सही मात्रा में भोजन लेने से रहेंगे सेहतमंद: Right Amount of Food
Right Amount of Food

Right Amount of Food: संतुलित आहार का अर्थ है अपने वजन और लंबाई के अनुसार सही मात्रा में भोजन लेना। इसी आदत को हम ‘पोर्शन कंट्रोल कहते हैं।

डाइट के मामले में आप किसी दूसरे का अनुसरण न करें बल्कि डॉक्टर की सलाह पर अपने बीएमआई (बॉडी मास इंडेक्स) के अनुसार ही सही मात्रा में संतुलित भोजन लेने की आदत डालें।

क्या आपने कभी सोचा है कि आप अपने शरीर की जरूरत से ज्यादा खा रहे हैं? पोर्शन साइज को मैनेज करना सिर्फ वजन कम करने के लिए ही जरूरी नहीं है। बल्कि यह पाचन में सहायता करने, बैलेंस एनर्जी लेवल को बनाए रखने और यहां तक कि पुरानी बीमारियों को रोकने के लिए भी जरूरी है। यह खुद को भूखा रखने के बारे में नहीं है, बल्कि आप क्या और कितना खाते हैं, इसके साथ बैलेंस बनाने के बारे में है।

Also read: बालों से भी आ सकती है बदबू, इन सिंपल तरीके से बालों को करें तरोताजा: Hair Smell Free

मील पोर्शन कंट्रोल आपकी ओवर ऑल हेल्थ का ख्याल रखने के साथ-साथ अलग-अलग स्थितियों के मैनेजमेंट के लिए जरूरी है। यह सुनिश्चित करता है कि आप बैलेंस तरीके से पोषण ले रहे हैं और एक बार में ओवरईटिंग नहीं कर रहे हैं। यहां ऐसे कई मुख्य कारण दिए गए हैं कि मील पोर्शन कंट्रोल होना क्यों जरूरी है-

  1. वेट मैनेजमेंट : एक बार में अधिक खाने से ओवरईटिंग की समस्या हो सकती है, जो मेटाबॉलिक हेल्थ को बिगाड़ता है और समय के साथ अनहेल्दी फैट गेन की ओर ले जाता है। पोर्शन में मील लेने से आपका शरीर अतिरिक्त कैलोरी नहीं लेता है। साथ ही साथ, उसे आवश्यक पोषक तत्व भी मिलते हैं, जिससे हेल्दी वजन बनाए रखना आसान हो जाता है।
  2. पाचन में सुधार : अधिक मात्रा में भोजन करने से पाचन तंत्र पर दबाव पड़ सकता है, जिससे अपच, पेट फूलना और बेचैनी जैसी समस्याएं हो सकती हैं। उचित मात्रा में भोजन करने से शरीर भोजन को कुशलतापूर्वक पचा पाता है, जिससे गट हेल्थ पर अच्छा असर पड़ता है।
  3. ब्लड शुगर कंट्रोल : कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन और फैट्स के बैलेंस पोर्शन इंसुलिन के बढऩे और गिरने को रोकते हैं। यह डायबिटीज जैसी स्थितियों से जुड़े हाइपरग्लाइसेमिया या हाइपोग्लाइसेमिया के जोखिम को कम करता है।
  4. हृदय की सेहत : हृदय के लिए स्वस्थ खाद्य पदार्थों जैसे कि लीन प्रोटीन, साबुत अनाज और सब्जियों के नियंत्रित पोर्शन कंट्रोल में खाने से कोलेस्ट्रॉल का स्तर कम हो सकता है और हृदय रोग का जोखिम कम हो सकता है। हाई फैट या हाई शुगर वाले खाद्य पदार्थों को खाने से उच्च रक्तचाप या हाइपरलिपिडिमिया जैसी स्थितियों से बचने में मदद मिलती है।
  5. हार्मोनल बैलेंस : संतुलित और नियंत्रित मात्रा में भोजन खाने से उचित हार्मोन प्रोडक्शन और रेग्युलेशन के लिए आवश्यक पोषक तत्वों की निरंतर आपूर्ति सुनिश्चित होती है। यह विशेष रूप से पीसीओएस (पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम) या थायरॉयड विकारों जैसी स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे व्यक्तियों के लिए आवश्यक है।
  6. ज्यादा खाने और इमोशनल ईटिंग से रोकना : भोजन को भागों में बांटना भावनात्मक या तनाव प्रेरित खाने को नियंत्रित करने में मदद करता है। यह खाने का एक सही तरीका प्रदान करता है, जिससे आप बिंज ईटिंग या इम्पल्सिव तरीके से ईटिंग करने से बचते हैं।
  7. पोषक तत्वों का अवशोषण : पोर्शन कंट्रोल करने से प्रत्येक भोजन में मैक्रोन्यूट्रिएंट्स (प्रोटीन, वसा और काब्र्स) और माइक्रोन्यूट्रिएंट्स (विटामिन और मिनरल्स) का बैलेंस होता है। यह शरीर में पोषक तत्वों के अवशोषण और उपयोग में बेहतर मदद करता है।
    कई बार, जब सही मात्रा में खाने की बात आती है तो लोग पर्याप्त इच्छाशक्ति न होने के लिए खुद को दोषी मानते हैं, लेकिन यह इच्छाशक्ति के बारे में बिल्कुल नहीं है। यह समझने के बारे में है कि शरीर जरूरत से ज्यादा भोजन क्यों मांगता है- फिर चाहे वह चिंता, हार्मोनल असंतुलन या खराब खाने की आदतों के कारण हो।
    यहीं पर यूकेयर लाइफस्टाइल फ्लो काम आता है। यह एक समग्र दृष्टिकोण है जो समग्र कल्याण के लिए मेटाबॉलिक और गट हेल्थ को बेहतर बनाने के साथ-साथ आपके शरीर की जरूरतों को पूरा करने में सहायता करता है।

यूकेयर लाइफस्टाइल फ्लो को पेश करने का यह सही मौका है, खाने के लिए एक समग्र दृष्टिकोण जो आपके भोजन को खाने के क्रम पर फोकस करता है। यह सिर्फ इस बारे में नहीं है कि आप क्या खाते हैं, बल्कि आप कैसे खाते हैं, आप किस क्रम में अपना खाना खाते हैं और यह आपके मेटाबॉलिज्म, ब्लड शुगर लेवल, काग्निटिव फंक्शन और डाइजेस्टिव हेल्थ को किस तरह प्रभावित करता है।