Gaurav Taneja on Fake Paneer: हाल ही में मशहूर इंटीरियर डिज़ाइनर और रेस्टोरेंट ओनर गौरी खान एक विवाद में आ गईं जब एक सोशल मीडिया इंफ्लुएंसर ने उनके मुंबई स्थित रेस्टोरेंट Torii में परोसे गए पनीर को नकली करार दे दिया। यह दावा एक वायरल वीडियो के जरिए किया गया, जिसमें इंफ्लुएंसर सार्थक सचदेवा ने कई सेलेब्रिटी रेस्टोरेंट्स के पनीर पर आयोडीन टेस्ट किया था। हालांकि बाद में यह पोस्ट हटा दी गई, लेकिन तब तक यह काफी सुर्खियां बटोर चुकी थी और सोशल मीडिया पर लोगों की प्रतिक्रियाएं आने लगीं।

इस विवाद में अब यूट्यूबर और डेयरी ब्रांड के सह-संस्थापक गौरव तनेजा, जिन्हें लोग ‘फ्लाइंग बीस्ट’ के नाम से जानते हैं, ने खुलकर अपनी राय रखी है। उन्होंने इस पूरे मामले में एक महत्वपूर्ण पहलू पर प्रकाश डाला, क्या आयोडीन टेस्ट वाकई में पनीर की शुद्धता जांचने का सही तरीका है?

Gaurav Taneja on Fake Paneer
Paneer

गौरव तनेजा ने इस बात को सिरे से खारिज किया कि आयोडीन टेस्ट पनीर की शुद्धता जांचने का भरोसेमंद पैमाना है। उन्होंने बताया कि यह टेस्ट केवल यह दर्शाता है कि किसी खाद्य पदार्थ में स्टार्च है या नहीं। लेकिन नकली पनीर में हमेशा स्टार्च हो, यह ज़रूरी नहीं। कई बार ऐसा नकली पनीर भी बनता है जिसमें स्टार्च बिल्कुल नहीं होता और फिर भी वह खाने योग्य नहीं होता।

गौरव तनेजा ने बताया कि नकली पनीर बनाने की प्रक्रिया कुछ इस प्रकार होती है: दूध से पहले उसका फैट अलग कर लिया जाता है जिससे क्रीम और घी निकाला जा सके। इसके बाद जो बचा-खुचा फैट-रहित दूध होता है, उसमें वेजिटेबल ऑयल या पाम ऑयल मिलाकर फैट कंटेंट को दोबारा संतुलित किया जाता है। इस मिश्रण से जो पनीर तैयार होता है, वह देखने में असली पनीर जैसा लगता है, लेकिन उसमें असली दूध का फैट नहीं होता। चूंकि उसमें स्टार्च नहीं होता, इसलिए आयोडीन टेस्ट में वह नकली पनीर “शुद्ध” दिख सकता है।

गौरव तनेजा ने अपनी बात को यही कहकर खत्म किया कि लोगों को सोशल मीडिया पर वायरल हो रही अधूरी और अप्रामाणिक जानकारियों पर तुरंत विश्वास नहीं करना चाहिए। साथ ही उन्होंने कहा कि उपभोक्ताओं को खुद ही अपनी समझदारी और अनुभव से यह तय करना चाहिए कि जो वे खा रहे हैं, वह असली है या नहीं।

इस पूरे प्रकरण से एक बात तो साफ है कि हर वायरल पोस्ट सच्चाई नहीं होती, और हर टेस्ट पद्धति वैज्ञानिक रूप से प्रमाणित नहीं होती।

ऐसे में किसी भी खाद्य पदार्थ की गुणवत्ता को जांचने के लिए सही जानकारी और जागरूकता जरूरी है, न कि सिर्फ सोशल मीडिया ट्रेंड्स।

राधिका शर्मा को प्रिंट मीडिया, प्रूफ रीडिंग और अनुवाद कार्यों में 15 वर्षों से अधिक का अनुभव है। हिंदी और अंग्रेज़ी भाषा पर अच्छी पकड़ रखती हैं। लेखन और पेंटिंग में गहरी रुचि है। लाइफस्टाइल, हेल्थ, कुकिंग, धर्म और महिला विषयों पर काम...