Summary : कई पुरानी बेल इस इलाके में
ज़ोगांग काउंटी में आज भी 64 ऐसी पुरानी बेलें मौजूद हैं जिनकी उम्र सौ साल से ऊपर है। इस इलाके की वाइन बनाने की परंपरा हजार साल से भी ज्यादा पुरानी मानी जाती है...
Grapevine Guinness Record: पूर्वी तिब्बत के पहाड़ी इलाकों में, रोजिन टाउनशिप के ज़ूबा गांव में एक ऐसी पुरानी बेल खड़ी है, जिसने चार सौ साल से भी ज़्यादा ठंडी हवाओं और कड़क ठंड को झेला है। उसकी जड़ें आज भी पथरीली जमीन को मजबूती से पकड़े हुए हैं और उसकी टहनियां मानो समय की परतों के साथ उलझकर बड़ी हुई हैं। हाल ही में इस बेल को गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स ने दुनिया की सबसे पुरानी जीवित जंगली अंगूर की बेल घोषित किया है। इसकी उम्र 416 साल मानी गई है।
यह बेल लगभग आठ मीटर ऊंची है। जमीन के पास इसकी मोटाई 209 सेंटीमीटर और तने का व्यास 67 सेंटीमीटर है। इस बेल को पहली बार चांगदू शहर में प्राचीन और दुर्लभ पेड़ों की तीसरी सर्वे टीम ने देखा। बाद में, चीन की साउथवेस्ट फॉरेस्ट्री यूनिवर्सिटी के वुड साइंस रिसर्च लैब के वैज्ञानिकों ने इसके तने के छल्लों और अन्य मापों के आधार पर इसकी उम्र की पुष्टि की।
तुलना के लिए, दुनिया की सबसे पुरानी बेल का रिकॉर्ड इससे पहले स्लोवेनिया के मारिबोर शहर की ‘द ओल्ड वाइन’ के नाम था, जिसकी उम्र 1972 में किए गए अध्ययन के समय 350 से 400 साल के बीच बताई गई थी। इसकी जड़ का बीच का हिस्सा सड़ चुका था, इसलिए सही-सही उम्र नहीं पता चल सकी। डॉ. वांग हैबो चीन की एग्रीकल्चरल साइंसेज़ एकेडमी के फ्रूट ट्री इंस्टिट्यूट के डिप्टी डायरेक्टर हैं। वांग कहते हैं कि 2400 मीटर की ऊंचाई पर चार सौ साल पुरानी जंगली अंगूर की बेल मिलना इस बात का सबूत है कि प्रकृति कितनी धैर्यवान और जीवन कितना मजबूत है। यह सिर्फ एक वर्ल्ड रिकॉर्ड नहीं है, यह समय को अपने भीतर संजोए खड़ी एक जिंदा यादगार है।
50 साल होती है उम्र
आम तौर पर खेती वाली बेलें 50 साल से ज़्यादा नहीं जीतीं। और जो 100 साल तक टिक जाती हैं, उन्हें बहुत खास माना जाता है। लेकिन ज़ोगांग काउंटी में आज भी 64 ऐसी पुरानी बेलें मौजूद हैं जिनकी उम्र सौ साल से ऊपर है। इस इलाके की वाइन बनाने की परंपरा हजार साल से भी ज्यादा पुरानी मानी जाती है, और इसका जिक्र ‘द एपिक ऑफ किंग गेसर’ जैसी रचनाओं में भी मिलता है। 2004 में ज़ोगांग को “चीन की जंगली लाल अंगूरों की जन्मस्थली” का दर्जा मिला था और 20 साल बाद उसका नाम फिर से गिनीज रिकॉर्ड्स में दर्ज हुआ।

छल्ले बताते हैं पूरा इतिहास
वैज्ञानिक कहते हैं कि बेल के तने में मौजूद छल्ले सिर्फ उम्र नहीं बताते, बल्कि मौसम का पूरा इतिहास भी दिखाते हैं कि कब ठंड ज्यादा थी, कब गर्मी, कब बारिश हुई, कब सूखा पड़ा। हर एक रिंग मानो उस ऊंचे पठार की बदलती सांसों को दर्ज करती है। वैसे जानकारों को उम्मीद है कि इन धुंध से घिरी घाटियों के पार, कहीं मिट्टी के भीतर और भी प्राचीन बेलें चुपचाप अपनी खोजे जाने का इंतजार कर रही हैं।

