Parenting Advice
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रोक-टोक से हट कर माता-पिता अपनाएं बच्चों के लिए सकारात्मक रवैया

आपकी बातचीत में बोलने से ज्यादा सुनने की कला होना जरूरी है। इस तरह बच्चों में भावनात्मक स्थिरता और समझदारी बढ़ जाती है।

Parenting Advice: बदलती जीवनशैली और तकनीकी तेज़ी वाली इस दुनिया में पेरेंटिंग काफी चुनौतीपूर्ण जिम्मेदारी बन गयी है। आज के बच्चे नई सोच के साथ कदम से कदम मिलाने की भरपूर खुशी करते हैं, तो वहीं कई माता-पिता आज भी पुराने तरीकों से उन्हें अनुशासन में रहना सिखाना चाहते हैं। बच्चों के साथ होने वाली बार-बार की रोक-टोक मार्गदर्शन की जगह उनके मानसिक विकास में बाधा बन जाती है। माता-पिता अगर अपनी सोच में थोड़ा सा बदलाव ले लाएं तो आसानी से संवेदनशीलता के साथ बच्चों की परवरिश के तरीके को नया रूप दे सकते हैं। बच्चों के साथ बातचीत करते रहें, उनकी भावनाओं को समझें और निर्णय लेने की आजादी दें। ऐसा करने पर बच्चे पूरी तरह से आत्मनिर्भर और आत्मविश्वासी बनेंगे।

आइये जानते हैं  बच्चों पर की गई कम रोक-टोक से उन्हें कैसे बेहतर दिशा और संस्कार दिए जा सकते हैं।

हर बात पर रोक-टोक करने पर बच्चों को समझ नहीं आता उन्हें क्या करना चाहिए और क्या नहीं। इस रोक-टोक के कारण बच्चे विद्रोही स्वभाव अपना लेते हैं। कई बार माता-पिता रोक-टोक को मार्गदर्शन समझने लगते हैं। बच्चे को सही-गलत समझाने के साथ उसे खुद निर्णय लेने के लिए प्रेरित करना चाहिए। माता-पिता को अपनी बात समझाने के लिए बातचीत, संवाद और धैर्य का इस्तेमाल करना चाहिए।

Self-dependent kids
Self-dependent kids

हर बात पर टोके जाने की वजह से बच्चे के निर्णय लेने की क्षमता कमजोर होने लगती है। क्या पहनना है, क्या खाना है, कैसे खेलना है जैसी साधारण चीजों में बच्चे को निर्णय लेने की आज़ादी देना बेहद जरूरी है। इस तरह बच्चों में आत्मविश्वास पनपता है और वे जीवन की चुनौतियों का सामना करना सीखते हैं।

create a easy medium for conversation
create a easy medium for conversation

बातचीत एक ऐसा माध्यम है जिससे माता-पिता और बच्चे के बीच विश्वास की डोर मजबूत होती है। जब बच्चा ये जान जाता है कि वह अपनी बात माता-पिता से बिना डांट के कह सकता है, तो वह गलतियों से भी सीख लेता है और ऐसे में उसका झूठ बोलने का सवाल ही नहीं उठता है । आपकी बातचीत में बोलने से ज्यादा सुनने की कला होना जरूरी है। इस तरह बच्चों में भावनात्मक स्थिरता और समझदारी बढ़ जाती है।

बच्चों की गलतियों पर आलोचना करने की जगह उन्हें सकारात्मक रूप से समझाएं। अगली बार और अच्छे से कोशिश करना, तुम बेहतर कर सकते हो, इस तरह के शब्दों का उपयोग करने से बच्चे के अंदर अपने आप को ले कर आत्मविश्वास आता है।

Make simple rules
Make simple rules

हर बच्चे को अनुशासन की जरूरत होती है, लेकिन कठोर नियमों से नहीं, बल्कि सम्मानजनक तरीके से सिखाया जाना चाहिए। जब माता-पिता खुद अनुशासन का पालन करेंगे तो बच्चे अपनेआप अच्छा व्यवहार करने लगेंगे। अनुशासन और स्वतंत्रता के बीच संतुलन बनाए रखना आधुनिक पेरेंटिंग के लिए सबसे बड़ी चुनौती है।

ये कहना गलत नहीं होगा, माता-पिता रोक-टोक छोड़कर बच्चों से दोस्ताना और मार्गदर्शक रवैया अपनाएंगे तो बच्चों में बेहतर गुण पनपेंगें। माता-पिता और बच्चों के बीच संबंध भी मजबूत बनेंगे। आज से ही परिवर्तन की शुरुआत अपने घर से करें।

उत्तराखंड से ताल्लुक रखने वाली तरूणा ने 2020 में यूट्यूब चैनल के ज़रिए अपने करियर की शुरुआत की। इसके बाद इंडिया टीवी के लिए आर्टिकल्स लिखे और नीलेश मिश्रा की वेबसाइट पर कहानियाँ प्रकाशित हुईं। वर्तमान में देश की अग्रणी महिला पत्रिका...