Positive Personality in Children
Positive Personality in Children

Positive Personality in Children: एक आत्मनिर्भर बच्चा अपने फैसले खुद लेने में सक्षम होता है। छोटे-छोटे काम और कुछ साधारण से फैसलों के लिए उसे किसी पर निर्भर नहीं रहना चाहिए। थोड़ी-सी कोशिश करेंगे तो बच्चे में ये गुण अपने आप आ जाएगा।

तेजी से बदलती दुनिया में बच्चों को केवल पढ़ाई-लिखाई नहीं, बल्कि जीवन के वास्तविक अनुभवों से भी परिचित होना जरूरी है। जब बच्चा आत्मनिर्भर होता है, तो उसे दूसरों का सहारा
लेने की जरूरत नहीं रहती है। इस तरह उनके अंदर सकारात्मकता पनपने लगती है। यही सकारात्मकता बच्चों को मानसिक रूप से मजबूत बनाती है। आगे चलकर यही बच्चे आत्मनिर्भर नागरिक बनते हैं। बच्चे समाज का भविष्य हैं। यदि वे आत्मनिर्भर होंगे, तो न केवल वे खुद एक बेहतर जीवन जी पाएंगे, बल्कि समाज को भी मजबूत बनाएंगे। यहां आत्मनिर्भरता का सीधा सा
मतलब है बच्चा अपनी जरूरतों को खुद समझे, अपने आप निर्णय ले सके, समस्याओं
को आसानी से हल कर सके और कठिनाइयों का सामना भरपूर आत्मविश्वास के साथ कर
सके।

आत्मनिर्भरता हर व्यक्ति के जीवन का एक अहम हिस्सा है। हर माता-पिता अपने बच्चे को समस्या का समाधान निकालना जरूर सिखाएं। आमतौर पर जब बच्चे किसी परेशानी में पड़ते हैं, तो माता-पिता तुरंत बच्चों को उस परेशानी का हल बता देते हैं। लेकिन जरा सोचिये अगर आप अपने बच्चे
को सोचने का मौका देंगें तो उनका अपने ऊपर विश्वास बढ़ेगा और वो आत्मनिर्भर रहना सीख पाएंगे। बच्चे को परिस्थिति समझने का मौका दें, इस तरह बच्चा हल ढूंढने की आदत को अपना लेगा और अपनी समस्या का समाधान खुद निकालने की जिमेदारी ले लेगा। बच्चे को प्यार से समझाएं किसी भी परेशानी या समस्या से घबरायें नहीं बल्कि उसका हल ढूंढने की कोशिश करें। बच्चे के साथ अपने बचपन की कुछ बातें साझा करें और बताएं कैसे आपने और आपके दोस्तों ने अपने माता
पिता से ये सब सीखा था। हर बच्चे के मन में अपने माता-पिता के बचपन को लेकर बहुत से सवाल होते हैं और जब माता-पिता अपने बचपन की बातें बच्चों के साथ साझा करते हैं तब बच्चे के अंदर आत्मविश्वास आता है और वो आत्मनिर्भर बन पाता है।

बच्चों को यह समझाना जरूरी है कि वो छोटे-मोटे काम खुद कर सकते हैं। लेकिन लाड-प्यार के चलते माता-पिता उनके हर काम खुद करना पसंद करते हैं। ये काम इतने आसान होते हैं जिन्हें बच्चे आसानी से कर सकते हैं। जैसे घर आए मेहमान को पानी देना, अपने जूते पहनना, नहाने के बाद गीला तौलिया सुखाने डालना आदि। अपने काम के साथ बच्चे घर के कई काम में आसानी से
मदद कर सकते हैं। पेड़-पौधों को पानी देना, सोने से पहले तकिया-चादर आदि रखना।
इस तरह के काम बच्चों के अंदर सकारात्मक ऊर्जा पैदा करते हैं और साथ ही उन्हें आत्मनिर्भर बनाते हैं। कई बार माता-पिता बच्चे को अपने ही काम करने की प्रेरणा देते हैं, लेकिन ध्यान रखें बच्चे अपने काम स्वयं करें ये बहुत ही अच्छी बात है। इसके साथ जब हम बड़े बच्चों को ऐसा काम देते हैं जो हम रोजमर्रा में करते हैं, तब बच्चे के मन में आत्मनिर्भरता की भावना प्रबल हो जाती है।
बच्चों को लगने लगता है यदि हम अपने काम के साथ वो काम भी कर पा रहें हैं जो माता-पिता करते हैं तो हम काफी जिमेदार बन चुके हैं। जब बच्चों के मन में इस तरह के सकारात्मक विचार आते हैं तो इस तरह वो आत्मनिर्भर बनते हैं।

