Digital Arrest Scam: पिछले कुछ सालों में साइबर क्राइम अपने खतरनाक रूप में आ चुका है। अब तक आप मोबाइल फिशिंग, आइडेंटिटी थेफ्ट, सेक्स्टिंग, साइबर स्टॉकिंग, रैंसमवेयर, बोटनेट्स के बारे में ही जानते थे लेकिन अब अगर आपने हैकर्स का फोन उठाया तो आप हो सकते हैं डिजिटल अरेस्ट
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अगर आपसे पूछा जाए कि मोबाइल पर आने वाले स्पैम कॉल और अननोन नंबर का आप क्या करते हैं? तो आपका जवाब होगा कि काट देते हैं या फिर रॉन्ग नंबर कहकर रख देते हैं। आप कहेंगे कि इस तरह के नंबर अक्सर ठगी के लिए किए जाते हैं। बिलकुल सही, लेकिन ये जान लीजिये साइबर क्राइम करने वाले अपराधियों ने आप तक पहुंचने का नया तरीका भी ढूंढ लिया। अब अगर आपने कॉल काटी, तब भी आप फसेंगे। कैसे? आईए समझते हैं। इन दिनों हैकर्स ने नया पैंतरा ढूंढ निकाला है जिसे ‘डिजिटल अरेस्ट का नाम दिया गया है। क्रेडिट काड्र्स पिन, बैंक और कार लोन इत्यादि जैसे ठगी के मामलों में पैसे को ट्रेस कर पाना फिर भी आसान होता है। यहां अगर आप थोड़े से सतर्क और जागरूक रहते हैं तो सामने वाले को बातों से पकड़ा जा सकता है लेकिन ‘डिजिटल अरेस्ट में ऐसा नहीं है।
पिछले दिनों ऐसे कई ठगी के मामले सामने आए, जिनमें पीडि़त व्यक्ति को एक फोन आया और उसके बाद उससे कहा गया कि उसके नंबर से गैर कानूनी काम किए जा रहे हैं। फिर फोन पर ही कथित सीबीआई ऑफिसर से बात कराई जाती है। उसके बाद उसे किसी से संपर्क करने तक के लिए मना कर दिया जाता है। लगातार वीडियो कॉल के जरिये उस व्यक्ति का झूठा इंटेरोगेशन किया जाता है। इन सब के बाद व्यक्ति को एक झूठा सरकारी अकाउंट दिया जाता है जिसमें सारा पैसा ट्रांसफर करने के लिए कहा जाता है। इन सब में 2 से 3 दिन लग जाते हैं। ऐसे में व्यक्ति यह नहीं समझ पाता है कि वह ठगा जा रहा है। चलिए पहले यह जान लेते हैं कि डिजिटल अरेस्ट क्या है!
क्या है डिजिटल अरेस्ट
‘डिजिटल अरेस्ट एक नई प्रकार की साइबर धोखाधड़ी है, जिसमें हैकर्स खुद को सरकारी अधिकारी के रूप में पेश करते हैं और लोगों से पैसा ठगने की कोशिश करते हैं। यह अपराधी किसी सरकारी अधिकारी (जैसे- पुलिस, प्रवर्तन निदेशालय या सीबीआई) का रूप धारण कर लोगों को धोखा देते हैं। इसके जरिये वे किसी भी व्यक्ति के डिजिटल खातों, जैसे- ईमेल, सोशल मीडिया प्रोफाइल या बैंकिंग डेटा, को ब्लॉक कर देते हैं।
कैसे किया जाता है डिजिटल अरेस्ट
डिजिटल अरेस्ट घोटाले में हैकर्स या साइबर अपराधी किसी व्यक्ति के डिजिटल संसाधनों पर नियंत्रण हासिल कर लेते हैं। यह नियंत्रण फिशिंग, मालवेयर या सोशल इंजीनियरिंग के माध्यम से किया जाता है। अपराधी व्यक्ति को विश्वास दिलाते हैं कि उसने कोई गंभीर अपराध किया है इसलिए उसका डिजिटल खाता लॉक किया जा रहा है। जब तक वह सरकार को इसके लिए कोई भारी जुर्माना न चुका दे तब तक उसका खाता फ्रीज रहेगा।
कैसे होता है यह घोटाला
इस घोटाले में हैकर्स, पीडि़त को यह महसूस कराते हैं कि उन्हें ‘डिजिटल अरेस्ट किया गया है। पीडि़त को डराया जाता है कि उनकी मांग पूरी न करने पर उसे कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है। इस धोखाधड़ी का मकसद पीडि़त से एक बड़ी धनराशि ऐंठना होता है।
डिजिटल कन्फाइनमेंट: एक और खतरनाक रूप
डिजिटल अरेस्ट का एक और प्रकार है ‘डिजिटल कन्फाइनमेंट, इसमें पीडि़त को वीडियो कॉल पर जबरदस्ती रखा जाता है, जब तक कि वह अपराधियों की मांग पूरी नहीं कर लेता। इस तरह पीडि़त पर एक तरह का मानसिक दबाव बनाने का प्रयास किया जाता है ताकि वह अपनी पूरी धनराशि बताए गए अकाउंट पर ट्रांसफर कर दे।
कैसे करें खुद को सुरक्षित
डिजिटल अरेस्ट से बचने के लिए कुछ महत्वपूर्ण उपाय हैं जो हमें अपने डिजिटल डेटा को सुरक्षित रखने में मदद करते हैं।
1. मुश्किल पासवर्ड और टू-फैक्टर ऑथेंटिकेशन (२FA) का इस्तेमाल: मुश्किल पासवर्ड और 2स्न्र का उपयोग करें ताकि आपके खाते सुरक्षित रहें।
2. संदिग्ध ईमेल और लिंक से सावधान रहें : किसी भी अनजान ईमेल पर दिए गए लिंक को क्लिक न करें।
