Posted inउत्सव, ट्रेवल

मिजोरम की संस्कृति को जानें ‘चपचार कुट’ के जरिए

मानव इतिहास में कृषि व्यवस्था आजतक की सबसे बड़ी क्रांति है, जिसने घुमक्कड़, कंदमूल खाने वाले और मांसाहारी मानव को एक बेहतर भोजन विकल्प दिया और उसके जीवन में अनुशासन कायम किया। इसीलिए दुनिया की हर संस्कृति में फसल के बोने और कटने का बहुत महत्त्व है। उत्तर भारत में इसे लोहड़ी, मकर संक्रांति के […]

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तुम्हारा सुंदर भविष्य तुम्हारे हाथों में है – आचार्य महाप्रज्ञ 

मैंने बड़े सहज भाव से कह दिया कि मन को खाली कर डालो। पर उसे खाली करना क्या इतना सरल है, जितना शब्दों में दिखता है? तुम जब-जब उसे खाली करने का प्रयत्न करोगे, तब-तब विकल्पों का तूफान आएगा। तुम उससे नहीं निपट पाओगे। मन भरा रह जाएगा। तुम मानते हो कि स्मृति मनुष्य के […]

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आत्म निरीक्षण की प्रक्रिया से गुजरो -स्वामी चिन्मयानद  

शुभस्य शीघ्रम। आज से ही आरंभ करो। आगामी कल की प्रतीक्षा व्यर्थ है, वह शायद कभी न आए। संभव है कि प्रारंभ में आत्म-विश्लेषण का यह कार्य अत्यंत असंतोषरूप में चले। प्रारंभिक दिनों की आत्म-विश्लेषण कथा कदाचित् किसी देव पुरुष के आदर्श जीवन जैसी मालूम पड़ेगी। फिर भी अभ्यास जारी रखो। प्रत्येक दिन के संपूर्ण […]

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मनुष्य प्रकृति से भिन्न नहीं है – अम्मा 

ईश्वर के अस्तित्व को नकारना स्वयं के अस्तित्व को नकारने तुल्य है। प्रकृति को नकारना भी वैसा ही है, कारण यह कि प्रकृति ईश्वर का दृश्य रूप है। अनेक लोग विश्वास करते हैं कि प्रकृति पर अपनी प्रभुता स्थापित करना ही मानवधर्म है। परन्तु इस चेष्टा के दौरान हम अपने ही कट्टर वैरी बन गए […]

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प्रतिबद्ध बनो, प्रतिभाशाली बनो – श्री श्री रविशंकर

सेवा के लिए प्रतिबद्धता ही संसार में हमारा सर्वप्रथम और प्रमुख ध्येय है। यदि तुम्हारे जीवन में भय या उलझन है, तो यह तुम्हारे प्रतिबद्धता के अभाव के कारण। यदि तुम्हारे जीवन में अस्त व्यस्तता है, तो संकल्प के अभाव के कारण। केवल यह विचार, ‘मैं यहां संसार में सेवा के लिए ही हूं’, ‘मैं’ […]

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सपने साकार होंगे – सद्गुरु 

आपकी हर मंशा पूरी होगी बशर्ते कि पहले आप सुलझी हुई मति से चुनाव कर पाएं कि आपको क्या चाहिए। फिर उसे पाने के लिए दृढ़ संकल्प चाहिए। यदि मैं आप लोगों से पूछूं तो बहुतेरे लोग सकारात्मक ढंग से नहीं बता पाएंगे कि उन्हें क्या चाहिए, हालांकि यह जरूर बता सकते हैं कि क्या […]

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ईश्वर के लिए भी व्याकुल होना सीखो -रामकृष्ण परमहंस 

आजकल वेद, पुराण, तंत्र, षड्दर्शन सब के हो गए हैं क्योंकि वे मुंह से पढ़े जाते हैं, मुंह से उच्चारित होते है। इसी से उन्हें झूठा माना जाएगा। पर केवल एक वस्तु झूठी नहीं हुई है- वह वस्तु है ब्रह्म’। ब्रह्म क्या है यह बात आज तक कोई मुंह से बोल कर नहीं समझा सकता […]

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मनोमय कोश हमारा पुराना साथी – आनंदमूर्ति गुरु मां 

एक स्त्री के लिए कोई कहता है कि यह मेरी बहन है। दूसरा कहता है कि यह मेरी पत्नी है। तीसरा कहता है कि मेरी चाची है। कोई कहता मौसी, कोई कहता नानी, कोई कहता दादी, कोई कहता बुआ है। औरत एक ही है, पर एक ही औरत के साथ इतने अलग अलग रिश्ते घोषित […]

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जिन्होंने बदल दिया शहादत के मायने…

भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में हिस्सा लेने वाले सभी क्रांतिकारियों का व्यक्तित्व इतना विराट था कि आप एक शब्द विशेष सुनते ही सीधे उन्हीं को याद करते हैं। जैसे कि अहिंसा से महात्मा गांधी, समाजवाद से जवाहर लाल नेहरू, समानता से भीमराव अम्बेडकर और शहादत से भगत सिंह, राजगुरू और सुखदेव। शहादत…क्रांति के इस सबसे ऊंचे […]

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दान का महत्त्व क्यों है?

दान का जीवन में महत्त्व आदिकाल से रहा है। ऋषि-मुनियों और दानवीरों की गाथा से इतिहास भरा पड़ा है। सबसे बड़े दानी तो भगवान शिव को माना जाता है जो कि किसी याचक को कुछ भी देने से मना नही करते हैं। दान प्रथा भारत की पहचान है और दान भी ऐसा होना चाहिए कि […]

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