shahi farman
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सन् 1857 ई- में दिल्ली मात्र चार माह स्वतंत्र रही पर इस अल्पकालीन स्वतंत्रता में, क्रांतिकारियों का नेतृत्व करने वाले अंतिम मुगल सम्राट बहादुर शाह जफर ने गो-वध पर प्रतिबंध लगाकर जो काम को अंजाम दिया उसके लिए वह इतिहास में सदैव अमर रहेगा।

उनने 28 जुलाई, 1857 को गो-वध पर प्रतिबंध लगा कर जो शाही फरमान जारी किया, वह इस प्रकार था
“खल्फ खुदा की, मुल्क बादशाह का, हुक्म फौज के बड़े सरदार का। जो कोई इस मौसम बकरीद में या उसके आगे-पीछे गाय या बैल या बछड़ा या बछड़ी लुकाकर या छिपाकर अपने घर में जिबह और कुरबानी करेगा वह आदमी हुजूर जहाँपनाह का दुश्मन समझा जावेगा और उसको सजा-ए-मौत दी जावेगी।

और इतिहास साक्षी है कि 1 अगस्त 1857 को दिल्ली में सम्पन्न बकरीद पर एक भी गौ की हत्या नहीं हुई। हिन्दू-मुसलमान भाईचारे के साथ एक दूसरे से गले मिल रहे थे। उस दिन सभी ने फिरंगियों के खिलाफ साम्प्रदायिक एकता को मजबूत करने का संकल्प लिया था।

ये कहानी ‘इंद्रधनुषी प्रेरक प्रसंग’ किताब से ली गई है, इसकी और कहानियां पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर जाएंIndradhanushi Prerak Prasang (इंद्रधनुषी प्रेरक प्रसंग)