Grehlakshmi Kavita: चलते चलते क्यों रुक सी गई हैं जिंदगी परेशान हर लम्हा क्यों हो रही हैं जिंदगी जीने का मज़ा क्यों छीन रही है जिंदगी खामोश थे लम्हें क्यों बुलवा रही हैं जिंदगी रुके से कदमों को क्यों खींच रही हैं जिंदगी अनजाने थे ये रास्तेंं क्यों बहका रही हैं जिंदगी शमा से खामोश […]
Author Archives: जयश्री बिरमी
Posted inसामाजिक कहानियाँ (Social Stories in Hindi), हिंदी कहानियाँ
आधी अधूरी मां-गृहलक्ष्मी की कहानी
Mother Story: जब से मैंने उसे स्कूल के प्रांगण में बिंदास खेलते देखा था तब से वह मुझे बहुत ही भा गई थी।चंपई रंग की,गोल शक्ल , छरहरा बदन और एक दम ही आत्मविश्वास से भरी चाल किसी का भी मन मोह लेती थी तो भला मैं कैसे बचूंगी।नई नई आई थी में शहर में,अभी […]
