Summary: ‘डिजिटल अरेस्ट’ का AI जाल! नकली ट्रायल से बुजुर्ग अकाउंटेंट के उड़ाए करोड़ों
डीपफेक वीडियो और नकली अफसरों की मदद से साइबर अपराधियों ने 68 वर्षीय चार्टर्ड अकाउंटेंट को फँसाया। AI-जनरेटेड वीडियो कॉल पर कोर्ट जैसी सुनवाई दिखाकर उनसे करीब ₹1.5 करोड़ ठग लिए गए।
सोचिए… आप अपने घर के ड्रॉइंग रूम में बैठे हैं, तभी फोन बजता है। सामने कोई गंभीर आवाज़ कहती है, ‘मैं सीबीआई से बोल रहा हूँ, आपके नाम पर मनी लॉन्ड्रिंग केस दर्ज हुआ है।‘ कॉल पर दिखने लगता है एक वीडियो पुलिस यूनिफॉर्म में अधिकारी, पीछे कोर्ट रूम का सेटअप, और स्क्रीन पर आपका नाम। आप घबरा जाते हैं। यही सब हुआ भुवनेश्वर के 68 वर्षीय चार्टर्ड अकाउंटेंट के साथ और अगले दस दिनों में उन्होंने ठगों को करीब ₹1.5 करोड़ दे दिए।
कैसे रचा गया ‘डिजिटल अरेस्ट’ का जाल
यह सब शुरू हुआ एक व्हाट्सऐप वॉइस कॉल से, जहाँ कुछ लोग खुद को सीबीआई, ईडी और कस्टम विभाग के अधिकारी बता रहे थे। उन्होंने कहा कि पीड़ित का आधार नंबर मनी लॉन्ड्रिंग केस से जुड़ा हुआ है, और उनकी जांच चल रही है।
इसके बाद उन्हें AI से जनरेटेड वीडियो कॉल दिखाया गया, जिसमें नकली कोर्ट रूम, जज, पुलिस अधिकारी और दस्तावेज़ तक असली लग रहे थे। वीडियो के ज़रिए उन्हें यह यकीन दिलाया गया कि वो ‘लीगल केस’ में फँस चुके हैं और किसी से बात नहीं कर सकते।
ठगों ने कहा कि यह ‘डिजिटल अरेस्ट’ है यानी जब तक जांच पूरी नहीं होती, उन्हें फोन पर रहना होगा, किसी से बात नहीं करनी होगी और जो भी निर्देश मिलें, उनका पालन करना होगा। धीरे-धीरे, डर और दबाव के बीच, उन्होंने ठगों के बताए खातों में एक-एक कर के पैसे ट्रांसफर कर दिए। जब परिवार ने देखा कि वह अजीब व्यवहार कर रहे हैं और किसी से बात नहीं कर रहे, तब जाकर हकीकत सामने आई।
क्या है ‘डिजिटल अरेस्ट’ स्कैम?
‘डिजिटल अरेस्ट’ एक नया साइबर फ्रॉड है, जिसमें ठग सरकारी एजेंसियों का रूप धरकर डर का माहौल बनाते हैं। वे पीड़ित को बताते हैं कि उनके नाम से कोई अपराध हुआ है, और वह जांच के घेरे में हैं। फिर उन्हें AI तकनीक से तैयार किए गए फर्जी वीडियो कॉल्स दिखाते हैं, जिनमें कोर्ट या पुलिस स्टेशन जैसी विजुअल्स होती हैं।

इस प्रक्रिया में ठग पीड़ित को भावनात्मक और मानसिक रूप से अलग-थलग कर देते हैं, ताकि वह किसी से सलाह न ले सके। फिर ‘जांच प्रक्रिया’ के नाम पर उनसे पैसे ट्रांसफर करवाते हैं कभी वेरिफिकेशन फीस, कभी लीगल चार्जेज़ के नाम पर।
ऐसे साइबर ठगों से कैसे बचें
किसी भी कॉल या मैसेज पर तुरंत यकीन न करें।
कोई भी सरकारी एजेंसी व्हाट्सऐप या निजी कॉल पर जांच नहीं करती। स्वतंत्र रूप से सत्यापन करें।
अगर कोई खुद को सरकारी अधिकारी बताता है, तो एजेंसी की आधिकारिक वेबसाइट या हेल्पलाइन से संपर्क करें।
धमकी मिलने पर तुरंत कॉल काट दें। पैसे या निजी जानकारी की मांग करने वाले किसी भी व्यक्ति से बातचीत बंद करें।
परिवार या दोस्तों से तुरंत बात करें। ठग आपको अकेला करने की कोशिश करते हैं ताकि आप डरकर फैसले लें।

अगर शिकार बन जाएं तो क्या करें
सबसे पहले अपने बैंक को सूचित करें और ट्रांजैक्शन ब्लॉक करवाएं।
तुरंत साइबर क्राइम हेल्पलाइन नंबर 1930 या http://www.cybercrime.gov.in/ पर शिकायत दर्ज करें।
सभी कॉल रिकॉर्डिंग, चैट, ईमेल और ट्रांजैक्शन डिटेल्स को सबूत के रूप में सुरक्षित रखें।
जितनी जल्दी रिपोर्ट करेंगे, पैसे वापस मिलने की संभावना उतनी बढ़ जाती है।
