Hindi Love Story: “कैसी चल रही है, शादीशुदा ज़िंदगी?” वह मायके आई हुई थी। तीन साल बाद एक शॉपिंग मॉल के कोने की कुर्सियों पर बैठी, किसी का इन्तेज़ार करती मिल गई।
“मस्त! पति अच्छा है, कमाता भी ठीक-ठाक है। मारता नहीं है, पीता भी नहीं है। रात को साथ में सोता है। मेरे रिश्तेदारों से भी तमीज़ से पेश आता है। टाइम पर घर आ जाता है, शॉपिंग करने पर कुछ नहीं कहता। सेट है अपनी लाइफ़ तो…” वह लगातार कहते गई, जैसे अपने ख़ून ने बहुत तड़प के बाद ख़ैर पूछी हो। उसके होठों पर बग़ैर ख़ुशी की मुस्कान दिखी। बहरहाल,मुझे ख़ुशी इस बात की थी कि, उसे मुझसे ईमानदार रहने का अपना वायदा याद था।
“वाह! सुपर्ब। मज़े ले रही हो लाइफ़ के पूरे…” मैंने जान बूझकर उसे तड़काया।
“घंटा का मज़ा। थक गई हूँ, सेट लाइफ़ को झेलते-झेलते।” मज़ाकिया झूठ भी ज़्यादा देर तक वह मुझसे कभी नहीं कह पाई।
“हाँ, सीधा मिल गया; इसलिए बातें आ रही हैं। थोड़ा कमीना मिलता तब समझ आता, लेकिन उसके बाद भी लाइफ़ से तुम्हारी शिकायतें चलती रहती।” यूँ मुझे पता था, उसे यह समझना होता तो उसके पास उसकी इफ़रात समझ है।
जैसे आसमान में टूटते तारे को देख कभी माँगी कोई दुआ कुबूल हुई-“मुँह बंद रखो अपना…कुछ कांड किए ज़माना बीत गया…उसके बारे में सोचो कुछ…”
उसके चेहरे पर चमकते अतीत और मौजूदा ख़्यालों की तेज़ आवाजाही; मुद्दतों दुआओं से मिली राहत की तरह रूह में घुलती महसूस हुई। वह बेहतर जानती है कि, जीया जा सकता है तो सिर्फ़ आज। ज़िंदगी भी जो है, चोरी की है। दिल-दिमाग होश से हाथ धो बैठे।
निहायत ही ख़ुराफ़ातों से भरे मंसूबे, मेरे चेहरे पर भी धमा-चौकड़ी मचाने लगे; ग़ौर किया तो परींदों से इश्क़ बढ़ता सा मालूम हुआ।
ये कहानी ‘हंड्रेड डेट्स ‘ किताब से ली गई है, इसकी और कहानी पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर जाएं – Hundred dates (हंड्रेड डेट्स)
