Bullying Response
Bullying Response

Bullying Response: बच्चों को बुलीइंग से कैसे बचाएं, यह जानना हर माता-पिता के लिए जरूरी है। सही मार्गदर्शन और आत्मविश्वास से बच्चे न सिर्फ खुद को सुरक्षित रख सकते हैं, बल्कि दूसरों के लिए भी मिसाल बन सकते हैं।

आरव एक 10 साल का लड़का क्योंकि उसे अपने भीतर की ताकत का एहसास हो गया था। था जो हमेशा खुशमिजाज रहता था। लेकिन उसकी मुस्कान धीरे-धीरे कम होने लगी थी। स्कूल में एक
लड़का, विक्की रोज उसे चिढ़ाता, उसका टिफिन छीन लेता और कभी-कभी धक्का भी दे देता। आरव डर के मारे किसी से कुछ नहीं कहता, लेकिन उसका मन अंदर से टूटने लगा था।

एक दिन उसकी मां ने उसकी आंखों में उदासी देख ली। प्यार से बैठाकर बात की और धीरे-धीरे आरव ने सब कुछ बता दिया। मां ने उसे समझाया कि बुलीइंग का सामना चुपचाप सहने से नहीं, बल्कि समझदारी और आत्मविश्वास से किया जाता है। उन्होंने उसे कुछ आसान तरीके बताए और साथ ही स्कूल टीचर से बात करने की हिमत दी। आरव ने उन तरीकों को अपनाया और धीरे
धीरे विक्की का सामना करना शुरू किया। अब आरव की मुस्कान वापस आ गई थी क्योंकि उसे अपने भीतर की ताकत का एहसास हो गया था।

जब बच्चे बुलीइंग का शिकार होते हैं, तो वे खुद को कमजोर और अकेला महसूस करने लगते हैं। ऐसे में सबसे पहला कदम होता है- उन्हें यह यकीन दिलाना कि वे अकेले नहीं हैं और उनके साथ खड़े होने वाले लोग मौजूद हैं। बच्चों से रोज बातचीत करें, उनकी दिनचर्या जानें और भावनात्मक रूप से जुड़ें। उनके आत्मसमान को मजबूत करें और उन्हें बताएं कि उनका समान करना सबसे जरूरी है, खुद के लिए भी और दूसरों के लिए भी। उन्हें यह भी सिखाएं कि वे किसी के अपमानजनक व्यवहार को सहन करने के लिए मजबूर नहीं हैं।
बच्चों को ‘ना’ कहना सिखाना, अपनी बात को बिना डरे कहना और मदद मांगने की आदत डालना एक मजबूत मानसिकता बनाता है। जब वे आत्मविश्वासी होते हैं, तो बुली करने वाला बच्चा भी दो बार सोचता है। यह आत्मविश्वास उन्हें न केवल बुलीइंग से बचाता है, बल्कि जीवन के अन्य पहलुओं में भी उन्हें सशक्त बनाता है।

अक्सर बच्चे बुलीइंग के बारे में नहीं बताते क्योंकि उन्हें डर होता है कि इससे बात और बिगड़ जाएगी या उन्हें शॄमदगी महसूस होती है। इसलिए जरूरी है कि माता-पिता और शिक्षक ऐसे संकेतों पर ध्यान दें, जैसे- अचानक चुप रहना, स्कूल जाने से डरना, चीजें गायब होना या नींद में डरना। बच्चों को सिखाएं कि बुलीइंग कोई शर्म की बात नहीं है, बल्कि यह एक गलत व्यवहार है जिसके खिलाफ बोलना बहुत जरूरी है।
उन्हें यह समझाएं कि उनकी चुप्पी से बुली करने वाले की हिमत और बढ़ती है। उन्हें यह विश्वास दिलाएं कि वे जब भी बोलेंगे, उन्हें सुना और समझा जाएगा।
बातचीत का माहौल सकारात्मक और सहयोगी होना चाहिए, ताकि बच्चा खुलकर
बात कर सके।

Bullying Response-school aur teachers ki bhoomika
school aur teachers ki bhoomika

बुलीइंग से निपटने में स्कूल और शिक्षक बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। जब कोई बच्चा किसी परेशानी में होता है, तो सबसे पहले उसे स्कूल में ही सुरक्षा और समर्थन मिलना चाहिए। स्कूलों में बुलीइंग के खिलाफ स्पष्ट नीतियां और एक्शन प्लान होना चाहिए।
शिक्षकों को चाहिए कि वे नियमित रूप से कक्षा में बच्चों के बीच संवाद को प्रोत्साहित करें और ऐसे बच्चों को पहचानें जो दूसरों को परेशान करते हैं या खुद परेशान हो रहे हैं। साथ ही बच्चों के माता-पिता से संपर्क में रहकर स्थिति को बेहतर किया जा सकता है। बच्चों को यह सिखाया जाना चाहिए कि सहयोग, समझदारी और समान के साथ वे एक सकारात्मक वातावरण बना सकते हैं।

Emotionally Strong
Emotionally Strong

बुलीइंग से लड़ने के लिए सिर्फ बाहरी ताकत नहीं, बल्कि अंदर से मजबूत होना भी जरूरी है। बच्चों की भावनात्मक समझ को मजबूत करें। उन्हें बताएं कि गुस्सा, डर या उदासी जैसी भावनाएं सामान्य हैं, लेकिन इनसे कैसे निपटना है, यह जानना जरूरी है। उन्हें माइंडफुलनेस, ध्यान और पॉजिटिव सेल्फ टॉक जैसे अयास सिखाएं।
बच्चों को यह भी समझाएं कि बुली करने वाला बच्चा अक्सर खुद किसी परेशानी से गुजर रहा होता है। यह जानकर वे सहानुभूति के साथ स्थिति को देख पाएंगे, लेकिन साथ ही यह भी समझेंगे कि दूसरों के गलत व्यवहार को सहना सही नहीं है। आत्म – समान, सहनशीलता और बुद्धिमानी बच्चों
को मजबूत इंसान बनाते हैं।

Cyber Bullying Case
Cyber Bullying Case

आजकल बुलीइंग केवल स्कूल तक सीमित नहीं रही, साइबर बुलीइंग भी एक बड़ा खतरा
बन चुका है। बच्चों को सोशल मीडिया का इस्तेमाल करते वक्त सुरक्षित रहने के तरीके
सिखाएं। उन्हें बताएं कि कोई भी अपमानजनक मैसेज, फोटो या कमेंट मिलते ही वे तुरंत आपको या किसी भरोसेमंद वयस्क को बताएं।
साथ ही बच्चों को प्राइवेसी सेटिंग्स, रिपोर्ट/ ब्लॉक करने जैसे ऑप्शन्स के बारे में
जानकारी दें। उनसे यह भी बात करें कि इंटरनेट पर किसी को परेशान करना भी
बुलीइंग होता है और उन्हें खुद कभी ऐसा नहीं करना चाहिए।

“बुलीइंग से लड़ने के लिए सिर्फ बाहरी ताकत नहीं, बल्कि अंदर से मजबूत होना भी जरूरी है। बच्चों की भावनात्मक समझ को मजबूत करें।”

मेरा नाम मोनिका अग्रवाल है। मैं कंप्यूटर विषय से स्नातक हूं।अपने जीवन के अनुभवों को कलमबद्ध करने का जुनून सा है जो मेरे हौंसलों को उड़ान देता है।मैंने कुछ वर्ष पूर्व टी वी और मैग्जीन के लिए कुछ विज्ञापनों में काम किया है । मेरा एक...