Benefits of Havan: हवन हिंदू धर्म में होने वाले पूजा-पाठ और धार्मिक अनुष्ठानों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। अलग-अलग देवी-देवताओं की पूजा के लिए हवन की विधि और मंत्र भी अलग होते हैं। किसी पूजा में हवन रात्रि के समय करने का विधान है तो कई बार हवन दिन की पूजा में भी होते हैं। कई पूजा-पाठ तो ऐसे होते हैं जो हवन के बाद ही पूर्ण माने जाते हैं। अग्निकुंड के माध्यम से देवताओं को हवि पहुंचाने की प्रकिया ही ‘हवन’ कहलाती है। हवि उस सामग्री को कहते हैं, जिसकी आहुति हवन के दौरान अग्नि में दी जाती है। हवन पूजा-पाठ का अभिन्न अंग तो है ही, लेकिन इसी के साथ हवन के अनगिनत फायदे भी हैं, जिसे जानकर आप चौंक जाएंगे। हवन से होने वाले फायदों के बारे में न केवल शास्त्र बल्कि विज्ञान भी मानता है। आइये जानते हैं हवन से होने वाले चमत्कारी और गुणकारी लाभ के बारे में।
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पवित्रता और आध्यात्मिक शुद्धता

किसी भी पूजा-पाठ में पवित्रता और शुद्धता का होना अनिवार्य होता है। हवन में शुद्ध देसी घी, आम की लकड़ियां, कपूर आदि जैसी चीजें शामिल होती हैं, जो जलने के बाद वातावरण को शुद्ध करती है. इसलिए हवन से वातावरण पवित्रता और शुद्ध होता है और आसपास सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बढ़ता है। घर की पवित्रता के लिए या किसी शुभ कार्य के दौरान हवन जरूर कराना चाहिए। हवन से कुंडली के बुरे ग्रहों का प्रभाव भी कम होता है।
हवन में इन बातों का ध्यान रखना जरूरी
धार्मिक कार्यों के दौरान किए जाने वाले हवन के दौरान पवित्रता का ध्यान रखना बेहद जरूरी होता है, तभी इसका लाभ मिलता है। इसलिए हवन के समय भी इन बातों का खास ध्यान रखें। हवन के लिए आम की लकड़ी, बेल, नीम, पलाश का पौधा, देवदार की जड़, गूलर की छाल-पत्ती, पीपल की छाल-तना, आम की पत्तियां, चंदन की लकड़ी, तिल, जामुन की पत्ती, अश्वगंधा की जड़, कपूर, घी, लौंग, मुलैठी की जड़, अक्षत, जौ, इलाचयी, गुगल आदि जैसी चीजों का होना अनिवार्य होता है। हवन के लिए गाय के गोबर के बने उपले भी जरूरी होते हैं। इस चीजों को जब मंत्रोच्चारण करते हुए हवनकुंड में अग्नि को आहूति दी जाती है तब घर और वातावरण दोनों शुद्ध होते हैं।
रामायण और महाभारत में मिलता है हवन का वर्णन
हवन के इतिहास के बारे में बात करें तो सनातन धर्म के अनुसार ऋषि-मुनियों के समय से ही हवन और यज्ञ की परंपरा चली आ रही है, जिसे आज भी निभाया जा रहा है। हवन की परंपरा सदियों पुरानी मानी जाती है। रामायण और महाभारत में भी हवन और यज्ञ का उल्लेख मिलता है। रामायण काल में अयोध्या के राजा दशरथ को जब संतान नहीं हो रही थी, तब उन्होंने पुत्रेष्टी यज्ञ कराया था। वहीं रामायण काल में ही भगवान राम ने भी अश्वमेध यज्ञ किया था। इसके साथ ही महाभारत में भी यज्ञ और हवन कराने का उल्लेख मिलता है।
हवन से होने वाले लाभ

- हवन के दौरान होने वाले मंत्र जाप से सकारात्मक ध्वनि तरंगित होती है, जो शरीर में ऊर्जा का संचार करती है।
- हवन में इस्तेमाल होने वाली आम की लकड़ियों के जलने पर उससे लाभकारी गैस निकलता है, जो वातावरण में मौजूद कीटाणु और बैक्टीरिया को समाप्त कर देता है।
- कहा जाता है कि हवन की अग्नि के पास कुछ देर बैठा जाए तो इसके धुएं से शरीर में रोग फैलाने वाले जीवाणु खत्म होते हैं और शरीर शुद्ध होता है। इसलिए हवन के धुएं को प्राण में संजीवनी शक्ति का संचार करने वाला कहा जाता है।
