इस बार सबसे बड़ा आकर्षण था शाहरुख खान और रानी मुखर्जी को मिला उनका पहला नेशनल अवॉर्ड। हिंदी सिनेमा के इन दो दिग्गज कलाकारों ने दशकों तक दर्शकों का मनोरंजन किया है, लेकिन नेशनल लेवल पर सम्मान पाने का यह पहला अवसर था।

शाहरुख खान ने अपने करियर में 100 से ज्यादा फिल्मों में काम किया है। रोमांस के बादशाह कहे जाने वाले शाहरुख ने दर्शकों को ‘दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे’ जैसी अमर कहानियां दीं और ‘चक दे इंडिया’ जैसी फिल्मों से सामाजिक संदेश भी पहुंचाया। इसके बावजूद उन्हें अब तक नेशनल अवॉर्ड नहीं मिला था। लेकिन एटली द्वारा निर्देशित फिल्म ‘जवान’ में उनके जोशीले किरदार ने यह कमी पूरी कर दी।

रानी मुखर्जी भी इस जश्न में शामिल रहीं। उन्होंने फिल्म ‘मिसेज चटर्जी वर्सेज नॉर्वे’ में एक मां के संघर्ष को पर्दे पर जिस सच्चाई और गहराई से निभाया, उसने न केवल दर्शकों बल्कि जूरी का भी दिल जीत लिया। रानी को उनके करियर का पहला नेशनल अवॉर्ड मिलने पर पूरा हॉल तालियों से गूंज उठा। हिंदी सिनेमा के इन दोनों सितारों की यह जीत उनके लंबे और मेहनती सफर का प्रतीक है।

इस साल के अवॉर्ड्स में विक्रांत मैसी का नाम भी खूब चर्चा में रहा। उनकी फिल्म ‘12वीं फेल’ को बेस्ट फीचर फिल्म का अवॉर्ड मिला। यह फिल्म एक सच्ची घटना से प्रेरित कहानी है, जिसमें दिखाया गया है कि कैसे कठिन परिस्थितियों के बावजूद मेहनत और संघर्ष से सपने पूरे किए जा सकते हैं।

विक्रांत ने इस फिल्म में एक संघर्षशील छात्र का किरदार निभाया, जिसकी जिद और हिम्मत ने लाखों युवाओं को प्रेरित किया। उनके अभिनय ने किरदार को इतना जीवंत बना दिया कि उन्हें बेस्ट एक्टर का नेशनल अवॉर्ड भी मिला। खास बात यह रही कि यह सम्मान उन्होंने शाहरुख खान के साथ साझा किया। दोनों कलाकारों को मंच पर खड़े होकर तालियों से सम्मानित किया गया, जो उस पल को और भी यादगार बना गया।

71वें नेशनल फिल्म अवॉर्ड्स का सबसे भावुक और गौरवशाली क्षण तब आया जब मलयालम सुपरस्टार मोहनलाल को दादा साहेब फाल्के अवॉर्ड से सम्मानित किया गया। यह पुरस्कार भारतीय सिनेमा का सर्वोच्च सम्मान माना जाता है। मोहनलाल ने 1978 से अब तक 400 से ज्यादा फिल्मों में अभिनय किया है और अपनी बहुमुखी प्रतिभा से देशभर के दर्शकों का दिल जीता है।

सम्मान प्राप्त करने के बाद उन्होंने कहा, “सिनेमा मेरी दिल की धड़कन है।” राष्ट्रपति द्रौपदी मूर्मू ने स्वयं उन्हें यह पुरस्कार प्रदान किया। उस क्षण पूरा हॉल खड़े होकर तालियों से गूंज उठा। मोहनलाल का यह सम्मान न केवल उनके करियर की उपलब्धि है, बल्कि पूरे भारतीय सिनेमा के लिए गर्व का विषय है।

71वें नेशनल फिल्म अवॉर्ड्स केवल एक सम्मान समारोह नहीं थे, बल्कि यह भारतीय सिनेमा की विविधता, मेहनत और प्रतिभा का उत्सव भी थे। एक ओर जहां शाहरुख खान और रानी मुखर्जी जैसे कलाकारों को पहली बार राष्ट्रीय पहचान मिली, वहीं विक्रांत मैसी जैसे उभरते सितारे ने अपनी जगह पक्की की। दूसरी ओर मोहनलाल जैसे दिग्गज का सम्मान हमें याद दिलाता है कि सिनेमा केवल मनोरंजन नहीं, बल्कि समाज और संस्कृति का दर्पण भी है।

प्रतिमा 'गृहलक्ष्मी’ टीम में लेखक के रूप में अपनी सेवाएं दे रही हैं। डिजिटल मीडिया में 10 सालों से अधिक का अनुभव है, जिसने 2013 में काशी विद्यापीठ, वाराणसी से MJMC (मास्टर ऑफ जर्नलिज्म एंड मास कम्युनिकेशन) की डिग्री प्राप्त की। बीते वर्षों...