3. गैजेट्स को सुरक्षित रखें: अपने मोबाइल और कंप्यूटर को हमेशा अपडेट रखें।
डिजिटल अरेस्ट का शिकार होने पर क्या करें
यदि कोई ‘डिजिटल अरेस्ट घोटाले का शिकार बनता है, तो उसे निम्नलिखित कदम उठाने चाहिए-
इंटरनेट से डिस्कनेक्ट करें : सबसे पहले डिवाइस को इंटरनेट से डिस्कनेक्ट करें ताकि अपराधी यानी हैकर्स आपकी बची-खुची डिटेल तक न पहुंच सके।
पासवर्ड बदलें : हैक हुए खातों के पासवर्ड तुरंत बदलें और टू-फैक्टर ऑथेंटिकेशन को सक्रिय करें।
घटना की रिपोर्ट करें : साइबर क्राइम सेल या संबंधित अधिकारियों को इस घोटाले की सूचना दें।
तुरंत खाता फ्रीज करवाएं : यदि आपके किसी खाते (सोशल मीडिया, ईमेल या बैंकिंग) पर अटैक हुआ है, तो अपने सर्विस प्रोवाइडर से संपर्क कर खाते को फ्रीज या रिकवर करने का प्रयास करें।
क्या हैं साइबर क्राइम से जुड़े कानून
डिजिटल अरेस्ट जैसे साइबर अपराधों के खिलाफ देश में और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विभिन्न कानून मौजूद हैं।
सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 अथवा इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी एक्ट, 2000 : भारत का यह अधिनियम हैकिंग, अवैध पहुंच और डेटा चोरी जैसे साइबर अपराधों को नियंत्रित करता है।
भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) अथवा इंडियन पीनल कोर्ट (आईपीसी): डिजिटल अपराधों के मामले में धारा 419 (छल) और धारा 420 (धोखाधड़ी) के तहत कार्रवाई की जा सकती है।
अंतर्राष्ट्रीय कानून अथवा इंटरनेशनल लॉ : यूरोप में जनरल डेटा प्रोटेक्शन रेगुलेशन (त्रष्ठक्कक्र) और अमेरिका में कंप्यूटर धोखाधड़ी और दुरुपयोग अधिनियम (ष्टस्न्र्र) जैसे कानून भी इन अपराधों पर सख्ती से कार्रवाई करते हैं।
क्या करें अगर डिजिटल अरेस्ट अवैध हो
यदि किसी को अवैध रूप से ‘डिजिटल अरेस्ट में डाला जाता है, तो वह निम्नलिखित कदम उठा सकता है-
साइबर क्राइम सेल में शिकायत दर्ज करें : अपने स्थानीय साइबर क्राइम विभाग में शिकायत दर्ज करें या साइबर क्राइम रिपोटग पोर्टल पर ऑनलाइन रिपोर्ट करें।
आई4सी से संपर्क करें : भारतीय साइबर क्राइम कोऑर्डिनेशन सेंटर (ढ्ढ४ष्) से संपर्क करें।
कानूनी कार्रवाई करें : आप सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम और भारतीय दंड संहिता के तहत धोखाधड़ी, छल, और ब्लैकमेल के खिलाफ कानूनी शिकायत दर्ज कर सकते हैं।
खोई हुई धनराशि की रिकवरी : यदि आपने अपराधियों को पैसे दिए हैं, तो तुरंत अपने बैंक या वित्तीय संस्थान से संपर्क करें और तेज कार्रवाई करें ताकि धन की वापसी संभव हो सके।
नागरिक सुरक्षा : यदि आपको इस घोटाले से मानसिक तनाव या प्रतिष्ठान हानि हुई है, तो आप मुआवजे के लिए नागरिक अदालत में मुकदमा दर्ज कर सकते हैं।
कैसे संभालें डिजिटल अपराध स्थल
डिजिटल अपराध स्थल को संभालने के लिए जरूरी है कि डिजिटल साक्ष्यों को सुरक्षित रखा जाए और डाटा की अखंडता सुनिश्चित की जाए।
सिस्टम को अलग करें : हैक हुए सिस्टम या डिवाइस को नेटवर्क से अलग करें ताकि और नुकसान न हो।
डिजिटल साक्ष्य को संरक्षित करें : हर चीज को नोट करें और सिस्टम से जुड़े हुए लॉग्स और मेटाडेटा सुरक्षित रखें।
साइबर क्राइम विशेषज्ञ से संपर्क करें : साइबर फॉरेंसिक विशेषज्ञ से जांच कराएं ताकि सबूत सुरक्षित रह सकें।
रिपोर्ट करें : कानून प्रवर्तन एजेंसी या साइबर क्राइम अधिकारियों को औपचारिक रिपोर्ट दर्ज कराएं।
डिजिटल अरेस्ट एक गंभीर साइबर क्राइम है, लेकिन जागरूकता और सुरक्षा उपायों से आप खुद को इससे बचा सकते हैं।

रुको, सोचो और एक्शन लो
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘मन की बात में डिजिटल धोखाधड़ी से बचने के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि डिजिटल अरेस्ट जैसी कोई व्यवस्था नहीं है, यह सिर्फ फ्रॉड है। मोदी ने लोगों को डिजिटल सुरक्षा के तीन चरण ‘रुको, सोचो और एक्शन लो बताए। डिजिटल अरेस्ट से भारतीयों को 120.3 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है।
(आलेख सुप्रीम कोर्ट की एडवोकेट मोहिनी प्रिया से बातचीत पर आधारित है)
