Tiger drone formation
Tiger drone formation

Summary: भारत के मैसूर शहर में ड्रोन तकनीक ने रचा इतिहास, आसमान में बना दुनिया का सबसे बड़ा ‘टाइगर फॉर्मेशन’।

मैसूर के आसमान में 2,983 ड्रोन ने मिलकर एक विशालकाय बाघ की आकृति बनाई, जिसने भारत के नाम नया गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड दर्ज करा दिया। तकनीक और रचनात्मकता के इस अनोखे प्रदर्शन ने पूरे देश का ध्यान अपनी ओर खींच लिया।

Drone Tiger: मैसूर की एक साधारण-सी शाम अचानक इतिहास बन गई, जब शहर के ऊपर चमकते आसमान में हज़ारों ड्रोन एक साथ उठे और रोशनी के बिंदुओं ने मिलकर एक विशालकाय बाघ का रूप ले लिया। यह दृश्य इतना अद्भुत, इतना सटीक और इतना भव्य था कि उसने सीधे भारत के नाम एक गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड दर्ज करा दिया। तकनीक और कला के इस अनोखे संगम ने मैसूर को वैश्विक सुर्खियों में ला दिया।

28 सितंबर को बणिमंतप के टॉर्चलाइट परेड ग्राउंड में 2,983 ड्रोन ने एक साथ उड़ान भरकर भारत के राष्ट्रीय पशु बाघ की चमकदार आकृति बनाई। हवा में एकदम सही आकार में उभरता यह ‘बाघ’ मानो जीवंत प्रतीत हो रहा था। यह प्रदर्शन इतना विशाल और तकनीकी रूप से परफेक्ट रहा कि इसे दुनिया का सबसे बड़ा ‘टाइगर ड्रोन फॉर्मेशन’ घोषित किया गया।

इस उपलब्धि को हासिल करने में चामुंडेश्वरी इलेक्ट्रिसिटी सप्लाई कॉरपोरेशन (CESC) की बड़ी भूमिका रही। इस बार ड्रोन की संख्या बढ़ाकर लगभग 3,000 की गई और इसी के साथ उन्होंने महसूस किया कि यह प्रयास दुनिया में पहला होगा। इसी सोच ने रिकॉर्ड हासिल करने की दिशा में कदम तेज कर दिए।

गिनीज़ रिकॉर्ड पाना आसान नहीं होता। इसके लिए प्रत्येक तकनीकी कदम की अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार जांच होती है। इस प्रदर्शन में भी सभी नियमों का बेहद सूक्ष्मता से पालन किया गया। लंदन से आई विशेषज्ञ टीम, एयरोनॉटिकल इंजीनियर, ऑडिटर्स और कानूनी सलाहकार लगातार हर प्रक्रिया की निगरानी कर रहे थे ड्रोन की ऊंचाई से लेकर उनकी दिशा, गति, आकृति की सफाई और अंतिम विजुअल की सटीकता तक हर चीज को कई स्तरों पर परखा गया।
28 सितंबर का पहला ट्रायल सफल रहा, फिर 29 सितंबर को दूसरा परीक्षण किया गया। इसके बाद 1 और 2 अक्टूबर को मुख्य प्रदर्शन आम लोगों के लिए खोला गया, जहाँ हजारों दर्शकों ने इस तकनीकी चमत्कार को प्रत्यक्ष देखा।

इस शो की खूबसूरती सिर्फ बाघ तक ही सीमित नहीं थी। तकनीकी सीमा के कारण एक प्रदर्शन में 10–12 ही आकृतियाँ दिखाई जा सकती थीं, इसलिए टीम ने हर चित्र बेहद सोच-समझकर चुना।
रोशन ड्रोन के जरिए आसमान में सौर मंडल, विश्व मानचित्र, मोर, डॉल्फ़िन, ईगल, अंबारी हाथी, मां कावेरी और देवी चामुंडेश्वरी जैसी आकृतियाँ उभरीं। भगवान श्रीकृष्ण का कालिया नाग पर नृत्य वाला दृश्य तो लोगों को स्तब्ध कर देने वाला था। हर आकृति के साथ मैदान में बैठे दर्शकों की खुशी और तालियाँ बढ़ती चली गईं। ऐसा लग रहा था मानो तकनीक ने कला का नया रूप गढ़ दिया हो।

इस रिकॉर्ड-तोड़ प्रदर्शन के पीछे 300 से अधिक लोगों की टीम दिन-रात काम कर रही थी। लगभग 100 तकनीकी विशेषज्ञ प्राइवेट कंपनी से जुड़े थे, जबकि 200 से अधिक कर्मचारी CESC की टीम में शामिल थे।
शो की शाम की शुरुआत गायक कुनाल गांजावाला की लाइव प्रस्तुति से हुई, जिसने माहौल को एक खूबसूरत ऊर्जा दी। और फिर, जैसे ही ड्रोन एक-एक कर आसमान में चमकने लगे, पूरा मैदान मानो किसी नई दुनिया में प्रवेश कर गया। मैसूर हमेशा अपनी सांस्कृतिक पहचान और भव्य आयोजनों के लिए जाना जाता रहा है। लेकिन इस बार शहर ने तकनीक की ऐसी उड़ान भरी जिसने दुनिया को चौंका दिया।

राधिका शर्मा को प्रिंट मीडिया, प्रूफ रीडिंग और अनुवाद कार्यों में 15 वर्षों से अधिक का अनुभव है। हिंदी और अंग्रेज़ी भाषा पर अच्छी पकड़ रखती हैं। लेखन और पेंटिंग में गहरी रुचि है। लाइफस्टाइल, हेल्थ, कुकिंग, धर्म और महिला विषयों पर काम...