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रूठीं लक्ष्मी – उपनिषदों की कथाएँ

Hindi Katha: प्राचीन समय की बात है – पृथ्वी पर भगवान् विष्णु के एक अनन्य उपासक इन्द्रसावर्णि नाम के राजा राज्य करते थे। उनके पुत्र का नाम वृषध्वज था। भगवान् शिव में वृषध्वज की असीम श्रद्धा थी। भगवान् शिव भी वृषध्वज को पुत्र से बढ़कर चाहते थे। राजा वृषध्वज के हृदय में शिव को छोड़कर […]

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पृथ्वी की उत्पत्ति – उपनिषदों की कथाएँ

Hindi Katha: एक बार की बात है – देवर्षि नारद भगवान् नारायण के पास विराजमान थे। तब उन्होंने हाथ जोड़कर भगवान् नारायण से कहा भगवन् ! जब सम्पूर्ण जगत् जल में डूब जाता है। जीव परब्रह्म परमात्मा में लीन हो जाते हैं। तब उस समय पृथ्वी कहाँ निवास करती है? और सृष्टि के समय वह […]

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महर्षि याज्ञवल्क्य – उपनिषदों की कथाएँ

Hindi Katha: प्राचीन समय की बात है – याज्ञवल्क्य नामक एक प्रसिद्ध ऋषि हुए। वे राजा जनक के पुरोहित थे और अपने गुरु के आश्रम में ही रहकर उनकी सेवा-उपासना करते थे। मुनि याज्ञवल्क्य एक धर्मात्मा, तपस्वी तथा दयालु स्वभाव के व्यक्ति थे। उनकी किसी बात से रुष्ट होकर एक बार उनके गुरु ने उन्हें […]

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तारकासुर – उपनिषदों की कथाएँ

Hindi Katha: एक बार दक्ष प्रजापति ने एक बड़ा यज्ञ किया। उस यज्ञ में उसने शिव को आमंत्रित नहीं किया। इस बात से क्रुद्ध होकर सती ने योगाग्नि से स्वयं को भस्म कर लिया। पत्नी सती के अभाव में शिव लीलावश पागल जैसे हो गए और एक शांत स्थान पर जाकर भगवती माता का ध्यान […]

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महाशक्ति का चमत्कार – उपनिषदों की कथाएँ

Hindi Katha: ब्रह्माजी जब सृष्टि की रचना कर रहे थे, तब की बात है। उन्होंने कई दैत्य पैदा किए जो जगत् में हालाहल नामक दैत्य कहलाए। उन दैत्यों में अपार बल था । उन्होंने अपनी तपस्या से ब्रह्माजी को प्रसन्न कर लिया और उनसे इच्छित वर प्राप्त कर स्वर्ग पर अधिकार कर लिया। तत्पश्चात् उन्होंने […]

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राजा मान्धाता – उपनिषदों की कथाएँ

Hindi Katha: प्रसेनजित इक्ष्वाकु वंश के एक प्रसिद्ध राजा थे। उनके यौवनाश्व नामक एक प्रतापी पुत्र हुए। राजा यौवनाश्व धार्मिक, सत्यवादी, शूरवीर, दानवीर और प्रजाप्रिय राजा थे। उनकी सौ रानियाँ थीं, किंतु दैव-योग से उनमें से किसी से कोई संतान उत्पन्न नहीं हुई। इस कारण यौवनाश्व सदैव चिंतातुर रहते थे। अंत में इस दुःख से […]

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महर्षि च्यवन – उपनिषदों की कथाएँ

Hindi Katha: च्यवन ऋषि महर्षि भृगु और पुलोमा के पुत्र और दैत्यगुरु शुक्राचार्य के भाई थे। एक बार भगवती माता की तपस्या करने की इच्छा से च्वयन ऋषि एक गहन वन में पहुँचे। उस वन में एक सुंदर सरोवर था। सरोवर में कमल के सुंदर फूल खिले थे। अनेक विशाल वृक्ष सरोवर के तट की […]

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नारदजी को शाप – उपनिषदों की कथाएँ

Hindi Katha: सृष्टि के आरंम्भिक काल में भगवती जगदम्बिका ने त्रिदेवों – ब्रह्मा, विष्णु और शिव की उत्पत्ति की । तत्पश्चात् उन्होंने ब्रह्माजी को सृष्टि रचना का, विष्णु को पालन का और शिवजी को संहार का कार्य सौंपा। तब भगवती की इच्छानुसार त्रिदेव सृष्टि का कार्य करने लगे । ब्रह्माजी ने मरीचि, क्रतु, अत्रि, वसिष्ठ, […]

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लक्ष्मी को शाप – उपनिषदों की कथाएँ

Hindi Katha: एक बार की बात है – लक्ष्मी और श्रीविष्णु वैकुण्ठ में बैठे सृष्टि-निर्माण के विषय में वार्तालाप कर रहे थे। तभी किसी बात से क्रोधित होकर लीलामय भगवान् विष्णु ने लक्ष्मी जी को अश्वी (घोड़ी) बनने का शाप दे दिया। इससे लक्ष्मी जी अत्यंत दु:खी हुईं। श्रीहरि को प्रणाम कर देवी लक्ष्मी मृत्युलोक […]

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वरदान – उपनिषदों की कथाएँ

Hindi Katha: हैहय वंश में कार्तवीर्य नाम के एक प्रसिद्ध राजा हुए। सदा धर्म में तत्पर रहने वाले उस राजा की एक हज़ार भुजाएँ थीं, इस कारण उसका एक अन्य नाम सहस्रार्जुन भी था। भगवती जगदम्बा उस राजा की इष्ट- देवी थीं। सहस्रार्जुन का अधिकतर समय दान-धर्म में बीतता था। उन्होंने अनेक यज्ञ करके अपनी […]

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