आजकल के बच्चों को पैसे की अहमियत और उसके सही उपयोग की जानकारी देना बहुत जरूरी है। फिजूलखर्ची के नुकसान बच्चों को जरूर बताएं। पैसों का सही प्रबंधन सिखाने के लिए बच्चों को अपने साथ बाजार ले कर जाएं और छोटे-छोटे खर्च का हिसाब समझाएं। बच्चों को जेब खर्च दें और बताएं उन्हें ये पैसे कैसे खर्च करने हैं, कितनी बचत करनी है। बच्चों से पैसे जमा करवाएं और महीने के अंत में उनसे पूछें उन्होंने कितने पैसे जमा किये हैं। माता-पिता की ये कोशिश बच्चों के लिए
काफी रोचक होगी और जल्द ही बच्चे बचत और पैसों का प्रबंधन सीख जाएंगे। कई बार माता-पिता बच्चों को महंगे खिलौने, स्टेशनरी का सामान आदि दिलाते हैं ताकि हमारे बच्चे का सामान सबसे
अलग दिखे। बच्चे के मन में ऐसी बातें बिल्कुल ना डालें। जितनी जरूरत हो बस उतना ही खरीदें ताकि बच्चे समझ पाएं फिजूलखर्ची करना गलत है।

Positive Personality in Children-Teach to equalize emotions
Teach to equalize emotions

हर बच्चे के लिए सिर्फ शारीरिक आत्मनिर्भरता ही जरूरी नहीं है, बल्कि भावनात्मक रूप से भी बच्चा उतना ही मजबूत होना चाहिए। बच्चों को समझाने के साथ सिखाएं अगर उन्हें कोई बात परेशान कर रही है, तो ऐसी स्थिति से बाहर कैसे निकलना है। उन्हें यह समझाते रहें कि हर बार कोई और उनकी मदद नहीं कर पाएगा, उन्हें खुद अपनी भावनाओं को समझना आना चाहिए। उदाहरण के लिए- अगर आपका बच्चा स्कूल में मंगवाया हुआ कोई सामान ले जाना भूल गया है तो घबराने या डरने की जगह उसे अपनी ये परेशानी स्कूल के टीचर से साझा करनी चाहिए। इस तरह बच्चा खुल कर अपनी भावनाएं सबके सामने व्यक्त कर पाएगा। बच्चे को सिखाएं अपने साथ-साथ अपने आस-पास के लोगों की भावनाओं को भी समझें। बच्चे जब अपने साथ दूसरों की भावनाओं को भी समझना सीख जाते हैं तब उन्हें जीवन जीने की सही कला आसानी से समझ आ जाती है।

Give small responsibilities
Give small responsibilities

बच्चों को आत्मनिर्भर बनाने की शुरुआत छोटी-छोटी जिमेदारियां देकर करें। माता पिता अपने बच्चे को उसकी उम्र के हिसाब से जिमेदारियां जरूर दें। इस तरह बच्चे बचपन से ही आत्मनिर्भर बन जाते हैं।
जिमेदारियां लेने पर वे अपने आप को थोड़ा खास महसूस करते हैं। बच्चे पूरी कोशिश करते हैं अगर माता-पिता ने उन्हें कुछ जिमेदारी दी है तो वो उसे जरूर पूरी करेंगे। इस तरह बच्चों के मन में सकारात्मक विचार आते हैं और उनका रिश्ता अपने माता-पिता के साथ और मजबूत हो जाता है। बच्चे महसूस करने लगते हैं की माता-पिता उन्हें भरोसे लायक समझते हैं इसलिए जिमेदारियां
दे रहे हैं। बच्चों को जिमेदारियां देते वक्त कुछ बातें जरूर कहें, जैसे- हमें पूरा भरोसा है तुम इस काम को बहुत अच्छे से पूरा करोगे, अगर तु हें फिर भी हमारी जरूरत पड़े तो हमसे मदद ले सकते हो, ये काम तो तुमने बहुत अच्छे से किया। माता-पिता की तरफ से ऐसे सकारात्मक शब्द सुनकर बच्चे का मनोबल बढ़ता है और उसके अंदर जिमेदारी की भावना पनपने लगती है। याद रखें बच्चों को प्यार से समझाएं और जिमेदारियां देते वक्त उन पर बोझ डालने या डराने की जगह पूरी तरह भरोसा दिखाएं।

Responsiblity for Kid
Responsiblity for Kid

“बच्चों को आत्मनिर्भर बनाने की शुरुआत छोटी-छोटी जिमेदारियां देकर करें। माता-पिता अपने बच्चे को उसकी उम्र के हिसाब से जिमेदारियां जरूर दें।”

उत्तराखंड से ताल्लुक रखने वाली तरूणा ने 2020 में यूट्यूब चैनल के ज़रिए अपने करियर की शुरुआत की। इसके बाद इंडिया टीवी के लिए आर्टिकल्स लिखे और नीलेश मिश्रा की वेबसाइट पर कहानियाँ प्रकाशित हुईं। वर्तमान में देश की अग्रणी महिला पत्रिका...