Overview: बेंगलुरु पुलिस चीफ ने लोगों को फर्जी 'Digital Arrest' घोटाले से किया सावधान!
Fake Digital Arrest Scam: इन दिनों भोली-भाली जनता के साथ डिजिटल स्कैम लागातर बढ़ता जा रहा है। ये धोखेबाज लोग पुलिस को भी नहीं छोड़ रहे हैं। इन लोगों के स्कैम करने का तरीका आए दिन बदलता रहता है। इन दिनों ये लोग पुलिस की वर्दी में लोगों को वीडियो कॉल करके डराते और धमकाते हैं। इसके बदले में उनसे पैसे मांगते हैं। इन दिनों एक शब्द सबसे ज्यादा ट्रेंड कर रहा है, वो है डिजिटल अरेस्ट।
Fake Digital Arrest Scam: इन दिनों भोली-भाली जनता के साथ डिजिटल स्कैम लागातर बढ़ता जा रहा है। ये धोखेबाज लोग पुलिस को भी नहीं छोड़ रहे हैं। इन लोगों के स्कैम करने का तरीका आए दिन बदलता रहता है। इन दिनों ये लोग पुलिस की वर्दी में लोगों को वीडियो कॉल करके डराते और धमकाते हैं। इसके बदले में उनसे पैसे मांगते हैं। इन दिनों एक शब्द सबसे ज्यादा ट्रेंड कर रहा है, वो है डिजिटल अरेस्ट।
बेंगलुरु के पुलिस आयुक्त बी दयानंद ने फर्जी “डिजिटल गिरफ्तारी” से जुड़े साइबर घोटाले के खिलाफ लोगों को जागरुक किया है। इस स्कैम में धोखेबाज सरकारी अधिकारियों का रूप धारण करके पैसे ऐंठते हैं। उन्होंने नागरिकों से अज्ञात कॉल से बचने, पर्सनल इंफॉर्मेशन की सुरक्षा करने और 1930 हेल्पलाइन के माध्यम से धोखाधड़ी की रिपोर्ट करने का आग्रह किया।
पुलिस आयुक्त ने साइबर अपराध के लिए बढ़ाया कदम
बेंगलुरु के पुलिस आयुक्त बी दयानंद ने नागरिकों को बढ़ते साइबर अपराध के प्रति आगाह किया, जिसमें धोखेबाज सरकारी अधिकारी बनकर पीड़ितों को तथाकथित “डिजिटल गिरफ्तारी” की धमकी देते हैं।
कानून में नहीं है डिजिटल अरेस्ट का प्रावधान

आयुक्त दयानंद ने स्पष्ट किया कि डिजिटल गिरफ्तारी की अवधारणा भारतीय कानून या संविधान में मौजूद नहीं है। उन्होंने कहा, “पुलिस की कार्रवाई कानूनी नियमों के तहत सख्ती से संचालित होती है। गिरफ्तारी में नोटिस या शारीरिक गिरफ्तारी शामिल है, जिसके बाद आरोपी को 24 घंटे के भीतर मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया जाता है।” उन्होंने लोगों से सतर्क रहने का आग्रह किया।
अनजान कॉल से रहें सावधान
आयुक्त ने लोगों को अज्ञात कॉल या वीडियो कॉल से बचने और आधार या पैन नंबर जैसी व्यक्तिगत जानकारी साझा करने से परहेज करने की सलाह दी। उन्होंने साइबर धोखाधड़ी में खोए गए, धन का पता लगाने और उसे वापस पाने के लिए 1930 हेल्पलाइन को एक संसाधन के रूप में उजागर किया और दोहराया कि वैध एजेंसियां कभी भी व्हाट्सएप या फोन पर गोपनीय जानकारी नहीं मांगती हैं।
सॉफ्टवेयर इंजीनियर से 11.8 करोड़ की ठगी

इस घोटाले के कारण काफी आर्थिक नुकसान हुआ है, जिसमें हाल ही का मामला भी शामिल है, जिसमें बेंगलुरू के 39 वर्षीय सॉफ्टवेयर इंजीनियर से 11.8 करोड़ रुपये की ठगी की गई। पिछले हफ्ते बेंगलुरु की 83 वर्षीय महिला से जालसाजों ने 1.24 करोड़ रुपए ठग लिए। जालसाजों ने खुद को पुलिस अधिकारी बताकर ठगी की। अक्टूबर और नवंबर के बीच हुई यह घटना तब प्रकाश में आई जब पीड़िता ने जालसाजों की गतिविधियों पर संदेह होने के बाद शहर की साइबर पुलिस में शिकायत दर्ज कराई।
आप भी रहें सावधान
अगर आपको भी इस तरह का कोई कॉल या मैसेज आता है, तो तुंरत इसकी शिकायत साइबर पुलिस को करें। किसी भी लिंक पर क्लिक करने से बचें। अनजान लोगों को अपनी पर्सनल जानकारी ना दें। अपने डॉक्युमेंट्स को बहुत ही सुरक्षित रखें। आपकी एक गलती आपकी पूरी संपत्ति खो सकती है।
